दिव्य दृष्टि प्राप्त करना चाहते हैं तो ऐसे करें सिद्ध

 

Mantra tantra


दिव्य दृष्टि प्राप्त करना चाहते हैं तो कैसे करें उसका उपाय बताएंगे हम इसलिए आप हमारे साथ बने रहिए मित्रों नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है । तांत्रिक साधु बनना इतना आसान नहीं मित्रों जितना हम सोचते हैं । साधक बनने के लिए अपने को बहुत कष्ट उठाना पड़ता है बहुत ही मेहनत करना पड़ता है । कई लोग तो साधक सिर्फ नाम का होता है सिर्फ पैसा ठगने का चक्कर में होते है । ज्योतिषी बहुत ऐसे हैं जहां बड़े से बड़े विपत्ति को भी दूर करते हैं । लेकिन कुछ ज्योतिषी पैसा ठगने के लिए भी सोच रखते हैं । तो मित्रों मैं आज आपको ऐसे शक्तिशाली मंत्र देने जा रहे हैं जहां अपने को गर्व महसूस करेंगे । और आप ऐसे शक्तिशाली मंत्र को सिद्ध कर सकते हैं अगर एक बार इस मंत्र का सिद्ध कर लिए तो आप को दिव्य दृष्टि शक्ति प्राप्त होगी।


दिव्य दृष्टि प्राप्त करने के लिए बड़े-बड़े साधक तांत्रिक कष्ट उठाते हैं मगर आज तक सफल नहीं हो पाए । इतिहास में ऐसे कोई साधक स्वयं दिव्य दृष्टि प्राप्त नहीं कर सके । क्योंकि यह दिव्य दृष्टि प्राप्त करने के लिए अपने शरीर को परिपूर्णता से समर्पित करना होगा ‌। क्या आप कर सकते हैं इस शरीर में आराम नहीं देना है और ना ही आपको तीन टाइम भोजन करना है । इसका कुछ महत्वपूर्ण नियम है और इस नियम को पालन करना इतना आसान नहीं है । हां अगर आप के मन पवित्र है तो खैर यह सब काम आपके लिए आसान हो सकता है । इतिहास में आज तक कुछ ही महात्मा को दिव्य दृष्टि प्राप्त हुई हैं । 

 

जैसे कि महाभारत में युद्ध के दौरान धृतराष्ट्र देख नहीं सकते थे वह तो जन्म से ही अंधा थे इसलिए उनके पास में रखे थे संजय को । उन्हें पता है संजय को भगवान श्री कृष्ण से दिव्य दृष्टि प्राप्त हुई है इसलिए महाभारत में जो भी युद्ध के परिणाम होता था सभी परिणाम संजय अपने दिव्य दृष्टि से देख कर राजा धृतराष्ट्र को सुनाया करते थे । 


दूसरा महाभारत शुरू होने से पहले भगवान श्री कृष्ण ने पांडु पुत्र अर्जुन को प्रवचन दिया था जिसको हम लोग भागवत गीता के रूप में जानते हैं ।  प्रवचन देते समय भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपने विश्वरूप का दर्शन दिया था और उस समय दर्शन देने के कारण अर्जुन को दिव्य दृष्टि देना पड़ा नहीं तो ऐसे विराट विश्वरूप दर्शन करना अर्जुन के लिए अपने नेत्रों से संभव नहीं था । 

तीसरा आप तो जानते हैं रामायण के विषय में । रामायण होने से पहले ही पूरे रामायण लिख दिया था और यह संभव तभी हुआ जब बाल्मीकि मनी ने कठोर तप किया था और ब्रह्मा देव से वरदान प्राप्त किया था और दिव्य दृष्टि भी प्राप्त किया । वाल्मीकि मुनि ने भूत भविष्य और वर्तमान सभी जान सकते थे अपने दिव्य दृष्टि शक्ति से । 


आज हम जानने वाले हैं कि दिव्य दृष्टि क्या है ?  इसे कैसे प्राप्त करें और इसकी अत्यंत शक्तिशाली मंत्र से लाभ कौन से हैं ?


आप सभी ने तीसरी आंख के बारे में तो सुना ही होगा भगवान शिव के तस्वीर में देखा ही होगा और इसी को दिव्य नेत्र, दिव्य चक्षु और दिव्य दृष्टि । इस नेत्र के खुलने पर मनुष्य के जीवन में ऐसी शक्तियों का संचार होता है जिसका आप अनुमान भी नहीं लगा सकते हैं। इस नेत्र के खुलने पर भूत, भविष्य और वर्तमान आसानी से जाना जा सकता है, घर बैठे तीनों लोकों की यात्रा की जा सकती है। यह नेत्रों हम मनुष्य को दिखाई नहीं देता है मगर अंतरात्मा में दिखाई देता है अगर आप तीसरा नेत्र को जागृत करना चाहते हैं या उसी चीकू से देखना चाहते हैं तो चलिए कैसे आप सफल हो सकते हैं सारे बताएंगे ।


सबसे पहले आप किसी निर्जन स्थान पर बैठ जाए हाथ में एक 108 जप माला लेकर । नीचे दिया गया मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करके जाप करते रहें । जब तक आपको अपने तीसरी आंखों का आभास नहीं होता तब तक आप जाप करते रहे निरंतर । इस मंत्रों का जाप करते समय अपने मन को प्रबल शक्ति से बांध लीजिए और किसी भी प्रकार के दूसरी और आकर्षित ना हो । बस अपने मन को अपने शरीर को पूरी तरह समर्पित कर दीजिए ईश्वर के प्रति । यह मंत्र जाप करते-करते अपने आप सिद्ध हो जाता है आप खुद ही समझ सकते हैं इस मंत्र में इतना शक्ति हैं ।

प्रिय मित्रों इस फोटो को आप डाउनलोड करके अपने पास रखिए और इसे अच्छा से मंत्रों को पढ़कर याद कर लीजिए जाप करने में आपको आसान हो जाएगा ।

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