भ्रामरी देवी की मंत्र सिद्ध और साधना कैसे करें जानिए

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भ्रामरी देवी की मंत्र सिद्ध और साधना कैसे करें जानिए 


 दरअसल एक असुर था जिसने पूरे स्वर्ग लोक पर तहलका मचा के रखा था इसके कारण दुर्गा माता ने स्वयं भ्रामरी रूप धारण करके उसे वध किया था और उसमें कुछ दानव थे जहां सृष्टि के लिए बाधा उत्पन्न कर रहे थे उन सभी को दुर्गा माता ने वध किया था ।

वास्तव में माँ ने दैत्य का नहीं बल्कि उस नकारात्मक विचार का वध किया, जो सृष्टि को कष्ट दे रहा था। नकारात्मक विचार हमारे अन्दर भी है, जो कि 👉हमें दैत्यों की श्रेणी में ले जाकर खड़ा कर देते हैं। नकारात्मक विचारों के कारण ही हम कई-कई बार साधना करने के बावजूद भी सफल नहीं हो पाते हैं। क्योंकि हमारे अन्दर इतनी नकारात्मक ऊर्जा होती है, जहां साधना के प्रति, विधि के प्रति, सफलता के प्रति, हम चाहकर भी सकारात्मक मनस्थिति का निर्माण नहीं कर पाता हूं और खासकर देव वर्ग की साधनाओं में तो साधक को पूर्ण सकारात्मक होना आवश्यक है।


         प्रस्तुत साधना इसी विषय पर है। माँ भ्रामरी साधक की नकारात्मक ऊर्जा पर अपने असंख्य भ्रमरों से प्रहार करती है। या यूँ कहे कि वो भ्रमर नहीं बल्कि माँ ही है, जो भ्रमर रूप में साधक की नकारात्मक ऊर्जा पर प्रहार करती है और उसका नाश करती है। तब 👉साधक देव वर्ग की साधनाओं में सफलता प्राप्त करता  है।


कैसे करें साधना जानिए उसके विधि 


        यह साधना किसी भी नवरात्रि के प्रथम दिवस से आरम्भ की जा सकती है। यदि यह सम्भव न हो तो किसी भी कृष्णपक्ष की अष्टमी अथवा किसी भी रविवार से शुरु कर सकते हैं, परन्तु अष्टमी उत्तम है। आपका मुख दक्षिण की ओर हो तथा आपके आसन-वस्त्र लाल हों। सामने बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर पूज्य सद्गुरुदेवजी का चित्र एवं माँ भगवती का कोई भी चित्र स्थापित करना चाहिए।


       अब सर्वप्रथम सद्गुरुदेवजी का सामान्य पूजन सम्पन्न कर कम से कम चार माला गुरुमन्त्र जप करे। फिर सद्गुरुदेवजी से सकल नकारात्मकता नाशक भ्रामरी साधना सम्पन्न करने की अनुमति लें और उनसे साधना की निर्बाध पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करें।


         इसके बाद साधक संक्षिप्त गणेशपूजन सम्पन्न करे और "ॐ वक्रतुण्डाय हूं" मन्त्र की एक माला जप करे। फिर भगवान गणपतिजी से साधना की निर्विघ्न पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करे।


        फिर साधक संक्षिप्त भैरवपूजन सम्पन्न करे और "ॐ भं भैरवाय नमः" मन्त्र की एक माला जाप करे। फिर भगवान भैरवजी से साधना की निर्बाध पूर्णता और सफलता के लिए प्रार्थना करे।


         साधक को साधना से पहिले दिन संकल्प अवश्य लेना चाहिए।


        साधक दाहिने हाथ में जल लेकर संकल्प लें कि “ अपना गोत्र के नाम लेकर संकल्प करें आज से सकल नकारात्मकता नाशक भ्रामरी साधना आरम्भ कर रहा हूँ। मैं नित्य ९ दिनों तक सवा घण्टे तक मन्त्र जप करूँगा। माँ! मेरी साधना को स्वीकार कर मुझे मन्त्र की सिद्धि प्रदान करे तथा आप मेरी सभी नकारात्मक उर्जा को समाप्त कर दीजिए‚ जो मुझे साधना में बाधा देती है।”


        इसके बाद साधक 👉माँ भगवती भ्रामरी देवी का सामान्य विधि से पूजन करे और लाल पुष्प अर्पण करे। चूँकि यह माँ भ्रामरी देवी की साधना है, अतः गुलाब के फूलों का रस माँ को भोग में अर्पण करे। क्यूँकि भ्रमर फूलों का रस ही पीते हैं, इस साधना में माँ भी उसी रस का पान करती है। साधना के बाद रोज़ यह रस किसी वृक्ष की जड़ में डाल दिया करे। उस वक्त इस प्रकार दीपक जलाए जहां घंटे तक जलते रहे हैं ।


        अब माँ से प्रार्थना करे कि माँ आप मेरी सभी नकारात्मक उर्जा को समाप्त कर दीजिए‚ जो मुझे साधना में बाधा देती है। अब दीपक की लौ पर त्राटक करते हुए निम्न मन्त्र का जाप करे ।



नीचे दिया गया मंत्रों का जप करें

इस मंत्र 51 वार जब करें ।


      ।। 👉ॐ ह्रीं भ्रामरी महादेवी सकल नकारात्मकता नाशय नाशय छिंदी छिंदी कुरु कुरु फट स्वाहा ।।


इस मंत्र यदि सिद्ध हो जाने से आप अपने मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं । भ्रामरी माता स्वयं आपको कृपा करेंगे इससे आपकी संसार में जो भी बाधा और संकट होगी उसे नष्ट कर देंगे । 

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