गीता के अनुसार सबसे बड़ा पुण्य क्या है कैसे जानें ?


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 सबसे बड़ा पुण्य क्या है ?



सबसे बड़ा पुण्य क्या है दोस्तों विस्तार से जानने के लिए हमारे साथ बने रहिए आशा करते हैं यह जानकारी आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाले हैं । अगर आप वास्तव में अपना जीवन को सफल बनाना चाहते हैं तो कुछ ऐसे जानकारी होते हैं जहां अधिकांश लोगों को पता नहीं है आज हमारे आर्टिकल के माध्यम में वही जानकारी प्राप्त कर सकेंगे जहां आपके जीवन हमेशा सफल प्राप्त करेंगे । हम इंसान जन्म लेते हैं मगर हमारे सही कर्म क्या है और गलत कर्म क्या है यह तो हमारे माता-पिता ही सर्वप्रथम बताते हैं उसके बाद स्कूल का शिक्षक और अपना गुरुदेव । हम सभी को हमेशा याद रखना चाहिए कि भगवान अगर सामने हैं तो वह है सर्वप्रथम माता पिता । जो व्यक्ति अपने माता पिता की सेवा में किंचित त्रुटि नहीं रखते हैं ऐसे व्यक्ति को तो भगवान  खुश रखते हैं उनके हार बाधाओं का विनाश होते हैं । वर्तमान कलयुग है इस युग में पुण्य से ज्यादा पाप होते दिखाई देंगे आप यदि पुण्य कर्म करने भी चाहेंगे तो बहुत बधाई आएंगे आपके सामने जहां पाप करने में मजबूर कर देते हैं । वर्तमान आज के दौर में जिस प्रकार जिस परिस्थिति में मनुष्य गुजर रहे हैं पुण्य करना इतना आसान नहीं है । अगर व्यक्ति चाहेंगे इस कठिन कार्य को भी आसान बना सकते हैं इसके लिए हमेशा हरे कृष्णा हरे रामा रामा रामा हरे हरे इस महामंत्र का जाप सुबह शाम जाप अवश्य करें इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव उस व्यक्ति के ऊपर नहीं आ सकता है । क्योंकि यही एक कलयुग का महा मंत्रों है । इस युग में यदि कोई व्यक्ति हमेशा पाप से दूर रहना चाहते हैं तो यह मंत्रों उनके लिए बहुत ही फायदेमंद है । 



दोस्तों वर्तमान आज के दौर में आप जरूर देखे होंगे  लोग रिश्वत खाते हैं, लोग बलात्कार करते हैं नासा करके बहुत लोगों को अत्याचार करते हैं । जो यह सब कुकर्म कर रहे हैं क्या उनका बुद्धि नहीं है क्या उन्हें पता नहीं है कि यह वह सब पाप कर रहे हैं ? सब कुछ देखते हुए जानते हुए भी यह लोग क्यों कर रहे हैं पाप क्योंकि इस कलयुग में आपको पाप करने में उत्साहित करते हैं और आपको ऐसे लालच में डुबो देंगे जहां आप आकर्षित होंगे पाप करने में । इसलिए व्यक्तित्व जीवन में अगर आप सफल बनाना जाते हैं तो सुबह शाम हरि नाम जाप अवश्य करें इससे आपके जीवन में बहुत  सुख प्राप्त होंगे ।




धर्म के अनुसार, सबसे बड़ा पुण्य है भगवद गीता में बताए गए तीन प्रकार के कर्मों को करने से मिलता है। 


दैनिक कर्म - जो हम रोजमर्रा के जीवन में करते हैं।

नैमित्तिक कर्म - जो हम नियमित अंतरालों में करते हैं, जैसे यज्ञ, पूजा, सदाचार आदि।

काम्य कर्म - जो हम अपनी इच्छा के अनुसार करते हैं, जैसे धन कमाना, स्वार्थपरता, लोभ आदि।

धर्म के अनुसार, दैनिक और नैमित्तिक कर्म करने से सम्पूर्ण पुण्य प्राप्त होता है, जो समाज के लिए भलाई के रूप में उपयोगी होता है। इसके अलावा, निष्काम कर्म भी सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है, जो आपके स्वयं के लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए किया जाता है।

धर्म के अनुसार, सबसे बड़ा पुण्य उस क्रिया या अचरण से होता है जो समाज के लाभ के लिए किया जाता है। जैसे कि गरीबों या बेसहारा लोगों की सहायता करना, जीवन बचाना, स्वच्छता बढ़ाना और विश्वास की रक्षा करना।


धर्मों के अनुसार, सबसे बड़ा पुण्य भी उस कार्य से होता है जो ईश्वर को प्रसन्न करता है या उससे निकटता बढ़ाता है। जैसे कि पूजा, ध्यान, दान, यज्ञ और अन्य धार्मिक क्रियाएं।


विभिन्न धर्मों में इन दोनों प्रकार के पुण्य के महत्व को अलग-अलग रूप से व्याख्या किया जाता है। हालांकि, सबसे बड़ा पुण्य वह होता है जो निस्वार्थ होता है और सभी जीवों के लाभ के लिए किया जाता है। सबसे बड़ा बनना काम क्या है मित्रों सबसे बड़ा पुनकम यह है कि आप सभी जीवो से लगाव रखें प्रेम करना सीखे अपनों से ज्यादा दूसरों को प्रेम बांटे यही है सबसे बड़ा पुण्य का काम ।

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