गुरु क्यों बनाना चाहिए और गुरु ज्ञान हमें क्यों लेना चाहिए ? जानें

bholanath biswas
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 गुरु ज्ञान हमें क्यों लेना चाहिए ? पर गुरु ज्ञान हमें कब आवश्यकता पड़ती है जानिए हमारे साथ । दोस्तों नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपको स्वागतम हैं ।


garugyan

गुरु क्यों बनाना चाहिए ?


वर्तमान कुछ लोगों के मन में सोच ऐसी है कि अपने आप को बहुत ज्ञानी समझते हैं । आधा ज्ञान लेकर चलने वाले व्यक्ति अपने आपको महा ज्ञानी समझने लगे हैं । आज के वर्तमान युग में हिंदू धर्म में अधिकांश लोगों के गुरु नहीं है जहां हमें सभी को गुरु होना चाहिए । मनुष्य जीवन में यदि किसी के गुरु नहीं है तो यह जीवन बिल्कुल बेकार हैं । क्योंकि ज्ञान बिना जीवन अधूरा होता है और वह ज्ञान गुरु से ही लिया जाता है । जिससे हमारे जीवन सफल बनाने में काम आती हैं ।  मैं आज आपको एक कहानी द्वारा बताने जा रहा हूं हमें गुरु की ज्ञान क्यों चाहिए !


पुराने जमाने कहानी एक बुद्धिमान युवक चित्रकला सीखने कलाचार्य के पास गया। उसकी ललक देखकर गुरु ने उसे अपना शिष्य बना लिया। कुछ ही दिनों में मेहनत और लगन से युवक चित्रकला में परिपूर्णता से निपुण हो गया। जहां लोग उसकी रचना देखकर मंत्रमुग्ध होने लगे।


धीरे-धीरे बुद्धिमान युवक की ख्याति दूर-दूर तक फैलने लगी। फिर एक दिन राजा ने उसे दरबार में आमंत्रित किया और उसे अपना ही अब तक का सर्वश्रेष्ठ चित्र बनाने को कहा। 


कलाकार जैसे ही चित्र बनाने लगा,तो  एक समस्या में उलझ गया, क्योंकि राजा एक आंख से काना था। यदि वह असली चित्र बना ले तो राजा को अच्छा नहीं लगने की दशा में वह उसे मौत की सजा दे सकता है और अगर वह दोनों आंखें सही बना देता तो गलत चित्र बनाने की स्थिति में राजा उसे मृत्युदंड देंगे । आखिर बुद्धिमान लड़के बहुत ही सोच में पड़ गया कैसे क्या करें ।

अगर वह चित्र ही न बनाता तो राजा क्रोधित हो जाता और उसे अवश्य मौत की सजा दे सकते हैं।

 यही सोच सोच के अपने गुरु की याद आई और फिर गुरु के पास जाकर उसने अपनी व्यथा सुनाई। गुरु ने बताया कि राजा को धनुर्धर के रूप में चित्रित करो , जिसमें वह घोड़े पर सवार होकर तीर से निशाना लगा रहा हो।


Teer nisana


गुरु की इस बात सुनकर बड़ी खुशी हुई और फिर अपने दिमाग चलाने लगे

वह उस आंख को बंद दिखा दे, जो आंख काना था। चित्रकार की समस्या खत्म हुई।

आखिर बुद्धिमान लड़के अपने गुरु की सलाह से अपने कार्य को संपन्न कर पाया ।

 चित्र में राजा स्वयं को योद्धा के रूप में देखकर बहुत ही खुशी हुआ और उसे इनाम व सम्मान प्रदान कर विदा किया। 


मानो या ना मानो आपके अंदर कितने भी बुद्धि हो लेकिन गुरु के ज्ञान एक वरदान की जैसा होता है जिसकी ना कोई काट है ना कोई तोड़ है । इसलिए हमें सभी मनुष्य को गुरु ज्ञान की आवश्यकता है जिसके जरिए अपने जीवन को सफल बना सकते हैं किसी भी प्रकार के संकट भी दूर कर सकते हैं ।


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