कुरान की खूनी आयतें :
कुरान की इस आयतों को खूनी आयतें क्यों कहा जाता है और इसे पढ़ने के बाद लोगों के मन में क्या सोच पैदा होता है जानिए हमारे साथ मित्र नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है । कहा जाता है इस्लाम धर्म के पवित्र कुरान पढ़ने के बाद इंसान की सोच बदल जाता है, भावनाएं बदल जाती है धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है । मगर कुरान के इन आयतों के पढ़ने के बाद ऐसा लगता है कि धर्म के मार्ग छोड़ अधर्म की रास्ता और ले जा रहे हैं । मित्रों हर धर्म के पुस्तकें होते है और पुस्तक के जरिए ईश्वर को प्राप्त किया जाता है । लेकिन पवित्र कुरान की इस आयत के पढ़ने के बाद क्या कोई ईश्वर को प्राप्त कर सकता है आपके राय जरूर बताइए ।
चलिए जानते हैं कुरान में कितने खूनी आयतें लिखी गई है ।
सूरा 9 आयत 5 👉जब सम्मानित महीने बीत जायें, तो मिश्रणवादियों (मुश्रिकों) का वध करो, उन्हें जहाँ पाओ और उन्हें पकड़ो और घेरो और उनकी घात में रहो। फिर यदि वे तौबा कर लें और नमाज़ की स्थापना करें तथा ज़कात दें, तो उन्हें छोड़ दो। वास्तव में, अल्लाह अति क्षमाशील, दयावान् है। यह आयत का जिसने भी तर्जुमा किया हे उसे मे पेह्ले कहा हे के (अतः जब सम्मानित महीने बीत जायें, तो मिश्रणवादियों (मुश्रिकों) का वध करो,) आप ह्मे ये बताए के अगर वध कर दे तो बाद मे जो कहा गया हे उस्का कुच्छ मतलब नहि हो ता हे (क्या वध के बाद यह हो सक्ता हे ? (उन्हें जहाँ पाओ और उन्हें पकड़ो और घेरो और उनकी घात में रहो। फिर यदि वे तौबा कर लें और नमाज़ की स्थापना करें तथा ज़कात दें, तो उन्हें छोड़ दो। वास्तव में, अल्लाह अति क्षमाशील, दयावान् है।
👉जो लोग मूर्ति पूजा करते हैं उन्हें इस्लाम भाषा में (मुश्रिकों )कहां जाता है यानी जो लोग मूर्ति पूजा करते हैं वह लोग इस्लाम के लिए सबसे बड़ा दुश्मन है, शैतान हैं उन्हें पकड़ो और कत्ल कर दो । मूर्ति पूजा एक नापाक है , मूर्ति पूजा करने वालों को अल्लाह कभी क्षमा नहीं करते हैं । उन मूर्ति पूजा वालों को तब तक मारो जब तक कि अल्लाह के शरण में ना आ जाए । मूर्ति पूजा वाले अगर नमाज पढ़ने के लिए तैयार है ,अल्लाह का नाम लेने के लिए इच्छुक है तो उसे क्षमा कर दो क्योंकि अल्लाह बहुत दयावान है ।
प्रिय दोस्तों आप तो जानते हैं कि दुनिया में सिर्फ मुसलमान ही नहीं और भी अलग-अलग धर्म के लोग रहते हैं जहां अपने मूर्ति पूजा करके ईश्वर को प्राप्त करते हैं । मूर्ति पूजा वाले अगर अल्लाह के नजरों में शैतान है तो फिर अलग-अलग धर्म कैसे बना ? क्या यह लोग पहले से थे या इस्लाम धर्म के बाद में हिंदू, ईसाई, बौद्ध, यहूदी, जैन धर्म अलग हुए हैं यह प्रश्न सभी के दिमाग में होना चाहिए ।
चलिए जानते हैं सुरा 9 के 28 आयत में क्या कहा गया है ।
28) एहले किताब में से जो लोग न तो (दिल से) ख़ुदा ही पर इमान रखते हैं और न रोज़े आखि़रत पर और न ख़ुदा और उसके रसूल की हराम की हुयी चीज़ों को हराम समझते हैं और न सच्चे दीन ही को एख़्तियार करते हैं उन लोगों से लड़े जाओ यहाँ तक कि वह लोग ज़लील होकर (अपने) हाथ से जज़िया दे ।
👉प्रिय दोस्तों यहां भी लड़ने की बात कही गई है कि उन लोगों से लड़ो जो लोग अल्लाह को नहीं मानते हैं गैर मुस्लिम वाले तुम्हारे दुश्मन हैं ।
जानिए सूरा 9 आयत 122 में क्या लिखा है ।
(122) ऐ इमानदारों कुफ्फार में से जो लोग तुम्हारे आस पास के है उन से लड़ों और (इस तरह लड़ना) चाहिए कि वह लोग तुम में करारापन महसूस करें और जान रखो कि बेषुबहा ख़ुदा परहेज़गारों के साथ है ।
👉इसमें यह लिखा है कि आप एक सच्चे मुसलमान होकर आपके आसपास में जो भी गैर मुस्लिम है उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रेम से समझाओ । अगर धर्म परिवर्तन नहीं किया तो जबरन उसे धर्म परिवर्तन करें इसके लिए खुदा आपके साथ हैं । अल्लाह बहुत ही दयावान है ।
जानिए सुरा 2 आयत 193 में क्या लिखा है ।
उनसे तब तक लड़ो जब तक कोई [अधिक] फ़ितना न हो और [जब तक] धर्म [अर्थात, पूजा] अल्लाह के लिए [स्वीकार किया गया] हो। लेकिन अगर वे बंद हो जाते हैं, तो उत्पीड़कों के अलावा कोई आक्रमण [यानी हमला] नहीं होना चाहिए।
👉 इस आयत में यह लिखा है कि जब तक गैर मुस्लिम पूजा स्थल बंद ना करें अल्लाह के सिवा किसी को और माने तो उस से युद्ध करो और पूजा स्थल को समाप्त करो । अल्लाह के स्मरण में आने के लिए पीड़ित करो अगर गैर मुस्लिम अल्लाह के शरण में आ जाए तो उस पर आक्रमण मत करो । अल्लाह बहुत ही दयावान है ।
सुरा 48 आयत 20 में क्या लिखा है जानिए ।
भगवान ने आपसे बहुत अधिक लूट का वादा किया था कि आपको इसका अधिकार मिल गया है इसलिए उन्होंने आपको यह (खैबर की लूट) जल्दी से दे दी और (हुबैदिया से) लोगों को आपसे आकर्षित करना बंद कर दिया और गड़गड़ाहट यह थी कि मोमिनिन के लिए (प्रकृति) का एक मॉडल बनो और ईश्वर आपको सीधे रास्ते पर ले जाए ।
👉 जिस पर युद्ध करके आप विजई प्राप्त कीए हैं उसका धन आपका है यानी युद्ध करके परास्त करने के बाद जो भी धन है यह आपको अल्लाह ने वरदान के रूप से दिया है आप उसे भोग कर सकते हो लूट सकते हो । गैर मुसलमानों से युद्ध करके अपने को और शक्तिशाली बनाओ अल्लाह बहुत ही दयावान है आपका साथ देंगे ।
प्रिय दोस्तों इस्लाम के पवित्र कुरान इस आयत का अगर छोटे बच्चे पढ़ेंगे तो उनके दिमाग में दूसरे धर्म के लोगों के प्रति क्या भावनाएं जन्म ले सकते हैं अपना राय जरूर बताइए ।