राधा मैया के 108 नाम जानने के लिए हमारे साथ बने रहिए मित्र नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है ।🙏
कहा जाता है कि राधा मैया का नाम लेने से आपके घर में सारे दरिद्रता खत्म हो जाते हैं और आपके संकट भी दूर हो जाते हैं क्योंकि राधा मैया का नाम लेने से भगवान श्री कृष्ण बहुत प्रसन्न हो जाते हैं जिसके कारण आप पर सदैव भगवान श्री कृष्ण की कृपा बने रहते हैं ।
शायद आपको तो पता ही होगा कि भगवान श्री कृष्ण के नाम लेने से पहले राधे मैया का नाम लेना अनिवार्य है तभी आप भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकते हैं । भगवान श्री कृष्ण और राधा की लीला अगर आप नहीं सुने हैं तो मैं थोड़ी सी बताने की प्रयास कर रहा हूं । राधा मैया भगवान श्री कृष्ण को बहुत प्रेम करते थे तन मन यानी अपने जीवन अर्पित कर दिया था भगवान श्री कृष्ण के लिए । कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण और राधा मैया एक है भले ही उनके रूप अलग है मगर उनके आत्मा एक है जिसके कारण भगवान श्री कृष्ण ने राधा मैया के साथ विवाह नहीं की ।भगवान श्री कृष्ण ने उल्लेख किया था कि विवाह उनके साथ किया जाता है जो आत्माओं से अलग है । राधा मैया और भगवान श्री कृष्ण की आत्मा एक है जिसके कारण उन्होंने राधा मैया से विवाह नहीं किया तो मित्रों चलिए जानते हैं राधा मैया का 108 नाम क्या है ।
1) राधा - राधा
2) गंधर्विका - गंधर्विका, वह जो गायन और नृत्य में माहिर है
3) गोस्थयुव-रजिका-कामिता - व्रज के राजकुमार द्वारा वांछित एकमात्र लड़की
4) गंधर्व राधिका - जिनकी पूजा गंधर्व-स्वर्गदूतों द्वारा की जाती है
5) चंद्रकांतिर – जिनकी चमक चंद्रमा के समान हो
6) माधव-संगिनी - माधव के साथ कौन
7) दामोदरद्वैत-सखी - दामोदर की बेजोड़ प्रेमिका
8) कार्तिकोत्कीर्तिदेस्वरी - वह रानी जो कार्तिक मास में यश प्रदान करती है
9) मुकुंद दयाता-वृंदा धम्मिला मणि-मंजरी - मुकुंद की महिला मित्रों का शिखा रत्न
१०) भास्करोपासिका - जो सूर्य की पूजा करते हैं || १० ||
११) वर्शभानवी - राजा वृषभानु का कौन है?
12) वृषभानुज - जो राजा वृषभानु से पैदा हुए हैं
१३) अनंग मंजरी - अनंग मंजरी की बड़ी बहन
14) जेष्ठ श्रीदामा - श्रीदामा की छोटी बहन
१५) वरजोत्तमा - महानतम (स्त्री.)
16) कीर्तिदा-कन्याका- कीर्तिदा की पुत्री
१७) मातृ-स्नेहा-पियुसा-पुत्रिका – जो अपनी माँ के स्नेह की अमृत वस्तु है
१८) विशाखा-सवायः - विशाखा के समान उम्र का कौन है?
19) प्रेस्थ विशाखा जिवितधिका - विशाखा को जान से भी ज्यादा प्रिय कौन है?
20) प्रणद्वितीय ललिता - जो कोई और नहीं बल्कि ललिता का जीवन है || 20 ||
२१) वृंदावन विहारिणी - वृंदावन में आनंद मिलता है
२२) ललिता प्राण-लक्षिका-रक्षा – जो लाखों बार ललिता के जीवन को बचाती है
23) वृंदावनेश्वरी - वृंदावन की रानी
२४) व्रजेंद्र-गृहिणी कृष्ण-प्रया-स्नेह-निकेतनम - जो माता यशोदा को कृष्ण के समान प्रिय हैं
२५) व्रज गो-गोपा-गोपाली जीव-मात्रिका-जीवनम - व्रज की गायों, चरवाहों और चरवाहों के जीवन का एकमात्र जीवन कौन है
26) स्नेहलभिरा-राजेंद्र - राजा नंद के स्नेह का पात्र कौन है?
२७) वत्सलस्युत-पूर्व-ज – बलराम से माता-पिता का स्नेह किसे मिलता है
28) गोविंदा प्रणयधारा सुरभि सेवानोत्सुका - गोविंदा के प्यार का उद्देश्य कौन है (गोविंदा अपनी सुरभि गायों की सेवा करने के लिए उत्सुक हैं)
२९) धृत नंदीश्वर-क्षेम गमनोतकांति-मनसा - जो कृष्ण की सेवा के लिए नंदीश्वर जाने के लिए बहुत उत्सुक हैं
३०) स्व-देहद्वैतत द्रष्ट धनिष्ठा-दर्शन - जिसे धनिष्ठा ने उनसे अलग नहीं माना और उनके ध्यान में देखा, (धनिस्थ यशोदा की दासी हैं) || 30 ||
31) गोपेंद्र-महिषी पका-शाला-वेदी प्रकाशिका - जो माता यदोसा की रसोई में दिखाई देती हैं
३२) अयूर-वर्धा-करधना - जिसके पके हुए अनाज कृष्ण के जीवन को बढ़ाते हैं
33) रोहिणी घृत-मस्तक - जिसका सिर रोहिणी द्वारा गलाया जाता है
३४) सुबाला न्यस्त सरूप्य - जिसने सुबाला को हर्स के बराबर एक रूप दिया है
३५) सुबाला प्रीति-तोसीता - जो सुबाला का बहुत शौकीन है
३६) मुखारा-द्रक सुधा-नप्त्री - मुखारा की दृष्टि में अमृत कौन है
37) जतिला दृष्टि-भसीता - जो अपनी सास जतिला को देखकर डरती है
38) मधुमंगला नरमोक्ति जनिता-स्मिता-चन्द्रिका - मधुमंगला के चुटकुलों को सुनकर चन्द्रमाओं की तरह मुस्कुराती कौन है
३९) पूर्णमासी बहिह खेलत प्राण-पंजारा सारिका - वह तोता जिसका दिल पूर्णमासी के पिंजरे में कैद है
४०) स्व गणद्वैत जीवतुः सवियाहंकर-वर्धिनी - जो उसके दोस्तों का एकमात्र जीवन है || 40 ||
४१) स्व गणोपेंद्र पदब्ज – जो अपने सगे-संबंधियों का अभिमान बढ़ाते हैं
42) स्पार्सा-लंभाना हरसिनी - जो अपने दोस्तों के साथ उपेंद्र के पैर छूकर बहुत खुश होती है
43) शिव वृंदावनोदयन पालिका कृत-वृंदाका - जिसने वृंदा को वृंदावन के उद्यानों का प्रभारी बनाया है
४४) जनता वृन्दतावी सर्व लता-तरु-मृग-द्विज – जो वृंदावन के सभी लताओं, पेड़ों, हिरणों और पक्षियों से जानी जाती है
45) इसाक चंदन समग्रता नव-कास्मिरा-देहा-भः जिसका शरीर कुछ चंदन के साथ ताजा सिंदूर जमीन से चमकता है
46) ज्ज्वा-पुष्पा पृथा-हरि पट्टा सिनारुणंबरा - जिसकी रेशमी पोशाक जावा फूल से अधिक लाल चमकती है
47) कैरनबज-ताल-ज्योतिर अरुणाकृत-भूटाला - जिनके कमल के तलवे पृथ्वी की सतह को लाल-लाल चमकते हैं
48) हरि चित्त कैमतकारी कारु नुपुर निहस्वन - जो अपने पायल की मधुर ध्वनि से हरि के मन को चकित कर देती है
49) कृष्ण-श्रंति-हर श्रोनि पीठ-वल्गिता घंटािका - जिनकी कमर की मधुर ध्वनि कृष्ण की थकान को दूर करती है
५०) कृष्ण सर्वस्व पिनोदयत कुकनकन मणि-मालिका - मोती का हार जिसके दृढ़, उभरे हुए स्तन कृष्ण के लिए सब कुछ है || ५० ||
५१) नाना-रत्नोलसाद शंख-कुड़ा कारु भुज-द्वय - जिनकी दो सुंदर भुजाएँ विभिन्न रत्नों के साथ शंख चूड़ियों से सुशोभित हैं
५२) स्यमंतक-मणि भृजन मणि-बंधति-बंधुरा – जिसकी कलाई पर सुंदर स्यामंतक रत्न चमकता है
53) सुवर्ण दर्पण-ज्योतिर उलंघी मुख-मंडला - जिसके चेहरे की चमक सुनहरे दर्पण को हरा देती है
५४) पक्का ददिमा बीजाभ दन्तकष्टाभिक चूक - जिनके दांत पके अनार के दानों की तरह चमकते हैं, तोते की तरह अघाभित (कृष्ण) को आकर्षित करते हैं।
५५) अब्जा-रागड़ी सरस्तब्ज-कालिका कर्ण-भूषण – जिनकी माणिक बालियां कमल की कलियों के आकार की हैं
५६) सौभाग्य काजलंककट नेत्रानंदिता खंजना - जिनकी पूंछ जैसी आंखों का सुंदर आईलाइनर से अभिषेक किया जाता है, जिससे आंखों को बहुत खुशी मिलती है
57) सुव्रत मुक्ता मुक्ता नासिका तिलपुष्पिका - जिसकी नाक तिल के फूल के समान सुंदर है, गोल मोती से सुशोभित है।
58) सुकारु नव-कस्तूरी तिलकंचित-भालका - जिसका मस्तक ताजी कस्तूरी से बने सुंदर तिलक से सुशोभित है।
५९.दिव्या वेनि विनिर्धुता केकी-पिंच-वर-स्तुतिः- जिनकी दिव्य केश मोर पंख से पूजी जाती है (सौंदर्य में परास्त होकर)
६०) नेत्रंता-सारा विध्वसंक्रता कनुराजिद धृतिः - जिनके दर्शन के बाण कृष्ण के धैर्य को नष्ट कर देते हैं, जिन्होंने कैनुरा पहलवान को हराया || 60 ||
६१) स्फुरत कैसोरा-तरुण्य संधि-बंधुरा-विग्रह – कौन खिल रहा है किशोर सौंदर्य व्यक्तित्व
62) माधवल्लसकोनमत्ता - माधव को कौन प्रसन्न करता है
63) पिकोरू मधुरा-स्वरा - जो अपनी मधुर, कोयल जैसी आवाज से माधव को मदहोश कर देती है
६४) प्राणयुत-सत प्रतिष्ठा माधवोत्कीर्ति-लम्पता/- जो लाखों जीवनों से अधिक माधव की महान महिमा से जुड़ी है
६५) कृष्णपंग-तरंगोद्यत स्मिता-पियुसा-बुदबुड़ा/- जिनकी अमृत मुस्कान कृष्ण की दृष्टि की तरंगों पर बुलबुले प्रदान करती है
६६) पुंजीभूत जगलज्जा वैदगधि-दिग्धा-विग्रह - जो चतुराई का ही रूप है, जो सारे संसार को लज्जित करता है
६७) करुणा विद्रवाद देह मूर्तिमान - जिनका शरीर दया से पिघलता है
६८) माधुरी-घटा - जो प्रचुर मात्रा में मधुरता का व्यक्तित्व है
६९) जगद-गुणवती-वर्ग गियामना गुनोकाया - जिनकी महिमा दुनिया की सभी महान महिलाओं द्वारा जोर से गाई जाती है
७०) सस्यादि सुभागा-वृंदा वंद्यमनोरु-सौभागा - जिसकी सती जैसी सुंदर महिलाओं द्वारा निरंतर प्रशंसा की जाती है || 70 ||
७१) वीणा-वदान संगीता रसालस्य विसारदा- जो रस नृत्य में वीणा गाने और बजाने में माहिर हैं।
72) नारद प्रमुखोद्गीता जगद आनंदी सद-यःः जिनकी शुद्ध महिमा नारद के नेतृत्व वाले ऋषियों द्वारा गाए जाते हैं, जो दुनिया को आनंद देते हैं
73) गोवर्धन-गुहा गेह गृहिणी - वह गोवर्धन में गुफाओं में गृहिणी हैं
७४) कुंजा-मंडन - वह कुंज को सजाती है
75) चंदमसु-नंदिनी बद्ध भगिनी-भव-विभ्रम- उसका यमुना के साथ एक बहन का रिश्ता है, (यमुना सूर्य की बेटी है और राधा वृषभ में सूर्य वृषभानु की बेटी है)
७६) दिव्य कुंडलता नर्म साख्य-दम-विभूति- वह दिव्य कुंडलता की मित्रता की माला से सुशोभित हैं
७७) गोवर्धनधरहलादि श्रृंगार-रस-पंडिता - वह गोवर्धन के धारक को आनंद देने वाली, कामुक उत्साह में प्रोफेसर हैं
७८) गिरिंद्र-धारा वक्ष – गोवर्धन धारण करने वाली के सीने पर वह लक्ष्मी है
79) श्रीह शंखकुदरी-जीवनम - वह शंखकुड़ा के शत्रु का जीवन है
80) गोकुलेंद्र-सुता-प्रेम काम-भूपेंद्र-पट्टनम - गोकुलेंद्र के पुत्र के प्रेम के लिए वह कामदेव की बस्ती है || 80 ||
८१) वृसा-विध्वांसा नरमोक्ति स्व-निर्मिता सरोवर – जिसने अरिस्ता के हत्यारे का मज़ाक उड़ाए जाने के बाद अपना तालाब बनाया
८२) निज कुंड-जला-क्रीड़ा जीता संकरणानुज – जिसने अपने ही तालाब में संकर्षण के छोटे भाई को खेल में हराया
८३) मुरा-मर्दना मतेभ विहार-मृत-दिर्गिका - वह नशे में धुत हाथी के लिए आनंद का अमृत तालाब है जिसने मुरा को हराया था
८४) गिरिंद्र-धारा-परिंद्र रति-युधोरु सिम्हिका – वह एक शक्तिशाली शेरनी है जो शेरों के राजा के साथ कामुक खेल लड़ती है, जो सबसे अच्छे पहाड़ों की धारक है
85) स्व तनु-सौरभोंमट्टी कृत मोहन माधव - जो अपनी मादक शारीरिक सुगंध से माधव को मंत्रमुग्ध कर देती है
८६) दोर-मुलोकलाना क्रीदा व्यकुली-कृता केशव - जो केशव को अपनी कांख दिखाकर उत्तेजित करती है
८७) निज कुंड-तती कुंजा कल्पवृत केली कलोद्यमा - जो अपने ही तालाब के किनारे कुंजा में अपने कलात्मक नाटकों का विस्तार करती है
८८) दिव्या मल्ली-कुलोल्लासी सय्यकल्पिता विग्रह – जो आनंद से वहाँ दिव्य चमेली के फूलों की शय्या बनाता है
८९) कृष्ण वामा-भुज न्यास्ता कारु दक्षिणा गंडका - जो कृष्ण की बायीं भुजा पर अपना सुंदर दाहिना गाल रखती हैं
९०) सव्या बहू-लता बद्ध कृष्ण दक्षिणा सद-भुजा/- जो कृष्ण की दाहिनी भुजा को अपनी बायीं दाखलता जैसी भुजा से धारण करती हैं || 90 ||
९१) कृष्ण दक्षिणा कारु स्लीस्ता वमोरु-रंभिका - जिसका सुंदर, चौड़ा, केले जैसा बायां कूल्हा कृष्ण के दाहिने कूल्हे को छूता है
९२) गिरिंद्र-धारा ड्रग-वक्षोर मर्दी-सुस्ताना-पर्वत – जिनके सुन्दर, पर्वत जैसे स्तनों की गोवर्धन धारण करने वाले द्वारा मालिश की जा रही है।
९३) गोविंदधारा पियुस वसीताधारा-पल्लव - जिनके पत्ते जैसे होंठ गोविंदा के होठों के अमृत से महकते हैं
९४) सुधा-संकाय कारुक्ति सीताली-कृत माधव - जिनके सुंदर शब्दों से माधव को ठंडा करके अमृत वितरित किया जाता है ।
95) गोविंदोद्गीरना तंबुला राग राज्यत कपोलिका/- जिनके गाल गोविंदा के होठों से तवे से रंगे हुए हैं।
९६) कृष्ण सम्भोग सफली-कृत मनमथ संभव - जो कृष्ण की कामुक भोगों की कल्पनाओं को महसूस करता है
९७) गोविंदा मरजीतोदमा रति-प्रसविन्ना संमुख - वह विपुल पसीना जिसके चेहरे से गोविंदा पोंछते हैं
९८) विशाखा विजिता क्रीड़ा-संति निद्रालु-विग्रह - कृष्ण के साथ खेलने के बाद जब वह सो जाती है, तो विशाखा द्वारा उसे हवा दी जाती है।
99) गोविंदा-चरण-न्यास्ता काय-मनसा जीवन - जिसने अपना जीवन, शरीर और मन गोविंदा के चरण कमलों में रखा है
१००) स्वप्रनारबुद निर्माणमंच्य हरि पद-राजः काना - जो करोड़ों हृदयों से हरि के चरणकमलों की धूलि की पूजा करते हैं || १०० ||
१०१) अनुमात्रच्युतदर्सा सय्यमनात्मा लोकाना - जो हर पल अपनी आँखों को श्राप देती है कि वे अच्युता को नहीं देखते हैं
१०२) नित्य-नूतन गोविंदा वक्रा-सुभ्रांसु-दर्शन - जो गोविंदा के हमेशा ताजा चाँद जैसा चेहरा देखता है
१०३) निहसीमा हरि-माधुर्य सौंदर्याद्येक-भोगिनी - जो हरि की अनंत मधुरता और सुंदरता का एकमात्र भोक्ता है
१०४) सप्तन्या धाम मुरली-मात्रा भाग्य कटकसिनी – जो केवल अपनी सह-पत्नी, मुरली बांसुरी के भाग्य पर पलक झपका सकती है
१०५) गढ़ बुद्धि-बाला क्रीड़ा जीता वामसी-विकारसिनी - जो एक जुए के मैच में कृष्ण को हराकर उनकी बांसुरी लेता है
१०६) नर्मोक्ति कैंड्रीकोटफुल्ला कृष्ण कामब्दी-वर्धिनी - जो अपने मज़ाकिया शब्दों की पूर्णिमा की किरणों से कृष्ण की इच्छाओं के सागर को बढ़ाती है
१०७) व्रज-चन्द्रेन्द्रिय-ग्राम विश्राम-विधु-सालिका - व्रज (श्री कृष्ण) के चंद्रमा की सभी इंद्रियों के लिए चंद्रमा जैसा विश्राम स्थल कौन है
१०८) कृष्ण सर्वेंद्रियोंमदि राधेयक्षर-युगमाका - जिनके नाम के दो अक्षर राधा कृष्ण की सभी इंद्रियों को पागल कर देते हैं || 108 ||
दुर्गा जी के 108 नाम संस्कृत में PDF