विश्व का सबसे वैज्ञानिक धर्म कौन सा है ?
हिंदू धर्म को संसार का सबसे वैज्ञानिक धर्म क्यों माना जाता है इस चीज को हम जानेंगे लेकिन उससे पहले अगर हमारे वेबसाइट में आप नए हैं तो फॉलो करें और हमारे साथ इसी तरह जुड़े रहे हिंदू धर्म को इस संसार का सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक धर्म माना जाता है और सिर्फ मना ही नहीं जाता बल्कि इसके प्राचीनतम होने के अनेक प्रमाण भी उपलब्ध है । इतिहास इस बात का साक्षी है हिंदू धर्म विश्व का प्राचीनतम धर्म है वेदों पर आधारित होने के कारण यह वैदिक धर्म भी कहा जाता है । संसार के बीच बड़े देशों में हिंदू धर्म की जड़ें फैली केलिए जानते हैं कि हिंदू धर्म का इतिहास क्या है । हिंदू धर्म के इतिहास पर दृष्टि डालें तो सर्व सम्मति से और विभिन्न साक्षी और प्रमाण से सिद्ध होता है कि हिंदू धर्म का आरंभ सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ है ।
सिंधु घाटी सभ्यता में मिली पशुपतिनाथ की मूर्ति जर्मनी में 1939 में मिली भगवान नरसिंह की मूर्ति । इस बात के ठोस प्रमाण है कुछ साहित्यकारों का मानना है कि हिंदू धर्म का जन्म वेदों से ही हुआ है इसलिए इसे वैदिक धर्म भी कहा जाता है । वेदों की संरचना के साथ ही मत्रों का जन्म हुआ और हिंदू धर्म के दार्शनिक और वैज्ञानिक पक्ष का विकास भी हुआ इस समय योग सांख्यिकी और वेदांत और उसके बाद पुराने की रचना हुई जिनमें धर्म ज्ञान और विज्ञान और इतिहास का वर्णन मिलता है । हिंदू धर्म विज्ञान पर आधारित धर्म कहा जाता है प्राचीन काल में शिक्षा का प्रचार-प्रसार ना होने के कारण हिंदू धर्म में ज्ञान विज्ञान की शिक्षा धर्म से जोड़कर और परंपराओं और मान्यताओं में बांधकर सीखने का प्रयास किया गया । कहते हैं कि जो वैज्ञानिक नियमों के अनुसार अपना विकास करता है वही शाश्वत होता है इसी कारण हिंदू धर्म को सनातन धर्म भी कहा जाता है । इस धर्म की नई भी वैज्ञानिकता पर ही आधारित है इसका प्रमाण सबसे पहले मिलता है प्राचीन काल के कार्य अनुसार किए गए वर्णों विभाजन से जहां व्यक्ति के कार्य के अनुसार उसके वर्ण को विभाजित किया जाता था । सभी वर्णों में आपसी प्रेम और समन्वय था ।
इसके अलावा हमारे पूर्वजों ने अनेक धार्मिक परंपराओं मान्यताएं निर्धारित की लेकिन जब उन्हें वैज्ञानिक कसौटी पर कसा जाता है तो वह खरी उतरती है इससे पता चलता है कि हिंदू धर्म पूरी तरह वैज्ञानिक है । इसीलिए देखें इस तरह हर परंपराओं मान्यता विज्ञान की कसौटी पर खड़े उतरती है तो चलिए एक झलक देख लेते हैं ।
पहले वैज्ञानिक दृष्टिकोण - तुलसी पूजन हर भारतीय घर की पहचान ग्रहणी द्वारा सुबह सवेरे तुलसी में पानी देने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है । तुलसी एक आयुर्वेदिक औषधि भी है और इसी कारण इसके पत्ते शरीर के हर छोटे बड़े रोग को दूर करने में कारगर सिद्ध होते हैं या वैज्ञानिक रूप से भी प्रमाणित है । किंतु तुलसी का पौधा अपने आसपास की हवा को शुद्ध भी करता है ।
दूसरी सूर्य नमस्कार - सुबह स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाने का प्रावधान हिंदू धर्म में लेकिन इसके पीछे का वैज्ञानिक सत्य है इस सूर्योदय की किरणें स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी होती है ।
तीसरी मान्यताएं उपवास रखना - उपवास रखने का उद्देश्य धार्मिक होता है लेकिन इसके पीछे का वैज्ञानिक शक्ति यह है कि उपवास प्रक्रिया से पाचन क्रिया संतुलित और तंदुरुस्त होती है ।
चौथी मान्यताएं है पूजा की घंटी और शखं - पूजा की घंटी का महत्व शायद कुछ ही लोग जानते हैं । वैज्ञानिक तथ्य है कि मंदिर या किसी भी अर्चना स्थलीय पूजा स्थल पर पूजा की घंटी और शंख बजाने से वातावरण कीटाणु मुक्त और पवित्र होता है । शखं की ध्वनि से मलेरिया के मच्छर भी खत्म हो जाते हैं ।
पांचवी मान्यताएं है गायत्री मंत्र - गायत्री मंत्र या अन्य किसी भी मंत्र का उच्चारण जहां एक और पूजा को पूर्णता प्रदान करता है । वही मन को केंद्रित करके शारीरिक ऊर्जा का विकास करता है ।
छठी मान्यताएं है हवन - हवन करने का उद्देश्य इसी विशेष पूजा को करना तो होता ही है साथ ही हवन सामग्री वातावरण को शुद्ध भी करती है । हवन सामग्री में देसी घी कपूर आम की लकड़ी और दूसरी सामग्री होती हैं इससे हवा में फैले की कीटाणु नष्ट हो जाते हैं ।
सातवीं मान्यताएं है गंगा - गंगा को पवन इसलिए माना जाता है क्योंकि इसके जल में कुछ ऐसी प्राकृतिक तत्व होते हैं जिनके संपर्क में आने से शरीर रोग मुक्त और निर्मल हो जाता है ।
आठवीं मान्यताएं है पूजा करना - पूजा करना एक धार्मिक कर्म तो है ही साथिया मन की एकाग्रता को भी बढ़ाने में सहायक होता है ।
नवी मान्यताएं है पूजा के लिए दिए जलाना - पूजा में दिया जलाना पूजन कर्म का अनिवार्य अंग है । लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिया अगर घी से जलाया जाए तो हवा में गोली कार्बन डाइऑक्साइड नष्ट हो जाती है और तेल के दिए से भी हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं ।
दसवीं मान्यताएं है पीपल की पूजा - यूं तो शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दिया जलाने का प्रावधान शनिदेव की पूजा अर्चना के रूप में माना जाता है । लेकिन असल में पीपल का पेड़ प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन देता है ।
11वीं मान्यताएं है तिलक लगाना - किसी भी पूजा कर्म का आरंभ माथे पर तिलक लगाने से होता है । लेकिन इस तिलक का दूसरा पहलू या भी है कि हमारी दोनों आंखों के बीच में एक नर पॉइंट होता है जहां तिलक लगाकर हाथ के हाल के दबाव से उसका संचार बढ़ाया जाता है । इसे एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है साथ ही मस्तिक में रक्त की आपूर्ति को यह नियंत्रण में रखता है ।
12वीं मान्यताएं है मंत्र उच्चारण- यह कोई जहां पूजा मंत्र उच्चारण के बिना संपन्न नहीं होती वहीं दूसरी ओर मंत्र हमारे मस्तिष्क शांत करते हैं और ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करते हैं ।
फिर 13 मान्यताएं है हल्दी - हल्दी के साथ ही विवाह कर्म की शुरुआत होती है । और हर पूजा में हल्दी की गांठ होना अनिवार्य है । लेकिन यह एक सर्वाधिक है कि हल्दी एक एंटीबायोटिक है और कैंसर जैसे रोगों का उपचार करने की भी शक्ति रखती है ।
अगली मान्यताएं है गोमूत्र व गाय का गोबर - गाय का हर अंग स्वास्थ्य और वातावरण के लिए उपयोगी होता है इसी कारण इसे मां का दर्जा दिया गया । गाय का मूत्र जहां कई औषधीय के निर्माण में काम आता है वहीं गोबर के लेप से विषैला कीटाणु नष्ट हो जाते हैं ।