**विश्वकर्मा पूजा** मुख्य रूप से विश्वकर्मा जी की आराधना के रूप में की जाती है, जो हिंदू धर्म में देवताओं के शिल्पकार और निर्माण कार्यों के देवता माने जाते हैं। यह पूजा विशेष रूप से कारखानों, उद्योगों, और निर्माण कार्य से जुड़े लोगों द्वारा की जाती है। इसे पूरे भारत में, खासकर बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। यह पूजा भाद्रपद मास में विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर होती है।
यहाँ विश्कर्मा पूजा करने की विधि दी गई है:
### 1. **सामग्री की तैयारी**:
- विश्वकर्मा जी की प्रतिमा या चित्र
- फूल, अक्षत (चावल), रोली, मौली (धागा), धूप, दीपक
- प्रसाद (पंचमेवा, फल, मिठाई)
- हवन सामग्री
- गंगाजल या पवित्र जल
- पूजा के लिए यंत्र (किसी मशीन या औजार का प्रतीक)
### 2. **स्नान और शुद्धिकरण**:
पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल की साफ-सफाई करें। पूजा सामग्री और मशीनरी/औजार को गंगाजल से शुद्ध करें।
### 3. **स्थापना**:
पूजा स्थल पर विश्वकर्मा जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अगर घर में प्रतिमा नहीं है, तो यंत्र या उपकरणों की पूजा की जा सकती है।
### 4. **पूजन विधि**:
- सबसे पहले गणेश जी का आवाहन करें और उनका पूजन करें।
- विश्वकर्मा जी का ध्यान करें और उन्हें फूल, अक्षत, और जल अर्पित करें।
- धूप और दीप जलाकर आरती करें।
- यंत्रों और औजारों को भी विश्वकर्मा जी का आशीर्वाद मानकर पूजा करें। यह औजार कार्य की सफलता और सुरक्षा के प्रतीक होते हैं।
- हवन करें, हवन में सामग्री के साथ "ॐ विश्वकर्मणे नमः" मंत्र का जाप करें।
- अंत में विश्वकर्मा जी की आरती गाकर पूजा संपन्न करें।
### 5. **प्रसाद वितरण**:
पूजा के बाद सभी को प्रसाद वितरण करें और कार्यस्थल पर पूजन किए गए उपकरणों का उपयोग करते समय सावधानी और ईमानदारी से काम करने का संकल्प लें।
### 6. **उत्सव**:
पूजा के बाद कई जगहों पर लोग एकत्र होकर भोजन और सामूहिक आरती का आयोजन भी करते हैं। कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और यज्ञ का आयोजन भी किया जाता है।
इस पूजा का मुख्य उद्देश्य उपकरणों और मशीनों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करना होता है ताकि वे बिना किसी विघ्न के सुचारू रूप से कार्य करें।