Putra Prapti Ke Liye Mantra : पुत्र संतान के लिए परेशान हो रहे हैं तो इ...


संतान गोपाल मंत्र भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप की कृपा प्राप्त करने और संतान सुख की कामना से किया जाता है। इस पूजा की विधि का पालन पूरी श्रद्धा, शुद्धता और नियमों के साथ करना चाहिए। यहाँ विस्तार से संतान गोपाल मंत्र की पूजा-विधि दी गई है:


पूजा का समय और स्थान

  1. समय:
    • इस पूजा को ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में करना शुभ माना जाता है।
    • यदि सुबह संभव न हो, तो शांत और पवित्र समय पर पूजा कर सकते हैं।
  2. स्थान:
    • पूजा के लिए घर का कोई शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।
    • यदि मंदिर में पूजा करना संभव हो, तो वहां भी कर सकते हैं।

सामग्री (पूजन सामग्री)

  1. भगवान श्रीकृष्ण के बाल गोपाल रूप की मूर्ति या चित्र।
  2. शुद्ध घी का दीपक।
  3. चंदन, अक्षत (चावल), पुष्प, तुलसी दल।
  4. पान का पत्ता, सुपारी, नारियल।
  5. माखन-मिश्री का भोग।
  6. गंगाजल या शुद्ध जल।
  7. सफेद वस्त्र (पूजा करते समय पहनने के लिए)।
  8. रुद्राक्ष की माला (मंत्र जाप के लिए)।

पूजा विधि (Step-by-Step Process)

1. शुद्धता और संकल्प:

  • स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूजा स्थान को गंगाजल से पवित्र करें।
  • आसन पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके संकल्प लें।
    • हाथ में जल, पुष्प और अक्षत लेकर यह संकल्प करें:
      "मैं [अपना नाम] भगवान बाल गोपाल की कृपा से संतान सुख प्राप्त करने हेतु यह पूजा कर रहा/रही हूँ।"

2. दीप प्रज्वलन और ध्यान:

  • शुद्ध घी का दीपक जलाएं।
  • भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप का ध्यान करें।
    • मन में श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए यह प्रार्थना करें:
      "हे बाल गोपाल, मेरे घर में संतान रूपी आनंद प्रदान करें।"

3. मंत्र जाप:

  • भगवान बाल गोपाल की मूर्ति के सामने रुद्राक्ष की माला से संतान गोपाल मंत्र का जाप करें:
    ॐ श्रीं ह्रीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते।
    देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः॥
    
  • इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार (1 माला) करें। यदि संभव हो, तो इसे 3 या 5 माला तक करें।

4. भोग लगाना:

  • बाल गोपाल को माखन और मिश्री का भोग लगाएं।
  • तुलसी दल अर्पित करें।

5. आरती और प्रार्थना:

  • बाल गोपाल की आरती करें।
  • आरती के बाद हाथ जोड़कर पुत्र प्राप्ति की कामना करें।

6. प्रसाद वितरण:

  • पूजा के अंत में भोग (माखन-मिश्री) को परिवार में बांटें।
  • तुलसी दल का सेवन करें।

विशेष ध्यान रखें:

  1. इस पूजा को हर दिन या कम से कम गुरुवार के दिन नियमित रूप से करें।
  2. पूजा के दौरान मन को शांत और स्थिर रखें।
  3. दंपत्ति (पति-पत्नी) दोनों यदि संभव हो, तो इस पूजा में भाग लें।
  4. पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ यह पूजा करें।

अन्य महत्वपूर्ण बातें:

  • यदि संभव हो, तो किसी योग्य ब्राह्मण से मंत्र सिद्धि (अनुष्ठान) करवाएं।
  • "श्रीमद्भागवत" का पाठ (विशेषकर बाल लीलाओं का) संतान सुख के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
  • गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ भी किया जा सकता है।

इस पूजा के साथ-साथ भगवान पर पूर्ण विश्वास और सकारात्मक सोच बनाए रखना आवश्यक है। 🌸

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