लक्ष्मी चालीसा पाठ के अद्भुत लाभ कैसे मिलेंगे ?


विष्णु चालीसा पढ़ने के फायदे



 नमस्कार मित्रों आपको हमारे वेबसाइट पर स्वागतम है 🙏मित्रों कई लोगों के मन में यह सवाल जरूर पैदा होते होंगे कि महालक्ष्मी के चालीसा पाठ पढ़ने से क्या लाभ होता हैं ?

 महालक्ष्मी के महिमा जो भक्त जानते हैं यह सवाल कभी भी उनके मन में आएंगे नहीं  । मगर जिन लोगों के मन में ऐसी सवाल आता है तो मैं आज उन लोगों को कहना चाहता हूं कि माता लक्ष्मी जी के चालीसा पाठ करने से क्या लाभ होता है ? आइए मित्रो बिस्तर से जानते हैं ।

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इस पृथ्वी लोक पर सबसे पहले मंत्र तंत्र से युग चलाया करते थे उस वक्त कोई यंत्र ही नहीं था मंत्रों से ही काम लिया करते थे । यदि आपको यकीन नहीं है तो सारे इतिहास खोल कर देखिए आपको हर प्रश्न का जवाब मिल जाएगी ।

 मंत्र में इतना शक्ति है मित्रों में क्या बताऊं जहां मंत्र के जरिए अपने शरीर के कई बीमारी भी ठीक होती है पर उस मंत्र को सिद्ध करना पड़ता है पर आज का युग में कौन इतना टाइम देते हैं । वर्तमान युग टेक्नोलॉजी के पीछे पड़े हैं मंत्र तंत्र का कुछ ही लोग विश्वास कर रहे हैं . बाकी तो आसमान को छूने की कोशिश कर रहे हैं यंत्र के सहायता से।  मगर पहले महात्माओं के पास कोई यंत्रों के सुविधा नहीं थी अपने मंत्र के जरिए कहीं भी जा सकते थे । 


कोई यकीन करें या ना करें और यही है हकीकत जिनके घर में हर रोज माता लक्ष्मी चालीसा पढ़ी जाती है उनके घर में कभी भी दरिद्रता नहीं आती ,और न ही उनके घर में खुशी की कमी होती । 


 घर में हर रोज चालीसा पाठ करने वाले लोग कभी अपने फायदा नहीं देखते हैं वह तो आपने भक्ति और श्रद्धा के साथ माता लक्ष्मी जी को प्रसन्न  करना चाहते हैं । और जिनके घर में माता लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं वह अपने भक्तों को कभी भी दरिद्रता में नहीं रखेंगे और ना ही उनके घर में कोई दुख आने देंगे ।


मैं किसी को यकीन दिलाने के लिए नहीं लिख रहा हूं बस जिसके मन में यह सवाल आता है कि माता लक्ष्मी चालीसा पाठ करने से क्या फायदे होते हैं . तो मित्रों आप फायदे मत देखिए बस भक्ति और श्रद्धा के साथ करते जाइए आपके घर में ना ही दरिद्रता आएगी और ना ही घर में कोई दुख ।


श्री लक्ष्मी चालीसा - Laxmi Chalisa

॥ दोहा॥


मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास।

मनोकामना सिद्ध करि, परुवहु मेरी आस॥🙏


॥ सोरठा॥


यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।

सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥🙏


॥ चौपाई ॥


सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥

तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥🙏

जय जय जगत जननि जगदम्बा । सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥1॥🙏


तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥

जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी🙏॥2॥


विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी🙏॥

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥🙏3॥


कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥

ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥4॥


क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥

चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥🙏5॥


जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥🙏6॥


तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥

अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥🙏7॥


तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥

मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥🙏8॥


तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥

और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई🙏॥9॥


ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥

त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी🙏॥10॥


जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥

ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥🙏11॥


पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥

विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥🙏12॥


पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥13॥


बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥

प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं🙏॥14॥


बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥

करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा🙏॥15॥


जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं🙏॥16॥


मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥

भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी🙏॥17॥


बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में🙏॥18॥


रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥

केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई🙏॥19॥


॥ दोहा॥


त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास। जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥

रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर। मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर🙏॥


हर रोज शाम के समय अपने श्रद्धा और भक्ति के साथ मां लक्ष्मी चालीसा पाठ पड़े अपने मन को बस मां की चरणों की अर्पित कर दें आपकी यदि दरिद्रता है तो यह भी समाप्त हो जाएगी ।


मित्रों आज के लिए बस इतना ही फिर एक नया जानकारी लेकर आपके सामने हाजिर हो जाएंगे तब तक के लिए आप स्वस्थ रहें आपका दिन शुभ हो जय हिंद जय भारत माता की 🙏🌷🙏

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