नाग पंचमी: घर पर कैसे करें नाग देवता की सरल पूजा? जानें संपूर्ण विधि, सामग्री और इसका महत्व
सावन का महीना आते ही मन भक्ति और उल्लास से भर जाता है। चारों तरफ हरियाली और रिमझिम फुहारों के बीच कई पवित्र त्योहार आते हैं, और उन्हीं में से एक है नाग पंचमी। यह दिन केवल सर्पों के भय से मुक्ति का नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करने का भी पर्व है।
नाग देवता को भगवान शिव के गले का हार और भगवान विष्णु की शैय्या कहा गया है। इसलिए हिंदू धर्म में उनकी पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार सर्प भय से मुक्त रहता है।
तो चलिए, इस पावन अवसर पर जानते हैं कि आप अपने घर पर ही बड़ी सरलता और श्रद्धा के साथ नाग देवता की पूजा कैसे कर सकते हैं।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री (Puja Samagri)
पूजा शुरू करने से पहले ये चीजें इकट्ठा कर लें, ताकि पूजा के बीच में उठना न पड़े:
नाग देवता की मूर्ति या तस्वीर (चांदी, पत्थर, लकड़ी या मिट्टी की)
एक छोटी चौकी या पूजा का स्थान
कच्चा दूध
सफेद फूल (चमेली या गेंदा उत्तम हैं)
फल (विशेषकर केला और मौसमी फल)
हल्दी, कुमकुम (रोली), चंदन और अक्षत (बिना टूटे चावल)
धूप, दीपक और कपूर
मिठाई (घर पर बनी सेवइयां या खीर सबसे अच्छी मानी जाती है)
पान, सुपारी
पवित्र जल (गंगाजल हो तो बहुत अच्छा)
नाग पंचमी की सरल पूजा विधि (Step-by-Step Puja Vidhi)
यह पूजा विधि बहुत ही सरल है, जिसे कोई भी अपने घर पर आसानी से कर सकता है:
1. शुद्धि और स्थापना:
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। इसके बाद पूजा घर या किसी साफ स्थान को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें। वहां एक चौकी रखें और उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। अब चौकी पर नाग देवता की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
2. आवाहन और स्नान:
हाथ में फूल और जल लेकर नाग देवता का ध्यान करें और उनसे पूजा स्वीकार करने की प्रार्थना करें। अब मूर्ति को पहले जल से और फिर कच्चे दूध से स्नान कराएं। इसे दुग्धाभिषेक कहते हैं। इसके बाद फिर से शुद्ध जल से स्नान कराएं। अगर आपके पास तस्वीर है, तो उस पर दूध और जल के छींटे दें।
3. वस्त्र और अलंकार:
अब नाग देवता को हल्दी, कुमकुम, चंदन और अक्षत का तिलक लगाएं। उन्हें सफेद फूल अर्पित करें। यह उनकी श्रृंगार पूजा है।
4. भोग (नैवेद्य):
अब पूरी श्रद्धा के साथ उन्हें मिठाई, फल और विशेष रूप से खीर या सेवइयों का भोग लगाएं। याद रखें, भगवान भाव के भूखे होते हैं, सामग्री के नहीं।
5. मंत्र जाप और कथा:
घी का दीपक और धूप जलाएं। अब आप नाग देवता के मंत्रों का जाप कर सकते हैं। सबसे सरल मंत्र है:
"ॐ नागदेवतायै नमः"
या आप इस शक्तिशाली मंत्र का जाप भी कर सकते हैं:
"सर्वे नागाः प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले। ये च हेलिमरीचिस्था येऽन्तरे दिवि संस्थिताः॥"
मंत्र जाप के बाद नाग पंचमी की कथा पढ़ें या सुनें। इससे पूजा का पूरा फल मिलता है।
6. आरती और क्षमा प्रार्थना:
अंत में कपूर जलाकर नाग देवता की आरती करें। पूजा में जाने-अनजाने में हुई किसी भी भूल के लिए हाथ जोड़कर क्षमा मांगें और अपने परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें।
7. प्रसाद वितरण:
पूजा के बाद भोग लगाए गए प्रसाद को परिवार के सभी सदस्यों में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
नाग पंचमी का महत्व क्यों है खास?
कालसर्प दोष से मुक्ति: जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनके लिए यह पूजा रामबाण मानी जाती है।
कृषि का रक्षक: नाग खेतों में चूहों और अन्य कीड़ों को खाकर फसलों की रक्षा करते हैं। यह पूजा प्रकृति के इस चक्र को धन्यवाद देने का एक तरीका है।
भय से मुक्ति: यह पूजा मन से सर्प दंश के भय को दूर करती है और आत्मविश्वास बढ़ाती है।
शिव जी की कृपा: नाग भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए उनकी पूजा करने से भोलेनाथ भी प्रसन्न होते हैं।
इस दिन क्या न करें?
इस दिन किसी भी जीवित सांप को कष्ट न पहुंचाएं और न ही उन्हें दूध पिलाने की कोशिश करें, क्योंकि यह उनके लिए हानिकारक हो सकता है। पूजा केवल मूर्ति या तस्वीर की करें।
नाग पंचमी के दिन धरती की खुदाई करना वर्जित माना गया है।
इस दिन नुकीली या धारदार चीजों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
नाग पंचमी का यह पावन पर्व हमें सिखाता है कि डर से नहीं, बल्कि श्रद्धा और सम्मान से हर जीव के साथ संतुलन बनाकर ही हम एक सुखी जीवन जी सकते हैं।
आप सभी को नाग पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं! नाग देवता की कृपा आप और आपके परिवार पर सदा बनी रहे।