क़ुरान पढ़ने के 10 सबसे बड़े फ़ायदे : Quran Padhne ke 10 Sabse Bade Fayde


quran padhne ke fayde


अल्लाह तआला ने इंसानों की रहनुमाई के लिए अपनी आख़िरी और सबसे मुकम्मल किताब, क़ुरान-ए-पाक, को अपने प्यारे नबी हज़रत मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर नाज़िल फ़रमाया। यह सिर्फ़ एक किताब नहीं, बल्कि ज़िंदगी गुज़ारने का एक मुकम्मल دستور (संविधान) है। जो कोई इसे पढ़ता है, समझता है और इस पर अमल करता है, वह दुनिया और आख़िरत दोनों में कामयाबी हासिल करता है। क़ुरान पढ़ना एक ऐसी इबादत है जिसका सवाब हर हर्फ़ (अक्षर) पर मिलता है।

आज के इस दौर में, जहाँ हर कोई दिमाग़ी सुकून और कामयाबी की तलाश में है, क़ुरान की तिलावत हमारे लिए रहमत का सबसे बड़ा ज़रिया बन सकती है। आइए, हम क़ुरान पढ़ने के कुछ अहम फ़ायदों पर रोशनी डालते हैं।




क़ुरान पढ़ने के 10 अहम फ़ायदे

1. हर हर्फ़ पर सवाब (नेकी)

क़ुरान की तिलावत का सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि इसके हर एक हर्फ़ को पढ़ने पर नेकी मिलती है। हदीस में आता है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया:

"जिसने अल्लाह की किताब का एक हर्फ़ पढ़ा, उसके लिए एक नेकी है और एक नेकी का सवाब दस गुना है। मैं यह नहीं कहता कि 'अलिफ़-लाम-मीम' एक हर्फ़ है, बल्कि 'अलिफ़' एक हर्फ़ है, 'लाम' एक हर्फ़ है और 'मीम' एक हर्फ़ है।" (तिर्मिज़ी)

आप सोचिए, अगर आप सिर्फ़ एक सफ़हा (पेज) भी रोज़ पढ़ते हैं, तो आप कितनी नेकियाँ कमा सकते हैं। यह अल्लाह का हम पर ख़ास करम है।

2. रूहानी सुकून और दिली इत्मीनान

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हर कोई दिमाग़ी उलझन और बेचैनी का शिकार है। क़ुरान हमें बताता है कि दिलों का सुकून सिर्फ़ अल्लाह की याद में है। अल्लाह तआला फ़रमाता है:

"जान लो, अल्लाह की याद से ही दिलों को सुकून मिलता है।" (सूरह अर-रअद: 28)

जब हम क़ुरान पढ़ते हैं, तो हम सीधे अल्लाह से जुड़ते हैं। उसकी आयतें हमारे दिल पर मरहम का काम करती हैं और हमें एक ऐसा रूहानी सुकून मिलता है जो दुनिया की किसी और चीज़ में नहीं मिल सकता।

3. हिदायत और रहनुमाई का ज़रिया

क़ुरान इंसानी ज़िंदगी के हर पहलू के लिए एक मुकम्मल गाइडबुक है। इसमें हमारे अक़ीदे, इबादत, सामाजिक रिश्ते, व्यापार, राजनीति और व्यक्तिगत मामलों के लिए बेहतरीन रहनुमाई मौजूद है। यह हमें सिखाता है कि क्या सही है और क्या ग़लत। जो इंसान अपनी ज़िंदगी के फ़ैसले क़ुरान की रोशनी में करता है, वह कभी गुमराह नहीं हो सकता।

4. शिफ़ा और इलाज (Healing)

क़ुरान सिर्फ़ रूहानी बीमारियों का इलाज नहीं, बल्कि जिस्मानी बीमारियों के लिए भी शिफ़ा है। अल्लाह ने क़ुरान को मोमिनों के लिए शिफ़ा और रहमत बनाकर भेजा है। क़ुरान की आयतों, ख़ासकर सूरह फ़ातिहा, आयत-उल-कुर्सी और सूरह इख़लास, फ़लक़ और नास में बहुत शिफ़ा है। इन्हें पढ़कर दम करने से अल्लाह के हुक्म से बीमारियाँ दूर होती हैं।

5. क़यामत के दिन शफ़ाअत (सिफारिश)

जो इंसान दुनिया में क़ुरान पढ़ता है, क़यामत के दिन क़ुरान उसके लिए अल्लाह के सामने सिफारिश करेगा। हदीस-ए-पाक का मफ़हूम है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया:

"क़ुरान पढ़ा करो, क्योंकि यह क़यामत के दिन अपने पढ़ने वालों के लिए सिफ़ारिशी बनकर आएगा।" (सहीह मुस्लिम)

यह हमारे लिए कितनी बड़ी ख़ुशख़बरी है कि जिस दिन कोई किसी का मददगार नहीं होगा, उस दिन क़ुरान हमारा साथी बनेगा।

6. इल्म और हिकमत में इज़ाफ़ा

क़ुरान इल्म और हिकमत का ख़ज़ाना है। जब हम इसे समझकर पढ़ते हैं, तो हमारे ज्ञान में बढ़ोतरी होती है। हमें दुनिया और आख़िरत की हक़ीक़त का पता चलता है। इसमें पिछली क़ौमों के क़िस्से हैं जिनसे हम इबरत (सबक) हासिल कर सकते हैं और आने वाले भविष्य के बारे में चेतावनियाँ भी हैं।

7. शैतान और हर तरह के शर से हिफ़ाज़त

क़ुरान की तिलावत हमें शैतान के वसवसों और हर तरह के जादू, टोने और नज़र-ए-बद से महफ़ूज़ रखती है। जिस घर में सूरह बक़रह की तिलावत की जाती है, शैतान उस घर से भाग जाता है। रोज़ाना सुबह-शाम सूरह इख़लास, फ़लक़ और नास पढ़ने से इंसान अल्लाह की पनाह में आ जाता है।

8. घर में बरकत

जिस घर में नियमित रूप से क़ुरान की तिलावत होती है, उस घर में अल्लाह की रहमत और बरकत नाज़िल होती है। वहाँ फ़रिश्ते आते हैं, और शैतान दूर रहता है। ऐसे घर का माहौल पुरसुकून और ख़ुशगवार बन जाता है और घर के लोगों में आपस में मोहब्बत बढ़ती है।

9. अल्लाह से क़ुरबत (नज़दीकी)

क़ुरान अल्लाह का कलाम (बातचीत) है। जब हम इसे पढ़ते हैं, तो गोया हम सीधे अपने रब से बात कर रहे होते हैं। यह अल्लाह के क़रीब होने का सबसे बेहतरीन ज़रिया है। जो बंदा अल्लाह के कलाम से मोहब्बत करता है, अल्लाह भी उससे मोहब्बत करता है और उसे अपना पसंदीदा बंदा बना लेता है।

10. दुनिया और आख़िरत में बुलंदी

क़ुरान को पढ़ने और उस पर अमल करने वाला इंसान दुनिया में भी इज़्ज़त पाता है और आख़िरत में भी उसके दर्जे बुलंद होते हैं। हदीस में है कि "अल्लाह इस किताब (क़ुरान) के ज़रिए कुछ लोगों को बुलंदी अता करता है और कुछ को पस्ती में डाल देता है।" जो इसे अपनाता है, वह कामयाब होता है, और जो इसे छोड़ देता है, वह ज़लील और रुसवा होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

क़ुरान-ए-पाक अल्लाह का एक अनमोल तोहफ़ा है। इसके फ़ायदे अनगिनत हैं जिन्हें कुछ शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। यह हमारी ज़िंदगी के हर अँधेरे में रोशनी की किरण है। हमें चाहिए कि हम रोज़ाना क़ुरान पढ़ने को अपनी आदत बनाएं, चाहे एक आयत ही क्यों न हो। इसे सिर्फ़ पढ़ने पर ही न रहें, बल्कि इसके मतलब को समझने और अपनी ज़िंदगी में लागू करने की भी कोशिश करें।

आइए, हम सब मिलकर यह अहद करें कि आज से ही क़ुरान से अपना रिश्ता मज़बूत करेंगे ताकि हम दुनिया और आख़िरत, दोनों में सच्ची कामयाबी हासिल कर सकें।

Post a Comment

Previous Post Next Post