गणेश जी का वाहन कौन है ? जानें
हेलो मित्रों नमस्कार मैं फिर से एक नया जानकारी लेकर आ गया हूं आपके सामने सबसे पहले हमारे वेबसाइट में आपको स्वागतम है ।
हिंदू शास्त्र के अनुसार हर भगवान के एक वाहन होता है जिसे जहां मर्जी वहां सफर करते हैं । ठीक उसी प्रकार भगवान गणेश जी के भी वाहन हैं जिसे मूषक के ऊपर बैठकर पराक्रम करते हैं ।
भगवान गणेश के जो वाहन मूषक जी वह है कौन ? उसके विषय में आज हम लोग बिस्तर से जानेंगे ।
भगवान गणेश को कौन नहीं जानता शिवपुत्र जो है सबसे प्रथम पूजनीय हैं । पौराणिक कथा के अनुसार सबसे पहले उन्हीं को पूजा किया जाता है उसके बाद सब देवों का पूजा होता है । पूरे विश्व में भगवान गणेश की सबसे ज्यादा मानने वाले हिंदुस्तान के लोग हर साल बड़ी धूमधाम से त्यौहार मनाते हैं गणेश जी के पूजा बहुत खास करके मनाते हैं , और ऐसा भी हिंदू धर्म में हर रोज घर में पूजा किया करते हैं ।
प्राचीन समय में सुमेरू पर्वत पर सौभरि ऋषि का अत्यंत मनोरम आश्रम था। उनकी अत्यंत रूपवती और पतिव्रता पत्नी का नाम मनोमयी था। एक दिन ऋषि लकड़ी लेने के लिए वन में गए थे और मनोमयी गृह-कार्य में लगी हुई थी। उसी समय एक दुष्ट कौंच नामक गंधर्व वहाँ आया और उसने अनुपम लावण्यवती मनोमयी को देखा तो व्याकुल हो गया।
कौंच ने ऋषि-पत्नी का हाथ पकड़ लिया। रोती और काँपती हुई ऋषि पत्नी उससे दया की भीख माँगने लगी। उसी वक्त सौभरि ऋषि आया और उन्होंने गंधर्व को श्राप देते हुए कहा 'तूने चोर की तरह मेरी सहधर्मिणी का हाथ पकड़ा है, इस कारण तू मूषक होकर धरती के नीचे और चोरी करके अपना पेट भरेगा।
काँपते हुए गंधर्व ने मुनि से प्रार्थना की-'दयालु मुनि, अविवेक के कारण मैंने आपकी पत्नी के हाथ का स्पर्श किया था। मुझे क्षमा कर दें। ऋषि ने कहा मेरा श्राप व्यर्थ नहीं होगा, तथापि द्वापर में महर्षि पराशर के यहाँ गणपति देव गजमुख पुत्र रूप में प्रकट होंगे (हर युग में गणेशजी ने अलग-अलग अवतार लिए) तब तू उनका डिंक नामक वाहन बन जाएगा, जिससे देवगण भी तुम्हारा सम्मान करने लगेंगे। सारे विश्व तब तुझें श्रीडिंकजी कहकर वंदन करेंगे।
मित्रों आज के लिए बस इतना ही जानकारी थी, अगले जानकारी के लिए फिर अब से मुलाकात करेंगे तब तक के लिए मुझे जाने की आज्ञा दीजिए ।
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