हनुमान चालीसा इस समय पड़े मिलेंगे तुरंत लाभ ,शनि दशा भी नहीं लगते हैं

असली हनुमान चालीसा


असली हनुमान चालीसा


 राम के सबसे बड़ा भक्त हनुमान यह तो कोई नया बात नहीं है पर इस युग में हनुमान का भी बहुत सारे भक्त हैं जो हनुमान की कृपा हमेशा प्राप्त करते रहते हैं एवं करना चाहते भी है ।
जो भी व्यक्ति हनुमान के भक्त होते हैं उनके लिए बड़े बड़े संकट नजदीक नहीं आती हैं जो हनुमान के भक्त हैं उन पर शनि दशा भी नहीं लगते हैं । 
इस पृथ्वी लोक में जीना है तो हर मुश्किल से लड़ना पड़ता है परंतु कुछ मुश्किलें ऐसा हो जाते हैं कि उसकी हाल निकालने में कुछ लोग नाकाम हो जाते हैं परंतु यदि आप हनुमान के भक्त हो जाएंगे 👉तो कोई भी कार्य आपके लिए कठिन नहीं होंगे हर मुश्किल से सामना करने के लिए आपके अंदर वह ऊर्जा पैदा हो जाएगी जहां हर मुश्किल काम आसानी से निपटा सकते हैं । जब जब हनुमान की कृपा आप के सर पर  होगी तो हार कठिनाई  कार्य  आपके लिए बहुत आसान हो जाएगी और बात यह हैं कि यदि आप हर मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा पड़ेंगे तो राम भक्त हनुमान आपकी मनोकामना पूरी करेंगे ।
आप किसी भी धर्म के हो पर हनुमान किसी धर्म को नहीं जानते हैं वह तो जानते हैं भक्त को हनुमान चालीसा किसी भी धर्म के लोग पढ़ सकते हैं इससे उनकी बहुत ही अच्छा बेनिफिट मिलेंगे घर में कभी भी अर्थव्यवस्था की कमी नहीं होगी ।
कहते हैं कि पवन पुत्र हनुमान हनुमान शायद किसी को दिखाई ना दे पर यह बिल्कुल सच्चाई है कि हर भक्त के पास वह पवन जैसे आते हैं और कृपा करके जाते हैं ।


 हर मंगलवार के दिन शाम के वक्त हनुमान चालीसा पढ़िए  👇👇👇👇

दोहा 🙏🙏🙏


श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।।


चौपाई

🙏🙏🙏

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥


राम दूत अतुलित बल धामा

अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥


महाबीर बिक्रम बजरंगी

कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥


कंचन बरन बिराज सुबेसा

कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥


हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे

काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥


शंकर सुवन केसरी नंदन

तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥


विद्यावान गुनी अति चातुर

राम काज करिबे को आतुर॥७॥


प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया

राम लखन सीता मन बसिया॥८॥


सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा

बिकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥


भीम रूप धरि असुर सँहारे

रामचंद्र के काज सँवारे॥१०॥


लाय संजीवन लखन जियाए

श्रीरघुबीर हरषि उर लाए॥११॥


रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥१२॥


सहस बदन तुम्हरो जस गावै

अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा

नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥


जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते

कवि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥१५॥


तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा

राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥


तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना

लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥


जुग सहस्त्र जोजन पर भानू

लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं

जलधि लाँघि गए अचरज नाहीं॥१९॥


दुर्गम काज जगत के जेते

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥


राम दुआरे तुम रखवारे

होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥


सब सुख लहैं तुम्हारी सरना

तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥


आपन तेज सम्हारो आपै

तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥


भूत पिशाच निकट नहिं आवै

महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥


नासै रोग हरे सब पीरा

जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥


संकट तै हनुमान छुडावै

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥२६॥


सब पर राम तपस्वी राजा

तिन के काज सकल तुम साजा॥२७॥


और मनोरथ जो कोई लावै

सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥


चारों जुग परताप तुम्हारा

है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥


साधु संत के तुम रखवारे

असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥


अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता

अस बर दीन जानकी माता॥३१॥


राम रसायन तुम्हरे पासा

सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥


तुम्हरे भजन राम को पावै

जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥


अंतकाल रघुवरपुर जाई

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥


और देवता चित्त ना धरई

हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥


संकट कटै मिटै सब पीरा

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥


जै जै जै हनुमान गोसाई

कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥


जो सत बार पाठ कर कोई।

छूटहिं बंदि महा सुख होई॥३८॥


जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा॥३९॥


तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥


 दोहा 🙏🙏🙏

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

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