बौद्ध धर्म मानने वाले दुनियाभर में 25% लोग हैं जो कि बौद्ध धर्म 600-650 ई.पू बीज में स्थापित हुई ।
गौतम बुद्ध के पिता शाक्यों के राजा शुद्धोदन थे। परंपरागत कथा के अनुसार, गौतम बुद्ध की माता महामाया उनके जन्म के 7 दिन के बाद गुजर गई ।
गौतम बुद्ध ने ध्यान के माध्यम से बहुत सारा ज्ञान प्राप्त किया था । ऐसे ज्ञान प्राप्त किया था कि इंसान की सरल जीवन जीने की तरीका ढूंढ निकाले थे फिर बड़े-बड़े बीमारी से छुटकारा पाना । जिस प्रकार प्रभु श्री राम हर मानव जाति के कल्याण हेतु उन्होंने बड़ा से बड़ा कष्ट सहने के लिए तैयार हो जाते हैं ठीक इसी प्रकार गौतम बुद्ध ने भी ऐसे ही कुछ किया । गौतम बुद्ध ने जिस तरह दूसरे के लिए कष्ट उठाया दूसरे के लिए अपने जीवन त्याग किया इसी कारण से उन्हें भगवान के रूप में पूजा किया जाता है । गौतम बुद्ध की वास्तविक नाम शायद हर कोई नहीं जानते हैं गौतमबुद्ध राजा का पुत्र है तो राजा ही रहेंगे ना मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया हर किसी के साथ तालमेल से चलने की इरादा किया समाज के कल्याण के लिए वह हर कष्ट को अपनाया । बीस वर्ष की आयु होने पर हर शाक्य तरुण को शाक्यसंघ में दीक्षित होकर संघ का सदस्य बनना होता था। गौतम जब बीस वर्ष के हुये तो उन्होंने भी शाक्यसंघ की सदस्यता ग्रहण की और शाक्यसंघ के नियमानुसार गौतम को शाक्यसंघ का सदस्य बने हुये आठ वर्ष व्यतीत हो चुके थे। गौतम बौद्ध की वास्तविक नाम थे सिद्धार्थ और सिद्धार्थ नामकरण करने के लिए दोनों मुनि ऋषि को बुलाया थे राजा शाक्यों ने । एक पीपल के पेड़ (जो अब बोधि पेड़ कहलाता है) के नीचे बैठ गये प्रतिज्ञा करके कि वे सत्य जाने बिना उठेंगे नहीं। ३५ की उम्र पर, उन्होने बोधि पाई और वे बुद्ध बन गये। उनका पहिला धर्मोपदेश वाराणसी के पास सारनाथ मे था।
कहते हैं इंसान अमृता लाभ नहीं कर सकते हैं , आप खुद ही देख लीजिए गौतम बुद्ध एक इंसान ही तो थे मगर सब के दिलों में आज भी अमर है हर एक इंसान के अंदर में ईश्वर मौजूद रहते हैं उस को बाहर लाना है अंदर में छुपाा के नहीं रखना ।