जंगली जड़ी बूटी की पहचान कैसे कर सकते हैं ? जानिए

bholanath biswas
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जंगली जड़ी बूटी की पहचान कैसे कर सकते हैं कैसे घातक बीमारियों को ठीक कर सकते हैं जानिए ।


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जंगली जड़ी बूटी की फायदे लूटना चाहते हैं तो रहिए हमारे साथ नमस्कार मित्रों हमारे दशक में आपका स्वागत है जो मित्रों जंगली जड़ी बूटी की पहचान करने में अक्षम है आज उनके लिए यह पोस्ट बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाले हैं क्योंकि एक से एक जड़ी बूटी के नाम एवं उनका पहचान करने वाले हैं जिससे आप अपने से अपने शरीर के कई सारे बीमारियों को दूर कर सकते हैं और शरीर को हमेशा स्वस्थ रख सकते हैं तो चलिए जानते हैं कौन सी जड़ी बूटी किस काम में उपयोग किया जाता है । 



जंगली झाड़ियों में होने वाले कुछ पौधे इतने फायदे करते हैं कि नहीं जानकारी होने के कारण उसका फायदे लूट नहीं पाते हैं । सिर्फ हम मनुष्य का ही नहीं वल्कि छोटे बड़े पशुओं की स्वस्थ रखने के लिए जड़ी बूटी का इस्तेमाल किया जाता है । आज के दौर में वातावरण जिस प्रकार दूषित में इतने परिवर्तन हो गया है हम सभी को हमेशा के लिए जड़ी बूटी का उपयोग करना चाहिए । आप मानो या ना मानो लेकिन जड़ी बूटी स्वस्थ के लिए रामबाण दवा है । कहा जाता है कि जड़ी-बूटी के उपचार से इंसान का आयु भी बढ़ता है और तो और कठिन से कठिन बीमारियों को भी ठीक करने में सक्षम होता है इसलिए उसका नाम आयुर्वेदिक दिया गया है।


वैसे तो शरीर स्वस्थ रखने के लिए लाखों प्रकार के जड़ी बूटियां है हर जड़ी बूटि का उपचार हम सभी को पता नहीं है लेकिन आपके लिए आज कुछ ही जड़ी बूटी की पहचान करवाने जा रहे हैं । जिससे अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं और छोटे-मोटे बीमारियों को भी दूर भगा सकते हैं ।

चलिए समय व्यर्थ ना करके जानकारी प्राप्त कर लेते हैं । 


जंगल झाड़ी में होने वाले नीम के पेड़ ।


नीम के पत्ते और नीम पेड़ के छाले इसके उपचार से  शरीर को स्वस्थ रखने में बहुत सरल होता है । नीम के पेड़ हर जगह में होते हैं  । नीम के पत्ते सुबह उठकर खाली पेट में खाने से शरीर में कई प्रकार के बीमारियों को दूर भगाने में सक्षम है । सुबह सुबह खाली पेट में नीम के दो से तीन पत्ता खाने से भूख लगने में बहुत ही मदद करता है । प्रतिदिन सुबह खाली पेट नीम के पत्ते सेवन करने से खून को साफ करने में बहुत ही सहायता करते हैं । 



जंगल में होने वाले पेड़ लसोड़ा ।


बहुवार या लसोड़ा यह एक वृक्ष है जो भारतीय उपमहाद्वीप, चीन एवं विश्व के अनेक देशों में देखा जाता है इसका जन्म कहीं भी हो सकता है। इसे हिन्दी में 'गोंदी' और 'निसोरा' नाम से भी जाना जाता है। संस्कृत में 'श्लेषमातक' कहते हैं। इसके फल सुपारी के बराबर दिखाई देता है । कच्चा लसोड़ा का साग और आचार भी बनाया जाता है। पके हुए लसोड़े मीठे होते हैं तथा इसके अन्दर गोंद की तरह चिकना और मीठा रस होता है । लसोड़ा के उपचार से शरीर के कई बीमारियों के इलाज कर सकते हैं । डायबिटीज लोगों के लिए लसोड़ा सबसे फायदेमंद है ।


जंगल में होने वाले केवड़ा के पेड़ ।


केवड़ा सुगंधित फूलों वाले पौधे में से एक है जो अनेक क्षेत्रों में पाई जाती है और घने जंगलों मे उगती है। पतले, लंबे, घने और काँटेदार पत्तों वाले इस पौधे की दो प्रजातियाँ होती है- सफेद और पीली। सफेद जाति को केवड़ा और पीली को केतकी कहा जाता है। केतकी बहुत सुगन्धित होती है और उसके पत्ते कोमल होते है। इसमे जनवरी और फरवरी महिने में फूल लगते हैं। केवड़े की यह सुगंध साँपों को बहुत आकर्षित करती है। इनसे इत्र भी आप बना सकते हैं जिसका प्रयोग मिठाइयों और पेयों में लोग करते हैं। कत्थे को केवड़े के फूल में रखकर सुगंधित बनाने के बाद खाने वाले पान के पत्ते में प्रयोग करते हैं। केवड़े के अंदर स्थित गूदे का साग भी बनाकर लोग भोजन के साथ खाते हैं। इसे संस्कृत, मलयालम में केतकी, तेलुगु main mogalipuvvu, हिन्दी और मराठी में केवड़ा, गुजराती में केवड़ों, कन्नड़ में बिलेकेदगे गुण्डीगे, तमिल में केदगें फारसी में करंज, अरबी में करंद और लैटिन में पेंडेनस ओडोरा टिसीमस नाम से जाना जाता है । मित्रों इसके उपचार से कैंसर जैसी भयानक बीमारियों को भी ठीक कर सकता है । यदि किसी व्यक्ति के मूत्राशय में समस्या है तो इसकी उपचार से बिल्कुल स्वस्थ रह सकते हैं । कहा जाता है कि इसकी उपचार से खाते से घातक बीमारियों को ठीक करने में सक्षम होता है । 


जड़ी बूटी से जुड़ी और भी जानकारी जानना चाहते हैं तो हमारे साथ यूट्यूब में एवं फेसबुक में जुड़ सकते हैं । दोस्तों जंगली जड़ी बूटी के बारे में और भी जानना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट अवश्य करें क्योंकि आज हम आपके लिए इतना तक ही जानकारी दें रहे हैं ।

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