शनि देव के 108 नाम जाप कब और किस समय करनी चाहिए
भगवान शनि देव प्रत्येक मनुष्यों को सही दिशा चलने की प्रेरणा देता हैं । यदि कोई भी व्यक्ति गलत करें तो समय के अनुसार उसे भयंकर दंड देता हैं । दिमाग में भ्रम पैदा करने वाले लोगों को भी दंड देता हैं इसलिए भगवान शनि देव को न्यायाधीश कहां गया है । भगवान शनि देव गलत कर्म कदापि पसंद नहीं करते हैं । धर्म शास्त्र के अनुसार भगवान शनि देव के 108 नाम हर शनिवार के दिन जप करने से परिवार में हमेशा सुख प्राप्त होता है ।
बहुत ऐसे लोग हैं जो भगवान शनिदेव के नजर से बचने के लिए मतलब डर से भगवान शनि देव की पूजा करते हैं । मित्रों जो व्यक्ति भगवान शनि देव को डर से पूजा करते हैं उनके मन में भ्रम पाले हुए हैं ।। क्योंकि भगवान शनिदेव उन्हें को दंड देते हैं जो लोग अधर्म करते हैं । अगर आप अधर्म नहीं कर रहे हैं तो भगवान शनिदेव को पूजा नहीं करेंगे तो भी तो चलेगा। आप धर्म के अनुसार कर्म कर रहे हैं तो आपका रास्ते पर कभी भी रुकावट नहीं बनेंगे । अगर आप धर्म से कोई भी कर्म कर रहे हैं अच्छे कर्म कर रहे हैं तो भगवान शनिदेव की कृपा आप पर हमेशा बने रहेंगे ।
शास्त्र के अनुसार कहा गया है कि जो भी व्यक्ति शनिवार के दिन सुबह स्नान आदि करके भगवान शनि देव के 108 नाम जप करेंगे तो उनके साथ आगे चलकर ऐसे चमत्कार होने वाले हैं कि खुद भी हैरान रह जाएंगे तो मित्रों आप श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान शनि देव के 108 नाम जप अवश्य करें आने वाले समय में आपके साथ चमत्कार जरूर होने वाले हैं ।
शनिवार के दिन सुबह सुबह स्नान करने के बाद भगवान शनि देव के सम्मुख होकर इस मंत्र का जप करने के बाद 108 नाम जाप करें ।
मंत्र । 🙏ऊँ सुरलोकविहारिणे नम:। ऊँ सुखासनोपविष्टाय नम:। ऊँ सुन्दराय नम:।🙏
1. शनैश्चर- धीरे-धीरे चलने वाला
2. शांत- शांत रहने वाला
3. सर्वाभीष्टप्रदायिन्- सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला
4. शरण्य- रक्षा करने वाला
5. वरेण्य- सबसे उत्कृष्ट
6. सर्वेश- सारे जगत के देवता
7. सौम्य- नरम स्वभाव वाले
8.सुरवन्द्य- सबसे पूजनीय
9. सुरलोकविहारिण्- सुरह्स की दुनिया में भटकने वाले
10. सुखासनोपविष्ट- घात लगा के बैठने वाले
11. सुन्दर- बहुत ही सुंदर
12. घन- बहुत मजबूत
13. घनरूप- कठोर रूप वाले
14. घनाभरणधारिण्- लोहे के आभूषण पहनने वाले
15. घनसारविलेप- कपूर के साथ अभिषेक करने वाले
16. खद्योत- आकाश की रोशनी
17. मंद- धीमी गति वाले
18. मंदचेष्ट- धीरे से घूमने वाले
19. महनीयगुणात्मन्- शानदार गुणों वाला
20. मर्त्यपावनपद- जिनके चरण पूजनीय हो
21. महेश- देवो के देव
22. छायापुत्र- छाया का बेटा
23. शर्व- पीड़ा देना वाला
24. शततूणीरधारिण्- सौ तीरों को धारण करने वाले
25. चरस्थिरस्वभाव- बराबर या व्यवस्थित रूप से चलने वाले
26. अचञ्चल- कभी ना हिलने वाले
27. नीलवर्ण- नीले रंग वाले
28. नित्य- अनंत एक काल तक रहने वाले
29. नीलाञ्जननिभ- नीला रोगन में दिखने वाले
30. नीलाम्बरविभूषण- नीले परिधान में सजने वाले
31. निश्चल- अटल रहने वाले
32. वैद्य- सब कुछ जानने वाले
33. विधिरूप- पवित्र उपदेश देने वाले
34. विरोधाधारभूमि- जमीन की बाधाओं का समर्थन करने वाले
35. भेदास्पद स्वभाव- प्रकृति का पृथक्करण करने वाला
36. वज्रदेह- वज्र के शरीर वाला
37. वैराग्यद- वैराग्य के दाता
38. वीर- अधिक शक्तिशाली
39. वीतरोगभय- डर और रोगों से मुक्त रहने वाले
40. विपत्परम्परेश- दुर्भाग्य के देवता
41. विश्ववंद्य- सबके द्वारा पूजे जाने वाले
42. गृध्नवाह- गिद्ध की सवारी करने वाले
43. गूढ़- छुपा हुआ
44. कूर्मांग- कछुए जैसे शरीर वाले
45. कुरूपिण्- असाधारण रूप वाले
46. कुत्सित- तुच्छ रूप वाले
47. गुणाढ्य- भरपूर गुणों वाले
48. गोचर- हर क्षेत्र पर नजर रखने वाले
49. अविद्यामूलनाश- अनदेखा करने वालों का नाश करने वाले
50. विद्याविद्यास्वरूपिण्- ज्ञान करने वाले और अनदेखा करने वाले
51. आयुष्यकारण- लंबा जीवन देने वाले
52. आपदुद्धर्त्र- दुर्भाग्य को दूर करने वाले
53. विष्णुभक्त- विष्णु के भक्त
54. वशिन्- स्वनियंत्रित करने वाले
55. विविधागमवेदिन्- कई शास्त्रों का ज्ञान रखने वाले
56. विधिस्तुत्य- पवित्र मन से पूजे जाने वाले
57. वंद्य- पूजनीय
58. विरुपाक्ष- कई नेत्रों वाले
59. वरिष्ठ- उत्कृष्ट
60. गरिष्ठ- आदरणीय देव
61. वज्रांगकुशधर- वज्र-अंकुश रखने वाले
62. वरदाभयहस्त- भय को दूर भगाने वाले
63. वामन- (बौना) छोटे कद वाले
64. ज्येष्ठापत्नीसमेत- जिसकी पत्नी ज्येष्ठ हो
65. श्रेष्ठ- सबसे उच्च
66. मितभाषिण्- कम बोलने वाले
67. कष्टौघनाशकर्त्र- कष्टों को दूर करने वाले
68. पुष्टिद- सौभाग्य के दाता
69. स्तुत्य- स्तुति करने योग्य
70. स्तोत्रगम्य- स्तुति के भजन के माध्यम से लाभ देने वाले
71. भक्तिवश्य- भक्ति द्वारा वश में आने वाले
72. भानु- तेजस्वी
73. भानुपुत्र- भानु के पुत्र
74. भव्य- आकर्षक
75. पावन- पवित्र
76. धनुर्मण्डलसंस्था- धनुमंडल में रहने वाले
77. धनदा- धन के दाता
78. धनुष्मत्- विशेष आकार वाले
79. तनुप्रकाशदेह- तन को प्रकाश देने वाले
80. तामस- ताम गुण वाले
81. अशेषजनवंद्य- सभी सजीव द्वारा पूजनीय
82. विशेषफलदायिन्- विशेष फल देने वाले
83. वशीकृतजनेश- सभी मनुष्यों के देवता
84. पशूनांपति- जानवरों के देवता
85. खेचर- आसमान में घूमने वाले
86. घननीलांबर- गाढ़ा नीला वस्त्र पहनने वाले
87. काठिन्यमानस- निष्ठुर स्वभाव वाले
88. आर्यगणस्तुत्य- आर्य द्वारा पूजे जाने वाले
89. नीलच्छत्र- नीली छतरी वाले
90. नित्य- लगातार
91. निर्गुण- बिना गुण वाले
92. गुणात्मन्- गुणों से युक्त
93. निंद्य- निंदा करने वाले
94. वंदनीय- वंदना करने योग्य
95. धीर- दृढ़निश्चयी
96. दिव्यदेह- दिव्य शरीर वाले
97. दीनार्तिहरण- संकट दूर करने वाले
98. दैन्यनाशकराय- दुख का नाश करने वाले
99. आर्यजनगण्य- आर्य के लोग
100. क्रूर- कठोर स्वभाव वाले
101. क्रूरचेष्ट- कठोरता से दंड देने वाले
102. कामक्रोधकर- काम और क्रोध के दाता
103. कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारण- पत्नी और बेटे की दुश्मनी
104. परिपोषितभक्त- भक्तों द्वारा पोषित
105. परभीतिहर- डर को दूर करने वाले
106. भक्तसंघमनोऽभीष्टफलद- भक्तों के मन की इच्छा पूरी करने वाले
107. निरामय- रोग से दूर रहने वाले
108. शनि- शांत रहने वाले।
प्रत्येक शनिवार के दिन इस प्रकार 108 बार नाम जाप करने से भगवान शनि देव जल्द प्रसन्न हो जाता है । जाप करने वाले भक्तों के घर में किसी भी प्रकार के संकट, दुविधा में दूर रहते हैं । भगवान शनि देव हमेशा उनके संसार में सुख की कृपा करते हैं । ध्यान रहे भक्ति और श्रद्धा के साथ भगवान शनिदेव का नाम जप करें इससे आपके परिवार के सभी सदस्यों भगवान शनिदेव की कृपा हमेशा बने रहेंगे ।
मित्रों जब भी कोई भक्त ईश्वर के नाम लेते हैं तो ईश्वर भी खुश होते हैं और भक्तों की किसी भी तरह के दुश्चिंता से मुक्त करते हैं । हमारे लिए तो यही सबसे बड़ा फल होता है जो ईश्वर को पुकारने के बाद अपने संकट को दूर करते हैं इससे बड़ा फल और हमारे लिए क्या चाहिए ।