धर्म का वास्तविक अर्थ क्या है जानें
हां मित्रों धर्म कैसे करें ? ईश्वर हर इंसान को दो रास्ता देते हैं जैसे कि धर्म करना और अधर्म करना यह चुनने की काम आपका है । पानी कभी प्यास बुझाना नहीं जाते हैं पानी अपने जगह पर रहते हैं हर जीव अपनी प्यास बुझाने के लिए उस पानी के पास जाते हैं , ताकि अपना प्यास बुझा सेके । इसी तरह धर्म अपने जगह पर रहते हैं और अधर्म भी अपने जगह पर रहते हैं इंसान खुद चुन लेते हैं धर्म और अधर्म की रास्ता । इंसान की सोच भावनाएं भी बहुत विचित्र होते हैं ईश्वर भी समझ नहीं पाते ।
हर एक इंसान के सोच और चतुराई ईश्वर तो सिर्फ देखते ही जाते हैं आप करना क्या चाहते हैं ।
निजी जिंदगी में फैसला लेना अपने हाथ में हैं ईश्वर तो सिर्फ उसके सहारा देते हैं ।
आप अगर ईश्वर को पुकारते हैं तो अन्यथा सहारा नहीं मिलेंगे आपको ।
हर एक इंसान के वही कर्तव्य होता है जिस तरह अपने प्राण को प्यारा लगता है उसी तरह दूसरे को भी समझना चाहिए । आप किसी पर विश्वास करते हैं तो जरूर करें और करना भी चाहिए विश्वास पर कोई अगर चोट पहुंचाए तो फल उनको मिलेंगे आप तो विश्वास किया है ना आप के विश्वास पर कोई सदैव ईश्वर की सहारा मिलेंगे । धर्म क्या होता है ? जब आप किसी बेजुबान प्राणी से बहुत प्रेम करेंगे , आप किसी बेसहारा को सहारा देंगे तो यह होता है धर्म ।
क्या आप धर्म करना चाहते हैं ?
तो यह 5 बात हमेशा याद रखना ☝️
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नंबर 1 ईश्वर पर विश्वास रखना ।
नंबर 2 किसी को जानबूझकर धोखा मत देना ।
नंबर 3 कोई भी नारी देखकर बुरा
नजर से मत देखना ।
नंबर 4 भूल से कभी भी किसी से रिश्वत नहीं खाना ।
नंबर 5 अपने बचाव के लिए कभी किसी से झूठ नहीं बोलना ।