आदिवासी का भगवान कौन है,धर्म कौन सा है ? पूरी जानकारी

bholanath biswas
0

religion


आदिवासी का भगवान कौन है ? जानें


 हेलो मित्रों फिर से एक नया जानकारी लेकर हाजिर हूं आपको देने के लिए । मित्रों क्या आप जानना चाहते हैं आदिवासियों आदिवासी का भगवान कौन है ? तो आइए आज हम लोग जानेंगे आदिवासियों के बिषय में कुछ बातें ।


जहां आदिवासी का नाम सुनने को मिलते हैं वही हमारे मन में एक सवाल पैदा जरूर करता है कि आदिवासी है कौन ,उनका जाति क्या है ? आदिवासी का भगवान कौन है? यही सब जानने की इच्छा सभी को होते हैं । दरअसल आदिवासी लोग बहुत शांत प्रकार के होते हैं न वह किसी के साथ ज्यादा दुर्व्यवहार करते हैं, और न ही किसी से ज्यादा लेना देना या राजनीति करते हैं । हां परंतु यदि बेवजह किसी पर आक्रमण कर दे और उसे गुस्सा आ जाए तो जल्दी शांत भी नहीं होता उसे बदला लेकर ही शांत होते हैं ।

👇

आदिवासियों के अपने जीवन किस तरह गुजारना है उसे अच्छी तरह पता है । आदिवासी लोग सबसे ज्यादा जंगल में रहने की पसंद करते हैं । उन्हें खुलेआम घूमना फिरना पसंद नहीं आती वह अपनी आजादी जिंदगी जी ते है । पहले युग में कभी भी जंगल छोड़कर बाहर नहीं आते थे अभी तो बाहर लोगों के सभी के साथ मिलना जुलना शुरू हो चुका है और पढ़ाई भी करने लगे हैं । वर्तमान आदिवासी भारत के किसी भी जगह पर रहने से वह लोग उसी जगह के भाषा में लिखना पढ़ना पसंद कर रहे हैं। हिंदुस्तान के आदिवासियों की अपनी भाषा दूसरे जाति लोग इतने सरल से समझ नहीं सकेंगे उनकी भाषा कुछ अलग प्रकार के हैं । 


आदिवासी का भगवान कौन है ?


हिंदुस्तान में कई प्रकार के धर्म के लोग रहते हैं और सबसे ज्यादा संख्या वाले लोग हैं तो हिंदू हैं इसलिए भारत का नाम हिंदुस्तान दिया गया था ।

हिंदुस्तान में अधिकांश आदिवासियों ने हिंदुओं के संस्कार को अपनाने लगा । आदिवासियों की संस्कार कुछ अलग प्रकार के थे जो कि उनके भगवान के नाम हैं मरांग गुरु जिसे हर बरस एक बार पूजा करते हैं मंत्र पाठ करके । हिंदुस्तान की आदिवासी वालेे जिस भगवान को पूजा करते हैं उनके ना कोई तस्वीर है और ना कोई पहचान है बस उनके नाम से प्रतिवर्ष एक बार मंत्र पाठ करके पूजा किया करते हैं । 


आदिवासियों की संस्कृति में ना कोई धर्म स्थापित किया है और ना कोई भाषा के मान्यता दी । 70 साल पहले उनके जीवन जंगल में ही बीता जब धीरे-धीरे बाहरी समाज से मिलने लगे तब दूसरे की संस्कार धीरे धीरे अपनाने की प्रयास करने लगे । आज वर्तमान कुछ आदिवासियों क्रिश्चियन धर्म अपनाया है, और कुछ आदिवासी  हिंदू के संस्कार मानने लगे हैं और फिर हिंदू धर्म मानने लगे। भारत में ऐसे बहुत आदिवासी हैं जो हिंदू देवी देवता की पूजा प्रथा चालू करने लगे ,परंतु आदिवासी लोग मरांग गुरु भगवान की पूजा करना आपना परम धर्म मानते हैं । 


 विस्तार से जानिए आदिवासियों के विषय में


👉 हिंदुस्तान में आदिवासियों के कूल संख्या  1500 से अधिक है।भारत में 1871 से लेकर 1941 तक हुई जनगणनाओं में आदिवासियों को अन्‍य धमों से अलग धर्म में गिना गया है, जैसे Other religion- कहते हैं 1871, ऐबरिजनल 1881, फारेस्ट ट्राइब-1891, एनिमिस्ट-1901,  एनिमिस्ट-1911, प्रिमिटिव-1921, ट्राइबल रिलिजन -1931,"ट्राइब-1941" इत्यादि नामों से वर्णित किया गया है। हालांकि 1951 की जनगणना के बाद से आदिवासियों को अलग से गिनना बन्‍द कर दिया गया है।


👉भारत में आदिवासियों को दो वर्गों मे से माना जाता है- जैसे कि जनजाति और अनुसूचित आदिम जनजाति। हिंदू 👉विवाह अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 2 के अनुसार अनुसूचित जनजाति के सदस्यों पर लागू नहीं है। यदि ऐसा है, तो हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 9 के तहत 👉फैमिली कोर्ट द्वारा जारी किया गया निर्देश अपीलकर्ता पर लागू नहीं होता है। " आदिवासी लोग अपने त्योहारों का पालन करते हैं, जिनका किसी भी धर्म के साथ कोई सीधा 👉संघर्ष नहीं है,और वे अपने आदिवासी रिवाज के अनुसार उनके आदिवासियों के बीच शादी करते हैं। उनकी प्रथागत जनजातीय आस्था के अनुसार विवाह और उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में सभी विशेषाधिकारों को 👉 बनाए रखने के लिए उनके जीवन का अपना तरीका है।


भारत की जनगणना 👉1951 के अनुसार आदिवासियों की संख्या 9,91,11,498 थी जो 2001 की जनगणना के अनुसार 12,43,26,240 हो गई। यह देश की जनसंख्या का 8.2 प्रतिशत है।


प्रजातीय दृष्टि से इन समूहों में नीग्रिटो, प्रोटो-आस्ट्रेलायड और मंगोलायड तत्व मुख्यत: पाए जाते हैं, यद्यपि कतिपय नृतत्ववेत्ताओं ने नीग्रिटो तत्व के संबंध में शंकाएँ उपस्थित की हैं। भाषाशास्त्र की दृष्टि से उन्हें आस्ट्रो-एशियाई, द्रविड़ और तिब्बती-चीनी-परिवारों की भाषाएँ बोलनेवाले समूहों में विभाजित किया जा सकता है। भौगोलिक दृष्टि से आदिवासी भारत का विभाजन चार प्रमुख क्षेत्रों में किया जा सकता है : जैसे 👉उत्तरपूर्वीय क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र और दक्षिणी क्षेत्र मैं ।

👇

सच्चाई बात तो यह है कि आदिवासियों की वर्तमान युग में प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने सोच समझ के दूसरे धर्म को अपनाने लगे हैं । पहले न इनकी कोई धर्म था और न इनकी कोई जाति  बस जंगल में रहने की पसंद करते थे इसलिए इनके जिंदगी कुछ दूसरे प्रकार के थे कहां जाए आजादी जिंदगी जिया करते थे ।

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!
10 Reply