कामाख्या देवी मंदिर का 10 रहस्य: आज तक वैज्ञानिक भी नहीं समझ पाए

bholanath biswas
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कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य


कामाख्या देवी मंदिर का 10 रहस्य


 माता के एक ऐसे मंदिर के बारे में जहां देवी मां राजसविला होती है यानी माता को मासिक धर्म होता है और उनकी योनि से खून भी निकलता है और आपको जानकर हैरानी होगी कि इस खून के लाल रंग से यहां की नदी पुरी की पूरी लाल रंग की हो जाती है । साथ ही यह ऐसे ऐसे अघोरी और तांत्रिक रहते हैं जो अगर चाहे तो आपकी किया तक पलट सकते हैं । नमस्कार दोस्तों आपका नमस्कार दोस्तों हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है और आज हम बात करेंगे दुनिया के सबसे रहस्यमई मंदिर कामाख्या मंदिर की ।  कामाख्या मंदिर का रहस्यों के बारे में जिसे आज तक विज्ञान जगत भी नहीं समझ पाया तंत्र साधना और अघोरियों के गढ़ माने जाने वाले कामाख्या मंदिर । असम की राजधानी दिसापुर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है वहां से 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत है जहां पर कामाख्या देवी मंदिर है इस मंदिर को 51शक्ति पीठ में से एक माना जाता है । 




चलिए अब बात करते हैं कामाख्या मंदिर के 10 रहस्य के बारे में पहले कामाख्या मंदिर सभी शक्तिपीठों का महापीठ है यहां पर दुर्गा या अंबे मां की कोई मूर्ति देखने को आपको नहीं मिलेगी यहां पर एक कुंड सा बना हुआ है जो हमेशा फूलों से ढका रहता है और हमेशा प्राकृतिक जल निकलता रहता है ।


 दूसरा पूरे भारत में राजसविला यानी मासिक धर्म को अशुद्ध माना जाता है लड़कियों को इस दौरान अक्सर अछूत समझा जाता है लेकिन कामाख्या के मामले में ऐसा नहीं है हर साल यहां पर अंबुबाची मेले के दौरान पास में स्थित ब्रह्मपुत्र का पानी तीन दिन के लिए लाल हो जाता है । पानी का यह लाल रंग कामाख्या देवी की मासिक धर्म के कारण होता है फिर तीन दिन बाद श्रद्धालुओं के मंदिर में काफी भीड़ उमर पड़ती है । 


तीसरा इस मंदिर में दिये जाने वाला प्रसाद भी दूसरी शक्तिपीठों से बिल्कुल अलग है । इस मंदिर में प्रसाद के रूप में लाल रंग का गिला कपड़ा दिया जाता है । कहा जाता है कि जब मा को तीन दिन का राजसविला होता है तो सफेद रंग का कपड़ा मंदिर के अंदर बढ़ा दिया जाता है तीन दिन बाद जब मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं तो वह वस्त्र माता के खून से लाल रंग से भीगा होता है । इस कपड़े को अबुवाची वस्त्र कहते हैं इसे ही भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है ।


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चौथा यहां पर कोई भी मूर्ति स्थापित नहीं है इस जगह पर एक समतल चट्टान के बीच बिना विभाजन देवी की योनि को दर्शाता है एक प्राकृतिक झड़ने के कारण यह जगह हमेशा गिला रहता है । इस झरने की जल को काफी प्रभावशाली और शक्तिशाली माना जाता है माना जाता है कि इस जल के नियमित सेवन से आप हर बीमारी से निजात पा सकते हैं ।


 पांचवा यहां पर पशुओं की बलि दी जाती है बकरी की बाली तो यहां पर आम है लेकिन यहां पर किसी मर्द जानवर की बाली नहीं दी जाती है । इसके साथ ही मानता है की मां को प्रसन्न करने के लिए आप कन्या पूजन और भंडारा कर सकते हैं जिससे आपकी हर मनोकामनाएं पूरी हो जाएगी ।


छहठा रहस्य  इस जगह को तंत्र साधना के लिए सबसे महत्वपूर्ण जगह मानी जाती है यहां पर साधुओं और अघोरियों का डाटा लगा रहता है । यहां पर अधिक मात्रा में काला जादू भी किया जाता है । अगर कोई व्यक्ति काला जादू से ग्रसित है तो वह यहां पर आकर इस समस्या से निजात पा सकता है । 


सातवां कामाख्या के तांत्रिक और साधु चमत्कार करने में सक्षम होते हैं कई लोग विवाह बच्चे धन और दूसरी इच्छाओं की पूर्ति के लिए कामाख्या की तीर्थ यात्रा पर जाते हैं कहते हैं कि यहां की तांत्रिक भूमि शक्तियों को दूर करने में भी समर्थ होते हैं । हालांकि वह अपनी शक्तियों का इस्तेमाल काफी सोच विचार कर करते हैं । 


आठवां कामाख्या मंदिर तीन हिस्सों में बाटा हुआ है पहला हिस्सा सबसे बड़ा है और इसमें हर व्यक्तिको जाने नहीं दिया जाता । वहीं दूसरी हिस्से में माता के दर्शन होते हैं जहां पर एक पत्थर से हर वक्त पानी निकलता रहता है माना जाता है कि महीने की तीन दिन माता को रजत 16 होता है और इन तीन दिनों तक मंदिर के पथ बंदी रहते हैं । तीन दिनों के बाद दोबारा बड़ी धूमधाम से मंदिर के पथ खोल दिए जाते हैं ।  


नवा इस मंदिर के साथ लगे एक मंदिर में मा की मूर्ति विराजित मिलेगी जिसे कामा देवी मंदिर कहा जाता है । इस मंदिर परिषद में आपको कई देवी देवताओं की आकृति देखने को मिल जाएगी । माना जाता है कि यहां पर जो भी भक्तों अपनी मुरादे लेकर आता है उसकी हर मुरादे पूरी होती है । 



दसवां कामाख्या मंदिर से कुछ ही दूरी पर उमानंद भैरव का मंदिर है उमानंद भैरवी । इस शक्तिपीठ के भैरव है यह मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में टापू पर स्थित है । मनाता है कि उनके दर्शन के बिना कामाख्या देवी की यात्रा अधूरी मानी जाती है । इस टापू को मध्यांचल पर्वत के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यही पर समाधिस सदस्य को कामदेव ने काम बाद मार कर आहत किया था और समाधि जागृत होने पर भगवान शिव ने अपने तीसरे नेत्र से उन्हें भस्म कर दिया था । तो दोस्तों यह पोस्ट आपको कैसे लगा कमेंट करके जरूर बताइए । किसी भी देवी देवताओं को 2 मिनट में बुलाएं और बातें करें


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