इच्छा पूरी करने वाला पेड़ :
आज बात करूंगा एक ऐसे अद्भुत चमत्कारी पेड़ के बारे में जो हमारी हर मन चाहे इच्छा को पूरी करता है जी हां सुनकर आप भी चौंक गए होंगे । लेकिन यह सच है और वह पेड़ है कल्पवृक्ष वेद और पुराणों में कल्पवृक्ष का जिक्र मिलता है कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक खास वृक्ष है । पौराणिक धर्म ग्रंथो और हिंदू मान्यताओं की माने तो इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है वह इच्छा पूरी हो जाती है । पुराणों में इस वृक्ष के बारे में कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं यहां तक की इसके अलावा कुछ विद्वान यह भी मानते हैं कि पारिजात के वृक्ष को ही कल्पवृक्ष कहा जाता है जबकि पद्म पुराण के अनुसार पारिजात ही कल्पतरु है । जबकि कुछ का मानना है कि यह सही नहीं है और पुराण तो बहुत बाद में लिखे गए हैं । दरअसल कल्पवृक्ष को कल्पवृक्ष इसलिए कहा जाता है कि इसकी उम्र एक कप बताई गई है एक कप 14 भावांतर का होता है और लगभग 30 करोड़ साल का होता है जिसका मतलब यह है कि कल्पवृक्ष प्रलय काल में भी जिंदा रहता है ।
आप समुद्र मंथन के बारे में तो जानते ही होंगे । समुद्र मंथन के 14 रतन में से एक कल्पवृक्ष के भी उत्पत्ति हुई थी समुद्र मंथन से निकाला यह वृक्ष देवराज इंद्र को दे दिया गया था और इंद्र ने इसकी स्थापना सुरकानन वन में कर दी थी यानी कि हिमालय के उत्तर में सुरकानन वन है वहां कर दी थी । और माना जाता है की धरती के किसी न किसी कोने में आज भी कल्पवृक्ष कहीं ना कहीं जरूर होगा । तो आईए जानते हैं इस चमत्कारी अद्भुत पेड़ के बारे में विस्तार से । कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक बहुत ही खास वृक्ष है पौराणिक धर्म ग्रंथो और हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह माना जाता है कि इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है वह पूरी हो जाती है पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रतन में से कल्पवृक्ष भी एक था कल्पवृक्ष को अन्य कई नाम से भी जाना जाता है जैसे कि कप ग्रुप, कल्पतरु, तारु देव और कल्प लता । कल्पवृक्ष के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसका नाश कल 5 तक नहीं होता है तुबा नाम से ऐसे एक वृक्ष का वर्णन इस्लाम के धार्मिक साहित्य में भी मिलता है जो सदा आधार में फूलता फलता रहता है ।
लेकिन अब सवाल यह उठता है कि क्या सचमुच ऐसा कोई वृक्ष था या फिर नहीं था अगर था तो क्या आज वह भी मौजूद है ? अगर है तो वह कैसा दिखता है और उसके फायदे क्या है ?
तो लिए आपको बताते हैं आपको बता दें की होली ऐसी इस वृक्ष का वैज्ञानिक नाम औलिया कश्ती रखा है और यह यूरोप के फ्रांस व इटली में बहुत आयत मात्रा में पाया जाता है । यह दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी पाया जाता है । भारत में इसका वानस्पतिक नाम बंबू कैसी है । इसको फ्रांसीसी वैज्ञानिक माइकल आरक्षण में 1775 में अफ्रीका में सेनेगल में सर्वप्रथम देखा था इसी आधार पर इसका नाम एडम सोनिया डाटा रखा गया । इस भाव-भाव भीगी कहते हैं वृक्षों और जड़ी बूटियां के जानकारी के मुताबिक यह एक बहुत ही मोटे तने वाला फलदाई वृक्ष है । जिसकी टहनी लंबी होती है और पेट भी लंबे होते हैं । दरअसल यह वृक्ष पीपल के वृक्ष की तरह फैलता है और इसके पत्ते कुछ-कुछ आम के पत्तों की तरह होते हैं । इसका फल नारियल की तरह होता है जो वृक्ष की पतली टहनी के सहारे नीचे लटकता रहता है । इसका तन देखने में बरगद के वृक्ष के जैसा दिखाई देता है इसका फूल कमल के फूल में रखी किसी छोटी सी गेंद से निकले असंख्यरों की तरह होता है ।
पीपल की तरह ही कम पानी में भी यह वृक्ष फलता फूलता रहता है सदाबहार रहने वाले इस कल्पवृक्ष की पत्तियां बर्ले ही गिरती हैं । जब कि इस पतझड़ वृक्ष भी कहा गया है यह वृक्ष लगभग 70 फीट ऊंचा और इसके तने का व्यास 35 फीट तक हो सकता है । 150 फीट तक इसके तने का घेरा नापा गया है इस वृक्ष की औसत जीवन अवधि 2500 से लेकर 3000 साल तक है कार्बन डेटिंग के जरिए सबसे पुराने फर्स्ट टाइमर की उम्र 6000 साल बताए गई है ।
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औसत गुना के कारण कल्पवृक्ष की पूजा की जाती है भारत में रांची अल्मोड़ा काशी नर्मदा किनारे कर्नाटक आदि कुछ महत्वपूर्ण स्थान पर ही यह वृक्ष पाया जाता है । पद्म पुराण के अनुसार पारिजात ही कल्पवृक्ष है यह वृक्ष उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के बोरोलिया में आज भी मौजूद है कार्बन डेटिंग से वैज्ञानिकों ने इसकी उम्र 5000 साल से भी अधिक बताई है । समाचारों के अनुसार ग्वालियर के पास कोलारस में भी एक कल्पवृक्ष है जिसकी आयु 2000 साल से भी अधिक बताई जाती है । ऐसा ही एक वृक्ष राजस्थान में अजमेर के पास मांगलिया वास में है और दूसरा पुटपार्थी के सत्य साइन बाबा के आश्रम में मौजूद है यह एक परोपकारी मेडिसिनल प्लांट है । अर्थात दवा देने वाला वृक्ष है इसमें सेंटर से 6 गुना ज्यादा विटामिन सी होता है गाय के दूध से दोगुना कैल्शियम होता है । और इसके अलावा सभी तरह के विटामिन पाए जाते हैं इसकी पट्टी को ढोढर कर सुखी या पानी में उबालकर खाया जा सकता है । पेड़ की छाल फल और फूल का उपयोग औषधि तैयार करने के लिए किया जाता है । पत्तों का उपयोग हमारे दैनिक आहार में प्रतिदिन कल्पवृक्ष केपट्टे मिले 20% सब्जी और पाल किया मेथी रखें 80% इसका इस्तेमाल धनिए या सलाद की तरह भी कर सकते हैं इसके 5 से 10 पत्तों को पीस करके पराठे में भरा जा सकता है । कल्पवृक्ष के फल आम फल नारियल और बिल्ला का जोड़ है अर्थात यह कच्छा रहने पर आम और बल तथा पकने पर नारियल के जैसा दिखाई देता है लेकिन यह पूरी तरह जब सुख जाता है तो सूखे खजूर के जैसा नजर आता है ।
इच्छा पूरी करने वाला पेड़
स्पेयर का चमत्कारी कहानी - एक थका हारा व्यक्ति जंगल में एक वृक्ष के नीचे बैठा उसे ज़ोर से प्यास लगी थी सोचा कि अच्छा हो अगर पीने के लिए ठंडा ठंडा पानी मिल जाए उसे आदमी ने बस यह मन में सोचा था कि वहां फौरन एक लोटा ठंडा पानी पहुंच गया । उसने अपनी प्यास बुझाई और आराम करने लगा अब उसे भूख की आग लग गई उसने फिर सोचा कि क्या ये अच्छा हो अगर खाने के लिए स्वादिष्ट भोजन मिल जाए आदमी का बस इतना सोचा था कि सामने खूब सारा स्वादिष्ट भोजन आ गया उसने पेट भर भोजन किया । अब भोजन करने के बाद उसके मन में विचार आया कि इस निर्जन वन में मेरे मन में सोचते ही पानी और खाना कहां से आया कहीं यह भूत प्रेत की माया तो नहीं । अगर इस समय कोई भूत प्रेत आकर मुझे खो जाए तो इस विचार से वह डर गया और कांपने लगा और फिर इतना सोचनेके बाद सचमुच एक भूत वहां जाकर उपस्थित हुआ और बोला मैं तुम्हें खाऊंगा वह व्यक्ति बहुत बुरी तरह से डर गया था । और सोचने लगा कि हो ना हो इस वृक्ष में कोई जादू है जो मेरे मन के विचारों को जान लेता है और फिर वैसा ही हो जाता है पहले उसने मुझे अपनी दिया फिर भोजन दिया और अब भूत के रूप में मुझे मृत्यु देगा अचानक उस व्यक्ति के मन में इसकी विपरीत भाव आया और कहने लगा लेकिन यह तो हो नहीं सकता जरूर में कोई सपना देख रहा हूं भूत प्रेत कुछ भी नहीं होता और मैं किसी भूत प्रेत से नहीं डरता उसे व्यक्ति ने बस इतना सोच और फिर भूत गायब हो गया ।
दोस्तों वह व्यक्ति एक कल्पवृक्ष के नीचे बैठा था कहते हैं कि कल्पवृक्ष सब इच्छाओं को पूरी करने वाला होता है उसके नीचे बैठकर जो भाव मन में ले जाए अथवा इच्छा की जाए वह अवश्य पूरी होती है । लेकिन किसी इच्छा के पूरी होनेके लिए सबसे जरूरी चीज है मन में उसका होना । इच्छा क्या भाव में कल्पवृक्ष भी फल नहीं दे सकता कामना नहीं तो कैसे कामना पूर्ति हरफल या परिणाम किसी कर्म के फल स्वरुप ही उत्पन्न होता है । दोस्तों कर्म नहीं करेंगे तो फल नहीं मिलेगा कर्म की प्रेरणा विचार से ही उत्पन्न होती है । और मां कल्पवृक्ष भी तभी इच्छा पूरी करेगा जब मन में कोई इच्छा उत्पन्न होगी । दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि जैसे इच्छा होगी वैसा ही परिणाम भी आएगा भोजन और पानी की इच्छा हो तो भोजन पानी और मृत्यु का भय हो तो मृत्यु का सामना हमारी इच्छा पूर्ति हमारी सोच का ही परिणाम है । हमारी सफलता असफलता सुख-दुख लाभ हानि आरोग्य रुक्मणी था तब हमारी सोच के द्वारा निश्चित है । सकारात्मक सोच का अच्छा परिणाम तथा नकारात्मक सोच का बूरा परिणाम सफलता सुख समृद्धि और आरोग्य हमारी सकारात्मक सोच या फिर भाव धार का परिणाम है । असफलता दुख हनी और रुग्णता हमारी नकारात्मक सोच का परिणाम है । तो दोस्तों हमारा यह पोस्ट आपको कैसे लगा कमेंट करके जरूर बताइए । सिर्फ 1 मंत्र सुबह जाप करें, आपका भाग्य बदल देगा