माइंड रीडिंग कैसे सीखें :
किसी के मन को अगर आप पढ़ना चाहते हैं तो खुद का मन नियंत्रित करना सीखे, अपने मन को नियंत्रण कैसे करेंगे नीचे विस्तार से बताया गया है । नमस्कार दोस्तों हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत हैअगर आप हमारे वेबसाइट में नए मेंबर हैं तो हमें फॉलो कर सकते हैं जब भी हमारे साइट पर नया जानकारी अपडेट होंगे तो आपके पास पहले पहुंचेंगे । चलिए आप बात करते हैं आगे की लोग व्यर्थ ही ज्यादा बोल कर अपना समय बर्बाद कर रहे हैं ना बोलने का कोई भी नुकसान नहीं है लेकिन यदि आप ज्यादा बोलते हैं तो आप अत्यधिक गलती कर देते हैं । अगर व्यक्ति कम बोलना शुरू कर दे तो दुनिया की 90% मुसीबतें कम हो जाएगी झगड़ा, फसाद काम हो जाएंगे, उपद्रव काम हो जाएं,गे अदालतें काम हो जाएगी । अगर लोग थोड़ा चुप रहना सीख लिए संसार की बहुत सारी समस्याएं हैं बहुत सारा उपद्र सिर्फ बोलने से पैदा होते हैं सारी बात मन सीखने की है जब तुम नहीं बोलते तब तुम एकांत में अकेले हो गए । भरे बाजार में, भीड़ में खड़े हो नहीं बोलते हिमालय के शिखर में पहुंच गए जिसे मोन की कला जान ली वह भीड़ में भी अकेले होने की कला जान लेता है वह अपने भीतर ही डुबकी लगाने लगता है । एकांत में तो आदमी स्वर्ग में है दूसरे की उपस्थिति ही बेचैनी पैदा करती है । पहले तुम्हें चुप रहने की शक्ति को धारण करना होगा इससे तुम अधिकतर ऊर्जा को बच्चा लोगे और फिर इस स्थिति में पहुंच जाओगे किसी के भी मन को पढ़ सकते हो । तुम कम बोलने लगोगे अगर तुम किसी के यहां पर जा रहे हो और परेशान हो जाओ तो ऐसे में उचित है की आंखें बंद कर लो और अपने में खो जाओ वहां से आपको ताजगी महसूस होगी क्योंकि तुम्हारे अंदर ही जीवन का वह स्रोत छिपा हुआ है वह किसी दूसरे में नहीं है ।.
इसके बाद राजकुमार उस रसाई से पूछते हैं आखिर कौन हमें अपने अंदर तक लेकर जाएगा यह बातें सुनकर,, बुद्ध कहते हैं तुम्हें स्वयं ही अपने अंदर उतरना होगा और वहीं से परम राज्य जीवन का आनंद ले पाओगे आनंद का यही से जन्म हुआ है यही से तुम मौत में डूब जाओगे यही तुम्हारा सूरज उदय होगा और यही से अस्त होगा । इसी प्रकार तुम बार-बार डुबकी लगाओ जब भी तुम डुबकी लगाकर लौटोगे वहां से तुम पाओगे फिर ताजगी भरी जीवन की नई संपदा मिलेगी । इस नई शक्ति के जन्म होने से तुम्हारी थकान गई, उदासी गई, चिंता गई जैसे कोई स्नान,करके लौटता है तो शरीर शीतल हो जाता है शांत हो जाता है ऐसे ही जब कोई भीतर से साफ होकर वापस आता है मौन में स्नान करके लौटता है तो समस्त अस्तित्व समस्त व्यक्तित्व शांत और मौन हो जाता है आनंदित हो जाता है ।
जब तुम आंतरिक मौन कि उस पर आकाश था पर पहुंच जाओगे तब तुम पाओगे कि बोलने से भी तुम्हारा मौन खंडित नहीं होता वह बना ही रहता है उसकी एकांतर धारा लगातार तुम्हारे भीतर बहती रहती है । तुम बोलते तो हो तुम शब्द का उपयोग भी करते हो लेकिन वह तुम्हारे मन को खंडित नहीं कर पाती । एक बार गहरी मौन में स्थिर हो जाओ फिर तुम्हारी वाणी में भी मिठास आ जाएगी तुम्हारा बोलना संगीत पूर्ण होगा तुम्हारा बोलना सत्य होगा तुम बोलोगे तो दूसरों पर भी शीतलता छा जाएगी जैसे ही तुम अंदर से चुप होते हो तुम इतने शक्तिशाली होने लगते हो कि समाज की निर्भरता तुम छोड़ने लगते हो और तुम्हारे जीवन में एक मस्ती आती है जो केवल दीवानों के जीवन में एक नई रौनक आ जाती है तुम्हारी आंखें किसी अमृत के समान हो जाती हैं और तुम अनंत शांति के समुद्र में डूबने लगता हो । इतना कहकर भिक्षु रिझाई ने अपनी बात खत्म की और वह मौन में चले गए राजकुमार उनका धन्यवाद कर कर अपने महल में चला गया । दोस्तों आपने भी अनुभव किया होगा की बहुत ज्यादा बात करने से दिमाग अशांत हो जाता है जिससे हम अपने दिमाग पर नियंत्रण खो देते हैं और साथ ही अपना ध्यान भी खो देते हैं जिससे मन में और ज्यादा विचलित हो जाता है । जो लोग बहुत ज्यादा बोलते हैं उनके पास किसी एक काम पर ध्यान केंद्रित करने की काबिलियत नहीं होती वह अपने किसी भी लक्ष्य पर पूरी तरह से केंद्रित नहीं कर पाते अगर हमारा दिमाग एक जगह केंद्रित नहीं है तो हम जीवन की सच्चाई नहीं समझ पाते और ना ही मनचाही सफलता कभी हासिल कर पाएंगे । इसके अलावा भी आपने देखा होगा कि जो लोग अधिक बोलते हैं वह अक्सर लोगों के बीच हंसी का पात्र बन जाते हैं और जो लोग कम बोलते हैं और अपनी बात पर कायम रहते हैं उन्हें लोगों से सम्मान मिलता है लोग उनकी बातों को सुनते हैं और उन पर भरोसा भी करते हैं । जो लोग जरूर से अधिक बोलते हैं और अपने विचारों के बारे में पक्के नहीं होते उनका दिमाग स्थिर और विचलित रहता है शोर से भरा रहता है और एक अशांत दिमाग वाला व्यक्ति जीवन में किसी भी चीज में सफल नहीं हो पाता क्योंकि वह किसी भी काम में फोकस नहीं कर पाता और ना ही किसी के मन को पढ़ सकते हैं अगर आपको किसी के मन को पढ़ाना है तो अपने मन को नियंत्रित कर दूसरे के मन को पढ़ने की कोशिश करना चाहिए ।
लोगों का झूठ पकड़ना सीखो
यदि हमने सकारात्मक विचारों के बीच बय तो हमें सफलता और खुशी मिलेगी लेकिन यदि बोए गए बीज नकारात्मक विचारों के हैं तो असफलता और दुख साथ-साथ चलेंगे । जिन लोगों को आप सफल और महान मानते हैं वे यहां ऐसे ही नहीं पहुंच गए उन्होंने अपने विचारों पर नियंत्रण रखकर अपना चरित्र ऐसा बनाया की और इसी चरित्र के बल पर उन्होंने महानता की ऊंचाइयों को छुआ । तो मूल रूप से आपके अंदर जो विचार हैं यदि आपके मन में दूसरों के प्रति क्रोध, ईर्ष्या, घृणा है तो आप बाहर भी वैसे ही होंगे तो आपको बाहर भी वही मिलेगा । तुम्हें ऐसे लोग मिलेंगे जो तुम्हारे साथ वैसा ही करेंगे, यदि तुम्हारे पास प्रेम, शांति, करुणा है तो तुम वैसे ही बन जाओगे और आप बाहर भी वैसा ही पाएंगे और जो ऐसे विचार रखता है उसे सम्मान और प्यार दोनों मिलता है । वस्तुतः मनुष्य अपने जीवन का निर्माता स्वयं है वह इसे बना या बिगाड़ सकता है । मनुष्य अपने चरित्रता का निर्माण अपने कार्यों और विचारों से करता है , अपना समुदाय बनाता है, अपनी किस्मत खुद बनाता है ।
व्यक्ति ने कहा अपने विचारों से खुद को कैसे सुधार सकता हूं ? बुद्ध ने कहा था कि अगर तुम खुद को सुधारना चाहते हो तो सबसे पहले अपने विचारों पर ध्यान देना शुरू करो । तुम्हें यह देखना होगा कि तुम दिन भर क्या सोच रहे हो, क्या तुम दिन भर मन में बुराई और लोगों के प्रति नफरत पाल रहे हो आपको बस इस बात पर ध्यान देना है कि आप अच्छाई की ओर जा रहे हैं या बुराई की ओर । जब आप अच्छे से समझ जाएंगे कि आपका दिमाग में अच्छे विचार चलते हैं या बुरे तभी आप अपने जीने के तरीके में बड़ा सकारात्मक बदलाव कर पाएंगे आपके अंदर कभी ना खत्म होने वाला खजाना है आप नहीं जानते कि आप क्या कर सकते हैं । आप किस तरह की अद्भुत शक्तियां प्राप्त कर सकते हैं आप नहीं जानते हैं । अपने महान योद्धाओं और महान लोगों के बारे में तो सुना ही होगा यदि आपको उनकी शक्तियों पर विश्वास नहीं है आपको बस यह मानना होगा कि आपके बिना धुआं नहीं होता जरूर उनमें कुछ तो बात होगी जिसकी वजह से उनके बारे में इतना कुछ लिखा और कहा गया है । तो वह कौन लोग थे जो दुनिया में महान योद्धा और आदर्श के रूप में पूजे जाते थे जाते थे अगर हम थोड़ा और गहराई से सोचें तो यह वे लोग थे जिन्होंने अपने भीतर के अटूट खजाने को पहचान वे लोग अभ्यास करते रहे । और सभी की भलाई करने वाले लोगों की मदद करके खुद को बेहतर बनाते रहे और वे दुनिया में महान और अमर हो गए । दोस्तों अगर आप किसी के झूठ को पकड़ना चाहते हैं तो खुद को बदलना होगा तभी आप किसी के मन को और झूठ को पकड़ सकते हैं ।