भारत को किसने आजाद कराया था?
भारत को किसने आजाद कराया था?
भारत को तीनों नामों से जाना जाता है । भारत, इंडिया और हिंदुस्तान आज यहां जो भी इतिहास पढ़ेंगे सच्चाई पर आधारित है भारत की आजादी की लड़ाई में कितने लोग शहीद हुए हैं शायद इसका तो कोई अनुमान नहीं लगा सकते हैं । लेकिन इतिहास के अनुसार जो भी सच्चाई सामने आए हैं आपके सामने उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं । आजादी के बाद हिंदुस्तान में जो भी इतिहास पढ़ाया गया है कुछ इतिहास ऐसा है जो कि छुपाया गया है । अगर सच्चाई नहीं छुपाया होता तो 70 साल तक भारत में राज नहीं कर सकता था । इसलिए सच्चाई को छुपा कर उन पार्टी ने 70 साल तक राज किया ।
सेलुलर जेल की काल कोठरियाँ भी भारतीय क्रान्तिकारियों के मनोबल को नहीं तोड़ पायीं। भारत की स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजों के विरुद्ध आन्दोलन दो प्रकार का था, एक अहिंसक आन्दोलनएवं दूसरा सशस्त्र क्रान्तिकारी आन्दोलन। भारत की आज़ादी के लिए 1857 से 1947 के बीच जितने भी प्रयत्न हुए, उनमें स्वतंत्रता का सपना संजोये क्रान्तिकारियों और शहीदों की उपस्थित सबसे अधिक प्रेरणादायी सिद्ध हुई। वस्तुतः भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग है। भारत की धरती के जितनी भक्ति और मातृ-भावना उस युग में थी, उतनी कभी नहीं रही।मातृभूमि की सेवा और उसके लिए मर-मिटने की जो भावना उस समय थी, आज उसका नितांत अभाव हो गया है।क्रांतिकारी आंदोलन का समय सामान्यतः लोगों ने सन् 1857 से 1942 तक माना है। श्रीकृष्ण सरल का मत है कि इसका समय सन् 1757 अर्थात् प्लासी के युद्ध से सन्1961 अर्थात् गोवा मुक्ति तक मानना चाहिए। सन् 1961 में गोवा मुक्ति के साथ ही भारतवर्ष पूर्ण रूप से स्वाधीन हो सका है।जिस प्रकार एक विशाल नदी अपने उद्गम स्थान से निकलकर अपने गंतव्य अर्थात् सागर मिलन तक अबाध रूप से बहती जाती है और बीच-बीच में उसमें अन्य छोटी-छोटी धाराएँ भीमिलती रहती हैं, उसी प्रकार हमारी मुक्ति गंगा का प्रवाह भी सन् 1757 से सन् 1961 तक अजस्र रहा है और उसमें मुक्ति यत्न की अन्य धाराएँ भी मिलती रहीहैं। भारतीय स्वतंत्रता के सशस्त्र संग्राम की विशेषता यह रही है कि क्रांतिकारियों के मुक्ति प्रयास कभी शिथिल नहीं हुए।भारत की स्वतंत्रता के बाद आधुनिक नेताओं ने भारत के सशस्त्र क्रान्तिकारी आन्दोलन को प्रायः दबाते हुए उसे इतिहास में कम महत्व दिया गया और कई स्थानों पर उसे विकृतभी किया गया। स्वराज्य उपरान्त यह सिद्ध करने की चेष्टा की गई कि हमें स्वतंत्रता केवल कांग्रेस के अहिंसात्मक आंदोलन के माध्यम से मिली है। परंतु इतिहास में कुछ और ही बता रहा है जो हकीकत में अहिंसा से नहीं लड़ते-लड़ते यह आजाद हुआ हिंदुस्तान , इस नये विकृत इतिहास में स्वाधीनता के लिए प्राणोत्सर्ग करने वाले, सर्वस्व समर्पित करने वाले असंख्य क्रांतिकारियों, अमर हुतात्माओं की पूर्ण रूप से उपेक्षा की गई। 1857 की क्रांति मे वैसे तो लोधी समाज के1500 से अधिक लोगो के शहीद होने की पुष्टि करता है इतिहास लेकिन समाज के पिछडेपन के कारण इतनी जानकारी सहेजी नही गईं उसका कारण इतिहास का ग्यान व जानकारीन होना है इतिहास को जागृत व सामाजिक आयामो में पहुंचे ऐसा प्रयास हमे करना होगा -----1857 की क्रांति मे शहीद हुए हमारे पूर्वजों को शत शत नमन 🙏🌷🙏
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मित्रों में आप सभी से माफ़ी चाहता हूँ यदि किसीका नाम छूट गया हो तो जरूर बताना क्यूँ की मुझे इतना ही जानकारी प्राप्त हुई हैं |
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