मक्का मदीना के अंदर हिंदू 2 कारण केलिए प्रवेश नहीं कर सकते हैं

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मक्का मदीना के अंदर हिंदू प्रवेश क्यों नहीं कर सकते हैं? 


मक्का-मदीना पूरे विश्व के मुसलमानों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है। जहां मक्का स्थित पवित्र काबा की परिक्रमा करके हर मुसलमान खुद को धन्य समझता है। लेकिन  प्रश्न ये उठता है  कि मक्का-मदीना में गैर मुसलमानों का प्रवेश निषेध क्यों है?

 हेलो मित्रों नमस्कार मैं फिर से एक नया जानकारी लेकर हाजिर हूं आपके सामने और यह जानकारी सत्य धर्म के विषय में हैं जहां सभी को जानकारी होना चाहिए ।

 मक्का मदीना के विषय में तो आप सुने होंगे क्या आप जानते हैं किसी भी हिंदू को मक्का में प्रवेश करने का इजाजत नहीं है । परंतु ऐसा क्यों है उसका कारण जानने के लिए यह पोस्ट जरूर पढ़ें ।


कुछ लोगों का मानना यह है कि मक्का-मदीना पहले एक हिंदू धर्म स्थल था जिसे बाद में मुस्लिम तीर्थ स्थल के रूप में परिवर्ति कर दिया गया जबरन क्या यह सच है चलिए जानते हैं विस्तार से


जेद्दाह शहर एक प्रमुख बंदरगाह और हवाई रूट का एक मुख्य केंद्र है। जैसे ही लोग जेद्दाह से मक्का जाने वाले मार्ग की तरफ रूख करते हैं वहां जगह-जगह निर्देश लिखे हैं कि यहां मुसलमानों के सिवा किसी गैर धर्म का आदमी प्रवेश नहीं कर सकते हैं।


इन सूचना पट्टों पर लिखा होता है यहां काफिरों का प्रवेश वर्जित है।


लेकिन अब काफिर के  स्थान पर गैर मुस्लिम शब्द लिख दिया गया है। वास्तव में काफिर शब्द का उपयोग नास्तिक के लिए किया जाता है। वैसे देखा जाए तो काफिर शब्द की परिभाषा अभी विवादों के घेरे में है।

प्रसिद्ध इतिहासकार स्व. पी.एन. ओक अपनी पुस्तक 'वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास' में लिखे हैं कि जिस तीर्थ को मुसलमान मक्का कहते हैं वो पहले मक्केश्वर महादेव का मंदिर था। वहां काले रंग का एक विशाल शिवलिंग था जो खंडित अवस्था में आज भी वहां मौजूद है। हज यात्री आज भी संगे अस्वद अर्थात् संग मतलब पत्थर और अस्वद का अर्थ काला यानि उसी काले पत्थर को भक्ति के साथ चूमते हैं।


वेंकटेश पंडित लिखित ग्रंथ 'रामावतारचरित' के युद्धकांड प्रकरण के एक प्रसंग में 'मक्केश्वर लिंग'का वर्णन किया गया है । शिव ने रावण को युद्ध में विजयी होने के लिए मक्केश्वर महादेव शिवलिंग देते हुए कहा था कि जा यह तेरी रक्षा करेगा लेकिन जाते समय इसे रास्ते में धरती पर कहीं मत रखना।


👉रावण आकाशमार्ग से लंका की ओर जा रहा था तभी कुछ ऐसे हालात बने कि उसे शिवलिंग धरती पर रखना पड़ा। उसके बाद रावण ने शिवलिंग को खूब उठाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाए। वेंकेटश पंडित के अनुसार वर्तमान अभी यह स्थान मक्का में स्थित है।


अरब मोहम्मद पैगम्बर से पूर्व इस शिवलिंग को 'लात' कहा जाता था और इस काले शिवलिंग की पूजा की जाती  थी। भविष्य पुराण में इसका उल्लेख मक्केश्व महादेव के रूप में है। इस्लाम के प्रचार-प्रसार से पहले इजराइल और अन्य यहूदियों द्वारा इसकी पूजा किए जाने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। लेकिन इसे आज भी विवादास्पद तथ्य के रूप में देखा जाता है।

भारतीय संस्कृति में पवित्र गंगा का स्पष्ट उल्लेख जहां शिव के साथ गंगा और चंद्रमा की कल्पना की जाती है। काबा के पास एक पवित्र झरना पाया जाता है। इस्लाम की स्थापना से पहले भी इस पानी को पवित्र माना जाता रहा है। जिसे इस्लाम में आबे जम-जम कहा जाता है।


सिख धर्म के संस्थापक गुरूनानक देव ने भारत ही नहीं वरन इराक के बगदाद और सउदी अरब के मक्का-मदीना तक की यात्रा की।


1) मक्का-मदीना में कोई भी गैर मुस्लिम प्रवेश नहीं कर सकता है। क्यों कि यहां प्रवेश करने के लिए एक बुनियादी शर्त है और वो ये है कि जो शख्स पूरे मन से 👉अल्लाह का सच्चा रसूल स्वीकार करेगा और इस्लाम धर्म विश्वास रखता हो वहीं यहां जा सकता है। यानि यहां जाने के लिए इस्लाम धर्म स्वीकार करना पड़ेगा।


2)  दोस्तों विज्ञान के अनुसार मक्का में जिस पत्थर को  चूमने के लिए मुसलमान जाते हैं इतिहास में यही प्रमाण होता है कि यह हकीकत में शिवलिंग है । जिसके कारण किसी भी गैर मुस्लिम को जाना मना है । वहां शिवलिंग है करके छुपाने की कोशिश कर रहे हैं । अगर ऐसा नहीं होता तो हिंदुओं को जाना मना क्यों है ? इस बात का यही प्रमाण हो रहा है अगर कोई गैर मुस्लिम वहां पर भूल से भी पहुंच जाएं तो हकीकत सब पता चल सकता है । जिसके कारण किसी भी प्रकार के गैर मुस्लिम मक्का मदीना के भीतर प्रवेश करने नहीं देते हैं ।। यदि वहां हिंदुओं की देवी देवताओं की प्रमाण मिल गये तो बहुत बड़ा दंगा हो सकता है । इसलिए वहां के सरकार भी बहुत सख्त निर्देश दिया हुआ है कि किसी भी गैर मुसलमानों को प्रवेश निषेध है ।

दोस्तों कई बार हो चुका है एक हिंदू मुसलमान बनकर मक्का में प्रवेश करने की कोशिश की मगर सफल नहीं हो पाए, उन्हें पहले से ही आभास हो चुका था  पकड़े जाने पर उनको दंड भी मिला । 

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मित्रों यदि आप हिंदुस्तान में है तो आप को भली-भांति ज्ञात होगी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम मंदिर तोड़ के इस्लाम के राजा अपने शासन काल में उनका अपने ही धर्म के मस्जिद बनवाया थे और यह इतिहास गवाह है ।  हिंदुस्तान में भी तो हिंदूओं का ही स्थान था लेकिन फिर भी राम मंदिर को तोड़ के मस्जिद से परिवर्तन किया था ।


इतिहास भी गवाह है कि जहां मक्का और मदीना की बात की जा रही है वहां सिर्फ हिंदू  राजाओंं का ही स्थान हुआ करते थे । पर अचानक हिंदू कहां गायब हो गया । जिस प्रकार हिंदुस्तान में इस्लामिक राजाओं ने अपने कब्जा कर शासन किया करते थे ठीक इसी प्रकार मक्का मदीना में तलवार की धार से राज पाठ शासन किया । यह सच्चाई जानकारी इतिहास भी गवाह है  ।

मक्का में जिस विशाल पत्थर को चादर में ढका हुआ  दिखा देते हैं वह कुछ और नहीं वह है शिवलिंग जिसे दुनिया के नजर में छुपा कर रखे हैं ।  इसलिए सदैव काला वस्त्र से ढका हुआ रहते हैं और किसी भी गैर मुसलमानों को जाने की अनुमति नहीं दी गई है ।

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