ईश्वर या अलौकिक शक्तियों की आराधना करना किस प्रकार का संचार माना जाता है

bholanath biswas
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ईश्वर की शक्ति कैसे प्राप्त करें


ईश्वर या अलौकिक शक्तियों की आराधना :


 अलौकिक शक्ति के स्वामी कैसे बने मित्रों जीवन में दो तरह की शक्ति अपना कार्य करती है । पहले है लौकिक शक्ति जो दिखाई देती हैजैसे एक शक्तिशाली व्यक्ति को कोई कमजोर व्यक्ति लड़ाई झगड़ा करने के लिए हो सकता है और शक्तिशाली व्यक्ति उसे तुरंत पछाड़ देता है यह तो हुई लौकिक शक्ति । और दूसरी है अलौकिक शक्ति जो शून्य में विलीन है और सभी मनुष्यों के शरीर में स्थित है यह संपूर्ण ब्रह्मांड में विद्यमान है जो सृष्टि के प्रत्येक पदार्थ पर समान रूप से अपना प्रभाव डालती है  इस शक्ति की अलौकिकता और अगम्यता का अंदाजा लगाना मुश्किल है । यह अलौकिक शक्तियां संसार के प्रत्येक मनुष्य में सुता अवस्था में रहती है और यही शक्ति हमें प्रभावित करती हैं । ब्रह्मांड में विचरण कर ग्रह, नक्षत्र, सितारों में भी यही शक्ति विद्यमान होने के कारण इन ग्रह नक्षत्र की चाल से मनुष्य के भाग्य और भविष्य के साथ-साथ उसकी शारीरिक और मानसिक क्रियो पर प्रभाव पड़ता रहता है । इसी प्रकार देखें तो रंगों और रतन का भी मनुष्य पर प्रभाव पड़ता है यानी कि संसार के प्रत्येक जड़, चेतन, सजीव, निर्जीव पदार्थ में व्याप्त उसे अज्ञात शक्ति का प्रभाव दूसरी अन्य वस्तुओं पर अवश्य परिलक्षित होता है । नमस्कार दोस्तों हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है अगर आप हमारे वेबसाइट में नए मेंबर हैं तो जल्दी से फॉलो कर लीजिए जब भी कोई अपडेट होंगे नए जानकारी तो आपके पास पहले नोटिफिकेशन पहुंचेंगे ।


दोस्तों आप जिस जानकारी के लिए हमारे वेबसाइट में एक क्लिक के सहारे पर आए हैं उससे भी ज्यादा जानकारी इस पोस्ट पर मिलेंगे अंत इस पोस्ट को बीच में छोड़कर मत जाइए हम तक जरूर पढ़िए । दोस्तों चलिए आगे बढ़ते हैं मनुष्य के अंदर छिपी हुई शक्ति अन्य दूसरे मनुष्य तथा वस्तुओं को प्रभावित करती है । मनुष्य किसी भी प्राणी को सम्मोहित करके उसे मानो वंचित कार्य करवा सकता है अथवा सदैव के लिए अपने वशीभूत भी कर सकता है इसकी यांत्रिक जिस प्रकार चुंबक लोहे को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है उसी प्रकार से मनुष्य भी अपनी शक्ति के बल पर जड़त्व अथवा चेतन पदार्थों को समान रूप से प्रभावित कर सकता है । 



सारे संसार में एक अलौकिक था बृहत चेतन फैली हुई है जिसके कारण ही प्राणियों एवं जड़ चेतन पदार्थ में पारस्परिक आकर्षण शक्ति के कारण यह सभी किसी अज्ञात शक्ति से एक दूसरे से प्रभावित है । इस विराट चेतना के कारण ही संसार के समस्त प्राणी और जड़ चेतन पदार्थ पृथक पृथक होकर भी सृष्टि का ही एक अभिन्न अंग है । प्राचीन ऋषि मुनि हमारे सृष्टि में प्रवाहित इस अलौकिक धारा से अपनी कठोर तपस्या के बल पर कुछ अंश प्राप्त करके उसे अलौकिक धारा में इस प्रकार से जुड़ जाते थे कि किसी भी प्रकार का चमत्कार कर देना उनके लिए असंभव नहीं था । यहां तक की इस पर मात्र से मनुष्य के जीवन और विचारों को परिवर्तित करके उसे रोग मुक्त कर देना या भी उनके बाएं हाथ का खेल था । मित्रों ईसाइयों की पवित्र ग्रंथ बाइबिल के अनुसार प्रभु यीशु केवल हाथ के स्पर्श से लोगों के दुख दर्द तथा भयंकर बीमारी का निवारण कर देते थे । उनके हस्ती स्पर्श मात्र से रोगियों की अषाढ़ियों और आषाढी बीमारियां भी नष्ट हो जाया करती थी और रोगी पूर्णतया स्वस्थ हो जाते । 



वास्तव में यह एक ऐसी अलौकिक शक्ति होते हुए भी ऐसा भौतिक गुण है जो ब्रह्मांड में व्याप्त और प्रसारित अलौकिक धारा से संबंध रखता है । इस संसार में प्राणियों और ब्रह्मांड के समस्त ग्रह, नक्षत्र, सितारों में प्राप्त विद्युत चुंबकीय आकर्षण शक्ति के माध्यम से किसी न किसी प्रकार का घनिष्ठ संबंध है । आवश्यक है जिसके परिणाम स्वरूप ग्रहण की छाल के द्वारा मनुष्य के भाग्य में व्यापक परिवर्तन आ जाता है ।मित्रों मनुष्य की चेतना ब्रह्मांड की ऊर्जा से पृथक नहीं हो सकती और ना ही उसकी शक्ति या उसकी सीमा को मर्यादित किया जा सकता है अर्थात यह ब्रह्मांड की शक्ति मनुष्य की चेतना के माध्यम से ही प्रत्यक्ष रूप से दृष्टि गोचर हो सकती है और यह चित्र मनुष्य के मन के अंदर जागृत होती है । निर्विकार, वासना रहित कामना रहित संकल्प की ओर सातो गुनी मनुष्य ही अपने मन की शक्तियों को पूर्णता विकास करके अलौकिक शक्तियों को प्राप्त कर सकता है । मनुष्य के मन में एक अद्भुत चेतन होती है जो उसके अवचेतन मन में छिपी हुई रहती है वह अवचेतन मन की समस्त अद्भुत शक्तियों का केंद्र और कोषागार है । परंतु सांसारिक मोह माया वासनाओं ललाट इच्छाओं के मुंह पास से बंधा हुआ मनुष्य अवचेतन मन की ओर ध्यान नहीं दे पता है जिसके कारण वह सामान्य जीवन यापन करता है ।


दोस्तों  जो मनुष्य अपने अवचेतन मन की शक्तियों को पहचान कर उनको विकसित करके उनका उपयोग कर लेते हैं उन मनुष्यों का सृष्टि से संपर्क स्थापित हो जाता है और विश्व साधारण मानव से ऊपर उठकर महामानव बन जाते हैं । मित्रों वह अपने मन की शक्तियों को पूर्ण विकसित करके मनुष्य अथवा जड़ चेतन पदार्थ तो क्या अपठित संपूर्ण प्रकृति को ही अपने अनुकूल बना सकते की क्षमता उसमें समय आ जाती है । मानव के लिए उन समस्त शक्तियों पर नियंत्रण स्थापित कर लेना कोई असंभव कार्य नहीं है प्रत्येक मनुष्य में अंतर शक्ति होती है और इन अंतर शक्तियों को विकसित करके वह अखिल ब्रह्मांड में बह रही अलौकिक धारा से संपर्क स्थापित करके उसे अंश प्राप्त करके अलौकिक शक्तियों का स्वामी बन सकता है । आवश्यकता है तो सिर्फ जिन संकल्प अटूट आत्मविश्वास और मन की एकाग्रता । 


 मित्रों जीवन में जब हमारे द्वारा किसी के नुकसान करेंगे करने के बारे में नहीं सोचा जाता तो यह विश्वास करें कि आपका कोई मनुष्य नुकसान नहीं कर सकेगा क्योंकि वह अलौकिक शक्ति आपकी रक्षा करती है और यदि कोई आपका नुकसान करता है तो विश्वास करें कि आपकी आंखों के सामने कुछ दिनों में वह स्वयं ही बुरे कर्म में इतना परेशान हो जाता है कि स्वयं को बर्बाद होने से बचा नहीं पता । यह सिर्फ और सिर्फ अलौकिक शक्ति का कमाल है जो ईश्वर की आप पर कृपा है । तो दोस्तों हमारे यह पोस्ट आपको कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताइए हमारे साथ जुड़ने के लिए फॉलो अवश्य करें।

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