Akbar Birbal Ki Kahani: अकबर बीरबल की TOP तीन कहानी,सच्चे प्यार की परीक्षा

bholanath biswas
0


akbar birbal ki kahani


Akbar Birbal Ki Kahani: 


निश्चित रूप से! अकबर और बीरबल की कहानियाँ भारतीय लोककथाओं की क्लासिक कहानियाँ हैं, जो अपनी बुद्धि और बुद्धिमत्ता के लिए मनाई जाती हैं। यहां तीन लोकप्रिय कहानियां हैं:


कहानी 1: राज्य में कौवे

एक दिन बादशाह अकबर और बीरबल महल के बगीचों में घूम रहे थे। अकबर ने चंचल मुद्रा में बीरबल से पूछा, "मेरे राज्य में कितने कौवे हैं?"


बीरबल ने एक क्षण सोचा और फिर उत्तर दिया, "महाराज, आपके राज्य में पंचानवे हजार चार सौ तिरसठ कौवे हैं।"


अकबर सटीक संख्या से आश्चर्यचकित था। उसने पूछा, "क्या होगा यदि कौवे इससे अधिक हों?"


बीरबल ने उत्तर दिया, "यदि अधिक कौवे हैं, तो इसका मतलब है कि पड़ोसी राज्यों से कुछ कौवे हमारे राज्य में घूमने आये हैं।"


अकबर ने फिर पूछा, "और अगर कौवे कम हो गए तो?"


बीरबल मुस्कुराये और बोले, "तो फिर हमारे कुछ कौवे दूसरे राज्यों में छुट्टियाँ बिताने चले गये हैं।"


बीरबल की चतुराईपूर्ण प्रतिक्रिया पर अकबर खूब हँसे और उनकी त्वरित बुद्धि की प्रशंसा की।


कहानी 2: बीरबल की खिचड़ी

एक सर्दियों की शाम, बादशाह अकबर और बीरबल विभिन्न विषयों पर चर्चा कर रहे थे, तभी बातचीत मौसम की ओर मुड़ गई। अकबर, बीरबल को चुनौती देना चाहते थे, उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि कोई भी रात भर झील के ठंडे पानी में रह सकता है। अगर कोई ऐसा कर सकता है, तो मैं उन्हें अच्छा इनाम दूंगा।"


बीरबल को एक गरीब आदमी मिला जो चुनौती स्वीकार करने को तैयार था। वह आदमी कड़ाके की ठंड सहते हुए पूरी रात झील में रहा। सुबह जब वह अपना इनाम लेने आया तो अकबर ने उससे पूछा कि वह गर्म कैसे रहता है। उस आदमी ने उत्तर दिया, "मैं महल में जलते हुए दीपक को देखता रहा और इससे मुझे ठंड सहने की शक्ति मिली।"


अकबर ने उस आदमी को इनाम देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि दीपक की गर्मी से उसे मदद मिली। वह आदमी मदद के लिए बीरबल के पास गया। अगले दिन, बीरबल ने अकबर को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया और एक छोटी आग के ऊपर कच्ची खिचड़ी का एक बर्तन रखा।


घंटों बीत गए और खिचड़ी कच्ची रह गई। अकबर ने हैरान होकर बीरबल से पूछा, "इतनी दूर आग में खिचड़ी कैसे पक सकती है?"


बीरबल ने उत्तर दिया, "उसी प्रकार जिस प्रकार उस व्यक्ति को दूर जलते हुए दीपक से गर्मी प्राप्त हुई।"


अपनी गलती का एहसास करते हुए, अकबर ने उस गरीब व्यक्ति को उदारता से पुरस्कृत किया और बीरबल की बुद्धिमत्ता की प्रशंसा की।


कहानी 3: सच्चे प्यार की परीक्षा

एक दिन, एक अमीर व्यापारी न्याय मांगने के लिए अकबर के दरबार में आया। उसने कहा कि वह एक महिला से बेहद प्यार करता था, लेकिन उसने एक अमीर आदमी के लिए उसे छोड़ दिया था। व्यापारी चाहता था कि अकबर उसे उसके विश्वासघात के लिए दंडित करे।


अकबर ने महिला के प्यार की परीक्षा लेने का फैसला किया। उसने व्यापारी और स्त्री दोनों को दरबार में आने का आदेश दिया। फिर उसने उनके सामने एक भारी पत्थर रखा और कहा, "जो कोई भी इस पत्थर को उठा सकता है वह दूसरे के प्रति अपने प्यार का दावा कर सकता है।"


अमीर व्यापारी अपनी पूरी कोशिशों के बावजूद भी उस पत्थर को नहीं उठा सका। जब महिला की बारी आई तो उसने रोते हुए कहा, "मैं इस पत्थर को नहीं उठा सकती। यह मेरे लिए बहुत भारी है। लेकिन अगर मेरा प्यार सच्चा है, तो पत्थर को अपने आप उठने दो।"


सभी को आश्चर्य हुआ जब पत्थर थोड़ा हिल गया। अकबर को यह एहसास हुआ कि उसका प्यार सच्चा था, उसने घोषणा की कि सच्चे प्यार को धन या भौतिक संपत्ति से नहीं मापा जा सकता है और व्यापारी के दावों को खारिज कर दिया। महिला के सच्चे प्यार की जीत हुई और अकबर ने बीरबल की निष्पक्ष निर्णय और बुद्धिमान सलाह के लिए प्रशंसा की।


ये कहानियाँ बीरबल की चतुराई और बुद्धिमत्ता तथा सम्राट अकबर के न्यायप्रिय स्वभाव को उजागर करती हैं। 

अकबर-बीरबल के मूर्ख और बुद्धिमान की 5 कहानी 

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!
10 Reply