भगवान की पौराणिक कथाएं : मनसा देवी की कथाएं

bholanath biswas
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भगवान की पौराणिक कथाएं



भगवान की पौराणिक कथाएं :


धार्मिक के बारे में सब कुछ सभी को पता नहीं होता इसलिए जो हमारे जानकारी में है वह हम आप लोगों के साझा कर रहा हूं। मित्रों अगर किसी भी प्रकार के कहीं गलती हो जाए तो कमेंट करके जरूर बताइए ।

भगवान की लीला समझना हम आम इंसान के वश की बात नहीं है पर पौराणिक कथा के अनुसार जो हमें जानकारी मिली हैं आपको हम उसी के अनुसार बताएंगे।

जाना जाता है कि मां मनसा देवी शिव पुत्री हैं हम अधिक लोग ही जानते हैं ।
पर क्या यह  सच है ? इसका कुछ उल्लेख हम आप लोगों के सामने करने जा रहा हूं ।
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पौराणिक कथाओं के अनुसार-
एक मनी ऋषि थे जिनका नाम है कश्यप मनी ऋषि । कश्यप मनी उन्होंने घोर तपस्या  करके भोलेनाथ से एक संतान की वरदान प्राप्त किए थे ।
विस्तार से जानते हैं कैसे हुआ ?

दरअसल एक दिन भोलेनाथ किसी वन में फूल तोड़ने गया था उसी वक्त पार्वती ने दोनों पंछियों को भेजा और कहा कि तुम लोग रूप बदल के इतने सुंदर नारी बनके भोलेनाथ की करीब जाओ और उन्हें ध्यान भटका ओ ।
 मां पार्वती के आदेश से दोनों पंछियों ने
 बाबा भोलेनाथ के पास जाकर सुंदर नारी बनकर  नित्य करने लगी  । भोलेनाथ की इतनी सुंदर नारी देखकर होश उड़ गया मन ही मन में कामवासना जाग गया उसी सन कामवासना के चलते भोलेनाथ की वीर्यपात हो चुका था वही वीर्यपात हाथ में लेकर नदी के किनारे पदमा की पत्ता पर फेंक दिया था , और उसी पदमें के जड़ के जरिए पाताल लोक में गया था ।

जहां केशव मनि ऋषि जप कर रहे थे एक शीला को लेकर और वही शीला में जा गिरा भोलेनाथ की वीर्य ।
धीरे-धीरे वही शिला एक छोटा सा संतान की रूप धारण करने लगा , मनी ऋषि कश्यप जब करते करते  किसी संतान की रोने की आवाज सुनी तब उसकी आंखें खुली और देखने लगा कि जिस शीला के सामने जप कर रहे थे वही शीला एक कन्या के रूप में  धारण कर लिया। ऐसे दृश्य देखकर मनी ऋषि कश्यप की मन में प्रश्न उठा यह कैसे संभव है एकशीला नारी के रूप में बदल जाना ?
 उसी को देखने के लिए केशव मनी ऋषि ने अपने दिव्य शक्ति से देखा कि बाबा भोलेनाथ की मन की विचलित से वीर्यपात हो चुका था ओर वही वीर्य इस शिला में आकर गिरा ओर धीरे धीरे कन्या संतान के रूप में बदल गया ।
भोलेनाथ के मन विचलित के कारण ही मनसा देवी की जन्म हुई है और इसी के कारण उसके नाम मनसा रखा गया ।

मनी ऋषि कश्यप ने बहुत खुशी से संतान को उठा कर ले गया ओर उसी दिन से  पाल पोस कर बड़ा किया था ।

मां मनसा देवी बड़ा होने के बाद जब उन्हें पता चला कि उनकी पिता कश्यप मुनि नहीं बल्कि भगवान शिव है तो स्वर्ग लोग में जाकर अपने महादेव से पुत्री होने की अधिकार लिया था ।

आप ही बताइए मित्रों मां मनसा देवी की असली पिता कौन है शिव है या मनी ऋषि केशव है ?

शास्त्र में कहता है कि जो व्यक्ति एक संतान को बचपन से लेकर जवानी तक पाल पोस  के बड़ा करते हैं वही असली पिता होते हैं । माया ,ममता ,प्रेम जितना भी आपस में बांटा जाता है वही असली होता है ।
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 महादेव ने दिव्य दृष्टि से देखने के बाद मां मनसा देवी को अपने पुत्री के रूप में दर्जा दिया ।

यह था मेरा छोटा सा जानकारी । मित्र इस जानकारी से आपको कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताइएगा । हमारे साथ जुड़ने के लिए लाल बटन दबाकर जुड़ सकते हैं , जब भी हम नया नया जानकारी अपडेट करेंगे आपके पास पहले पहुंचेंगे । तो मित्रों खुश रहिए आबाद रहिए स्वस्थ रहिए जय हिंद जय भारत माता की ।🙏


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