भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण: एक विस्तृत विश्लेषण

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जनसंख्या वृद्धि के कारण: एक विस्तृत विश्लेषण

जनसंख्या वृद्धि के कारण

मेरे प्रिय पाठक, आज हम एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करेंगे। वह मुद्दा है - जनसंख्या वृद्धि के कारण। हम सभी जानते हैं कि भारत में तेजी से लोगों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन, क्या हम इसके कारणों को अच्छे से समझते हैं?

इस लेख में, मैं आपको जनसंख्या वृद्धि के कारणों के बारे में बताऊंगा। मैं आपको एक व्यापक दृष्टिकोण देने का प्रयास कर रहा हूँ।

प्रमुख अवधारणाएँ

  • जनसंख्या वृद्धि के कारण - प्राकृतिक वृद्धि, प्रवास और आयु संरचना
  • जन्म दर और मृत्यु दर का प्रभाव
  • शहरीकरण और औद्योगिकीकरण का जनसंख्या वृद्धि पर असर
  • रोजगार और आजीविका के अवसर
  • जनसंख्या वृद्धि का पर्यावरण और आर्थिक विकास पर प्रभाव

जनसंख्या वृद्धि के कारण

भारत में जनसंख्या का बढ़ना कई कारणों से होता है। शिक्षा की कमी और बाल विवाह इसके मुख्य कारण हैं। साथ ही, बहुविवाह और संयुक्त परिवार भी इसका हिस्सा हैं।

इन कारणों से जन्म दर ऊंचा है और मृत्यु दर कम है। इस तरह प्राकृतिक वृद्धि दर बढ़ता है।

बढ़ती आबादी के मुख्य कारण

भारत में साक्षरता दर में सुधार आया है। 2001 में यह 65.38% था और 2011 में 74% हो गया। लेकिन महिलाओं की साक्षरता अभी भी कम है।

शिक्षा के अभाव से लोगों को परिवार नियोजन की जानकारी नहीं होती। इस वजह से अनियंत्रित संतानोत्पत्ति होती है।

उच्च शिक्षा में सिर्फ 11% लोग पंजीयन करवाते हैं।

  • शिक्षा का अभाव
  • बाल विवाह
  • बहुविवाह
  • संयुक्त परिवार प्रणाली
  • बड़े परिवार की इच्छा

इन कारणों से जन्म दर और मृत्यु दर में कमी नहीं आई। इसलिए प्राकृतिक वृद्धि दर बढ़ा है। आयु संरचना और प्रवास भी जनसंख्या में योगदान देते हैं।

"ज्ञान के अभाव में इन्हें परिवार नियोजन संबंधी जानकारी नहीं होती, जिसके फलस्वरूप अनियंत्रित संतानोत्पत्ति होती रहती है।"

जन्म दर और मृत्यु दर का प्रभाव


भारत की जनसंख्या में कई कारक हैं, जिनमें जन्म दर और मृत्यु दर शामिल हैं। 1971-81 के बीच, वार्षिक वृद्धि दर 2.5% थी। लेकिन 2011-16 में यह घटकर 1.3% हो गई।

उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और हरियाणा में जनसंख्या वृद्धि दर अभी भी अधिक है।

दक्षिण भारत के राज्यों और पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम, हिमाचल प्रदेश में वृद्धि दर 1% से कम है। आने वाले दो दशकों में भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में तेज गिरावट होने की संभावना है।

यह प्राकृतिक वृद्धि दर में गिरावट का संकेत है, जो आयु संरचना में बदलावों का संकेत है।

राज्य वार्षिक वृद्धि दर (2011-16)
उत्तर प्रदेश 1.8%
बिहार 1.7%
राजस्थान 1.6%
हरियाणा 1.4%
दक्षिण भारत के राज्य 1% से कम
पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम, हिमाचल प्रदेश 1% से कम
"आने वाले दो दशकों में भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में तेज गिरावट की संभावना है।"

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि जन्म दर और मृत्यु दर में गिरावट ने भारत की प्राकृतिक वृद्धि में कमी लाई है। यह बदलाव आयु संरचना पर भी प्रभाव डाल रहा है। इन प्रवृत्तियों को समझना जरूरी है, क्योंकि ये देश की जनसांख्यिकी को निर्धारित करते हैं।

शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि

भारत में शहरीकरण की गति तेज हो रही है। इस वजह से शहरों में लोगों की संख्या बढ़ रही है। लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर जा रहे हैं, क्योंकि वहां कृषि क्षेत्र में रोजगार की कमी है। शहरों में आर्थिक अवसरों की अधिकता ने लोगों को आकर्षित किया है।

शहरों में बढ़ती जनसंख्या

भारत के बड़े शहरों में लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। लोग ग्रामीण क्षेत्रों से ग्रामीण-शहरी प्रवास के कारण शहरों की ओर आ रहे हैं। वहां बेहतर रोजगार और जीवन स्तर की तलाश में हैं।

गाँवों से पलायन

कृषि क्षेत्र में रोजगार की कमी और शहरीकरण के कारण लोग शहरों की ओर जा रहे हैं। शहरों में बेहतर आर्थिक और शैक्षिक अवसर लोगों को आकर्षित करते हैं। इस वजह से शहरों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है।

वर्ष शहरी जनसंख्या (मिलियन में) ग्रामीण जनसंख्या (मिलियन में)
2011 377.1 833.1
2021 429.8 787.2
2031 463.5 741.9

तालिका से पता चलता है कि भारत में शहरी जनसंख्या बढ़ रही है। वहीं ग्रामीण जनसंख्या में कमी आ रही है। लोग बेहतर आर्थिक अवसरों और रोजगार की तलाश में शहरों की ओर जा रहे हैं।

"शहरीकरण भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन इसके साथ-साथ कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है।"

औद्योगिकीकरण और जनसंख्या वृद्धि

औद्योगिकीकरण

भारत में औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास तेजी से हो रहा है। यह जनसंख्या को बढ़ाता है। सरकार और निजी क्षेत्र के कार्यों से रोजगार के नए मौके आते हैं।

लोग शहरों की ओर जाते हैं, जहां जनसंख्या बढ़ती है।

आर्थिक विकास का प्रभाव

औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास का एक सकारात्मक प्रभाव है। स्थानीय संसाधनों का उपयोग बढ़ता है और क्षेत्रीय असंतुलन कम होता है।

नए रोजगार और व्यवसाय अवसर लाते हैं, जिससे लोगों की आय और जीवनशैली सुधरती है। लेकिन, अगर इस प्रक्रिया को अच्छे से नहीं प्रबंधित किया जाता है, तो समस्याएं हो सकती हैं।

  • औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार रोजगार और आजीविका के अवसर पैदा करता है
  • ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन बढ़ जाता है
  • स्थानीय संसाधनों का उपयोग बढ़ता है और क्षेत्रीय असंतुलन कम होता है
  • नए व्यावसायिक और व्यक्तिगत अवसर प्राप्त होते हैं जो जीवनस्तर को बेहतर बनाते हैं

औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास को अच्छे से प्रबंधित करना जरूरी है। ताकि इसके लाभों को अधिकतम किया जा सके और नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके।

"औद्योगिकीकरण भारत की आर्थिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण घटक है, लेकिन इसका प्रबंधन करना चुनौतीपूर्ण है।"

रोजगार और आजीविका के अवसर

भारत में सबसे ज्यादा लोग युवा हैं। अगर हम इस युवा आबादी का उपयोग करें तो भारत की अर्थव्यवस्था गति पकड़ेगी। लेकिन, युवाओं के लिए रोजगार के अवसर कम हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है।

युवा आबादी और रोजगार

भारत में कई युवा बेरोजगार हैं। शिक्षा के बाद उन्हें अच्छा रोजगार नहीं मिल पाता। उनकी आर्थिक स्थिति और मनोबल दोनों नीचे आ रहा है। सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरूरत है।

  1. स्टार्टअप और उद्यमिता के क्षेत्र में युवाओं को प्रोत्साहन देना
  2. विभिन्न उद्योगों में युवाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन
  3. युवाओं को कौशल विकास के लिए प्रोत्साहित करना
  4. नौकरी में लिंग समानता सुनिश्चित करना

इन प्रयासों से रोजगार और आजीविका के नए अवसर पैदा होंगे। युवा आबादी को लाभ मिलेगा और आर्थिक विकास में तेजी आएगी।

"युवाओं को सशक्त बनाने और उनके लिए रोजगार के अवसर पैदा करने से भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति को गति मिलेगी।"

भारत में बढ़ती जनसंख्या का प्रभाव

पर्यावरण पर प्रभाव

भारत में जनसंख्या बढ़ रही है। यह देश के पर्यावरण और आर्थिक विकास पर नुकसान कर रही है। संसाधनों पर दबाव और क्षेत्रीय असंतुलन एक बड़ी समस्या हो गया है।

पर्यावरण पर असर

जनसंख्या के कारण प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ा है। वन क्षेत्र कम हो रहे हैं, भूमि का अनियोजित उपयोग हो रहा है, और प्रदूषण बढ़ रहा है। यह पर्यावरण संतुलन को खतरे में ला रहा है।

आर्थिक विकास पर असर

जनसंख्या के कारण आर्थिक विकास में क्षेत्रीय असंतुलन बढ़ रहा है। दक्षिण भारत में प्रजनन क्षमता दर 2.1 है, लेकिन उत्तर और पूर्व भारत में यह दर चार से अधिक है। संसाधनों के लिए संघर्ष बढ़ रहा है और संपन्न और गरीब क्षेत्रों के बीच खाई बढ़ रही है।

क्षेत्र कुल प्रजनन क्षमता दर
दक्षिण भारत 2.1
उत्तर भारत 4.2
पूर्वी भारत 4.5

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, भारत सरकार को पर्यावरण संरक्षण और संतुलित आर्थिक विकास के लिए नीतियों को लागू करने की जरूरत है।

सरकारी उपाय और नीतियाँ

भारत सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून और नीतियां बना रही है। इनमें जनसंख्या नियंत्रण कानून और जागरूकता अभियान शामिल हैं।

जनसंख्या नियंत्रण कानून

हाल ही में, 'जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, 2019' राज्यसभा में प्रस्तुत किया गया है। इस विधेयक के अनुसार, दो बच्चे ही पैदा किए जा सकते हैं। दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले जनप्रतिनिधि को अयोग्य कर दिया जाएगा।

सरकारी कर्मचारियों को दो से अधिक बच्चे पैदा न करने का शपथ पत्र लेना होगा।

जागरूकता अभियान

सरकार जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के लिए अभियान चला रही है। इन अभियानों का लक्ष्य लोगों को दो बच्चों की नीति का साथ होना है।

"जनसंख्या वृद्धि एक गंभीर चुनौती है जिससे निपटने के लिए सरकार अनेक कानूनी और नीतिगत उपाय कर रही है।"

भारत सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए काम कर रही है। विभिन्न कदम उठाने से जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित किया जाएगा।

भविष्य की चुनौतियाँ और समाधान

भारत में जनसंख्या का बढ़ता हुआ दबाव एक बड़ी चुनौती है। संसाधन प्रबंधन और सतत विकास के लिए कदम उठाना जरूरी है।

संसाधनों का प्रबंधन

जनसंख्या के कारण भारत में संसाधनों का दोहन बढ़ रहा है। संसाधनों का अच्छा प्रबंधन करना जरूरी है।

निम्न कदम संसाधनों का बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं:

  • कुशल और पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके कृषि उत्पादकता में वृद्धि करना।
  • जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को मजबूत करना है।
  • पुनर्नवीकरण प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित करना है।
  • वन और जल संसाधनों का अच्छा प्रबंधन करना है।

सतत विकास लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। ये लक्ष्य जनसंख्या नियंत्रण, आर्थिक विकास और पर्यावरण सुरक्षा पर केंद्रित हैं।

इनमें से कुछ प्रमुख लक्ष्य निम्नानुसार हैं:

  1. गरीबी और भुखमरी का उन्मूलन।
  2. स्वास्थ्य और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार।
  3. लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना।
  4. सतत और समावेशी आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना।
  5. पर्यावरण संरक्षण और जलवायु कार्रवाई।
"जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करके और संसाधनों का समुचित उपयोग करके, हम भारत का सतत और समतामूलक विकास सुनिश्चित कर सकते हैं।"

निष्कर्ष

भारत में जनसंख्या का बढ़ना एक बड़ी चुनौती है। यह संसाधनों पर दबाव बढ़ाता है और क्षेत्रीय असंतुलन को बढ़ाता है। लेकिन, आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 के मुताबिक, अगले दो दशकों में जनसंख्या की वृद्धि दर में तेजी से गिरावट होने की संभावना है। यह एक अच्छा संकेत है।

सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून और नीतियां बना रही है। जनसंख्या वृद्धि, जनसांख्यिकीय लाभांश, नीति निर्माण और संसाधन प्रबंधन पर ध्यान देना जरूरी है। देश के सतत और समतामूलक विकास के लिए जनसंख्या को नियंत्रित करना काफी जरूरी है।

भारत की भविष्य की चुनौतियों को पूरा करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण एक बड़ा कारक है। सरकार और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा। ताकि जनसंख्या वृद्धि को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सके।

FAQ

भारत में जनसंख्या कितनी है?

भारत जनसंख्या के मामले में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है। 1901 में इसकी जनसंख्या 23.8 करोड़ थी। 2001 में यह 102.7 करोड़ हो गई। अब यह लगभग 133 करोड़ है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि के क्या कारण हैं?

शिक्षा का अभाव, बाल विवाह, बहुविवाह, बड़े परिवार की इच्छा और संयुक्त परिवार प्रणाली जनसंख्या वृद्धि के कारण हैं। परिवार नियोजन की जानकारी का अभाव भी एक बड़ा कारण है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि दर कितनी है?

1971-81 के बीच भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 2.5% थी। 2011-16 में यह घटकर 1.3% हो गई। लेकिन कुछ राज्यों में यह दर अभी भी अधिक है।

भारत में शहरीकरण की गति क्या है?

भारत में शहरीकरण की गति तेज है। लोग रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में शहरों की ओर जा रहे हैं। इस कारण शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है।

जनसंख्या वृद्धि से भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है?

भारत में सबसे अधिक जनसंख्या युवा है। यदि इस युवा आबादी का उपयोग किया जाए, तो यह अर्थव्यवस्था को गति दे सकता है। लेकिन रोजगार के अवसरों की कमी से बेरोजगारी बढ़ रही है।

भारत सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए क्या प्रयास कर रही है?

भारत सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानूनी और नीतिगत प्रयास कर रही है। हाल ही में 'जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, 2019' प्रस्तुत किया गया है। इसमें दो बच्चों के जन्म का प्रावधान है और दो से अधिक बच्चे पैदा करने वाले जनप्रतिनिधि को अयोग्य घोषित करने का प्रस्ताव है।

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