Karva Chauth Ka Vrat Kaise Kiya Jata Hai : करवा चौथ के व्रत के 6 महत्वपू...


करवा चौथ का व्रत मुख्यतः सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। यह व्रत हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी को रखा जाता है। करवा चौथ का व्रत विधि-विधान से किया जाता है, जिसमें सुबह से रात तक कई परंपराओं का पालन करना होता है। इस व्रत को सफलतापूर्वक और संपूर्ण तरीके से करने के लिए निम्नलिखित विधि अपनाई जाती है:

### 1. **व्रत का संकल्प** 
   व्रत की शुरुआत सुबह सूर्योदय से पहले होती है। व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्योदय से पहले स्नान करके, साफ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लेती हैं कि वे दिनभर बिना पानी और अन्न ग्रहण किए व्रत करेंगी।

### 2. **सर्गी का सेवन** 
   सर्गी, व्रत की शुरुआत से पहले सूर्योदय से पूर्व भोजन के रूप में की जाती है। इसमें फल, मिठाई, मेवा, हल्का भोजन आदि होता है, जिसे सास अपनी बहू को देती है। सर्गी खाने के बाद ही महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं।

### 3. **पूजा की तैयारी** 
   करवा चौथ की पूजा के लिए करवा (मिट्टी का छोटा घड़ा), दीपक, मिठाई, सिंदूर, कुमकुम, चावल, धूप, अगरबत्ती, फूल आदि पूजा सामग्री तैयार की जाती है। साथ ही, शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की मूर्ति या तस्वीर भी पूजा में शामिल की जाती है।

### 4. **सांझ की पूजा**  
   शाम के समय चंद्रमा के उदय होने से पहले महिलाएं मिलकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। कथा सुनने के बाद महिलाएं एक-दूसरे को बायना देकर, यानी पूजा के सामान का आदान-प्रदान करके आशीर्वाद लेती हैं।

### 5. **चंद्रमा का दर्शन और अर्घ्य देना**  
   रात में चंद्रमा के दर्शन के बाद महिलाएं छलनी से चंद्रमा को और फिर अपने पति को देखती हैं। इसके बाद करवा में पानी भरकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है और पति के हाथ से जल ग्रहण करके व्रत को पूरा किया जाता है।

### 6. **व्रत तोड़ना**  
   चंद्रमा के दर्शन और अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों से पहला निवाला या पानी ग्रहण करके व्रत का समापन किया जाता है। इसके बाद भोजन कर व्रत की समाप्ति होती है।

### करवा चौथ व्रत की महत्ता
करवा चौथ का व्रत न केवल धार्मिक बल्कि पारिवारिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और सामंजस्य बढ़ता है।

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