Guru Nanak Jayanti:गुरु नानक जयंती के दिन कर लेना ये प्रभावशाली उपाय मरत...

bholanath biswas
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गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान में) हुआ था। वह सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु माने जाते हैं। उनकी शिक्षाएं और विचार समस्त मानवता के लिए प्रेरणास्रोत हैं। गुरु नानक जी ने समाज में व्याप्त धार्मिक अंधविश्वासों, जातिवाद, ऊंच-नीच और दिखावे के विरुद्ध अपनी आवाज उठाई और लोगों को सत्य, करुणा, सेवा, और भक्ति का मार्ग दिखाया।

### जीवन और प्रारंभिक घटनाएँ
गुरु नानक देव जी का जन्म एक साधारण हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम कालू मेहता और माता का नाम तृप्ता देवी था। बचपन से ही नानक देव जी में आध्यात्मिकता की गहरी रुचि थी। बहुत छोटी उम्र में ही उन्होंने गहरे धार्मिक विचार और अद्भुत समझ दिखाना शुरू कर दिया था। उनका जीवनकाल कई चमत्कारों और प्रेरक घटनाओं से भरा हुआ है, जिनमें उनके ईश्वर के प्रति प्रेम और मानवता के प्रति सेवा भाव की झलक मिलती है।

### शिक्षाएं और विचारधारा
गुरु नानक देव जी ने अपने उपदेशों के माध्यम से चार प्रमुख सिद्धांत स्थापित किए:
1. **नाम जपो**: ईश्वर का नाम सच्चे हृदय से स्मरण करना।
2. **किरत करो**: ईमानदारी से काम करना और अपने कर्मों से जीवनयापन करना।
3. **वंड छको**: अपनी कमाई को दूसरों के साथ साझा करना और ज़रूरतमंदों की सहायता करना।
4. **सर्व धर्म समानता**: गुरु नानक ने सभी धर्मों को समानता की दृष्टि से देखने और जाति-पांति के भेदभाव को मिटाने की बात की।

गुरु नानक जी का मानना था कि सभी मनुष्यों को प्रेम और सेवा का भाव रखते हुए एक-दूसरे के साथ मिलजुल कर रहना चाहिए। उन्होंने सामाजिक बुराइयों जैसे जातिवाद, धार्मिक कट्टरता, और स्त्री-पुरुष असमानता का विरोध किया और समतावादी समाज की स्थापना का सपना देखा।

### गुरु नानक की यात्रा और उपदेश
गुरु नानक देव जी ने अपने उपदेशों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए व्यापक यात्राएं कीं। इन यात्राओं को *उदासियाँ* कहा जाता है। वे भारत, तिब्बत, श्रीलंका, अफगानिस्तान, और अरब जैसे विभिन्न देशों में गए। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने लोगों को धर्म के सच्चे अर्थ समझाए और समाज सुधार के लिए प्रेरित किया। 

### महत्वपूर्ण घटनाएँ
1. **काबा की घटना**: काबा की यात्रा के दौरान उनकी साधना को लेकर एक कहानी प्रचलित है, जिसमें बताया गया कि उन्होंने प्रेम और समर्पण का परिचय दिया।
2. **लंगर प्रथा का आरंभ**: उन्होंने बिना भेदभाव के लोगों को लंगर में भोजन कराया, जिससे समाज में समता और एकता का संदेश मिला।

### गुरु ग्रंथ साहिब में योगदान
गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को उनके शिष्यों और बाद में आने वाले गुरुओं ने संकलित कर गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल किया। इन शिक्षाओं में ईश्वर के प्रति अटूट प्रेम और मानवता के प्रति करुणा का संदेश मिलता है।

### निधन
गुरु नानक देव जी का निधन 22 सितंबर 1539 को हुआ। उनके निधन के समय, उन्होंने अपने अनुयायियों को एक ऐसे मार्ग पर चलने का संदेश दिया जो सच्चाई, करुणा और निःस्वार्थ सेवा पर आधारित हो। 

गुरु नानक देव जी का जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी मानवता को एकता, सेवा और सच्चाई के पथ पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
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