बिल्ली रास्ता काट जाए तो क्या करें? रुकें, डरें या आगे बढ़ें?
ज़रा सोचिए, आप किसी ज़रूरी काम से निकल रहे हैं, दिमाग में हज़ार बातें चल रही हैं, और तभी... फुर्र से एक बिल्ली आपके सामने से गुज़र जाती है। अचानक ब्रेक लग जाता है, चाहे आप गाड़ी में हों या पैदल। दिल में एक छोटी सी घंटी बजती है - "अरे! बिल्ली रास्ता काट गई, अब क्या होगा?"
ये एक ऐसा सवाल है जो सदियों से हमारे समाज में पूछा जा रहा है। हमारे बड़े-बुज़ुर्ग हमें टोकते हैं, दोस्त मज़ाक उड़ाते हैं, और हम खुद भी एक पल के लिए सोच में पड़ जाते हैं। तो आखिर इस मान्यता के पीछे का सच क्या है और अगर बिल्ली रास्ता काट ही जाए, तो हमें करना क्या चाहिए? चलिए, आज इस पर खुलकर बात करते हैं।
यह मान्यता आई कहाँ से?
किसी भी चीज़ को समझने के लिए उसकी जड़ तक जाना ज़रूरी है। बिल्ली के रास्ता काटने को अपशकुन मानने की कहानी काफ़ी पुरानी है।
पुराने ज़माने में जब बिजली नहीं होती थी, लोग रात में बैलगाड़ी या घोड़ों से सफ़र करते थे। घने जंगलों और अंधेरे रास्तों से गुज़रते समय जब कोई जंगली जानवर, जैसे तेंदुआ, लकड़बग्घा या जंगली बिल्ली, रास्ता काटता था तो उसकी आँखें अंधेरे में चमकती थीं। इस चमक को देखकर बैल या घोड़े डर जाते थे और बिदक जाते थे, जिससे गाड़ी पलट सकती थी या कोई दुर्घटना हो सकती थी।
इस खतरे से बचने के लिए, गाड़ीवान कुछ देर के लिए वहीं रुक जाते थे ताकि जानवर आगे निकल जाए और उनके पालतू पशु भी शांत हो जाएँ। यह एक व्यावहारिक उपाय था, जो धीरे-धीरे अंधविश्वास में बदल गया। समय के साथ, जंगली बिल्ली की जगह घर की सीधी-सादी बिल्ली ने ले ली और रुकने की वजह 'खतरे' से बदलकर 'अपशकुन' हो गई। खासकर काली बिल्ली को शनि ग्रह और नकारात्मकता से जोड़ दिया गया, जिससे यह डर और भी पक्का हो गया।
तो जब बिल्ली रास्ता काटे, तो लोग करते क्या हैं?
आपने भी अपने आसपास लोगों को ये सब करते देखा होगा:
थोड़ी देर रुक जाना: यह सबसे आम तरीका है। लोग सोचते हैं कि कुछ पल रुकने से अपशकुन का असर खत्म हो जाएगा।
किसी और को पहले जाने देना: यह थोड़ा मज़ेदार है! लोग इंतज़ार करते हैं कि कोई और व्यक्ति उस रास्ते से पहले गुज़रे, ताकि अपशकुन का असर उस पर 'ट्रांसफर' हो जाए।
रास्ता बदल लेना: अगर बहुत ज़्यादा मन में वहम बैठ गया तो कुछ लोग अपना रास्ता ही बदल लेते हैं।
मंत्र पढ़ना या थूकना: कुछ लोग मन ही मन कोई मंत्र या प्रार्थना पढ़ने लगते हैं या ज़मीन पर थूककर आगे बढ़ जाते हैं।
ये सब तरीके डर और मन को शांत करने के लिए अपनाए जाते हैं, लेकिन क्या इनकी वाकई कोई ज़रूरत है?
अब आते हैं असली सवाल पर - हमें क्या करना चाहिए?
सच तो यह है कि बिल्ली सिर्फ एक जानवर है, जो अपनी मर्ज़ी से कहीं भी आ-जा रही है। उसे नहीं पता कि आपका कोई ज़रूरी काम है या आप कहीं जा रहे हैं। उसका रास्ता काटना महज़ एक संयोग है, इससे ज़्यादा कुछ नहीं।
तो अगली बार जब ऐसा हो, तो ये बातें याद रखें:
तर्क से सोचें: एक छोटा सा जानवर आपके दिन, आपकी किस्मत या आपके काम को कैसे प्रभावित कर सकता है? आपकी सफलता या असफलता आपकी मेहनत और फैसलों पर निर्भर करती है, किसी बिल्ली के चलने पर नहीं।
सुरक्षा पहले: अगर आप गाड़ी चला रहे हैं और बिल्ली अचानक सामने आ जाए, तो ज़ोर से ब्रेक मारने की बजाय धीरे-धीरे गाड़ी धीमी करें। अचानक ब्रेक लगाने से पीछे से आ रही गाड़ी टकरा सकती है और एक असली दुर्घटना हो सकती है। आपकी और दूसरों की सुरक्षा उस अंधविश्वास से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है।
मन का वहम दूर करें: असल में अपशकुन बिल्ली के रास्ता काटने से नहीं, बल्कि हमारे मन में पैदा हुए डर से होता है। जब हम डर जाते हैं, तो हमारा आत्मविश्वास कम हो जाता है, हम घबराहट में ग़लत फ़ैसले ले लेते हैं और फिर उसका दोष बिल्ली पर मढ़ देते हैं।
बस, चलते रहें: सबसे अच्छा और आसान उपाय है कि आप एक गहरी सांस लें, मुस्कुराएं और अपने रास्ते पर आगे बढ़ जाएं। सोचिए कि बिल्ली भी अपने किसी काम से ही जा रही होगी!
आखिर में...
बिल्ली का रास्ता काटना एक प्राकृतिक घटना है, अलौकिक नहीं। अगर आपको फिर भी मन में बेचैनी हो, तो आप अपने इष्टदेव को याद कर सकते हैं, लेकिन यह सिर्फ अपने मन को शांति देने के लिए करें, डर की वजह से नहीं।
अपने दिन और अपने जीवन का नियंत्रण अपने हाथों में रखिए, किसी मासूम जानवर के पैरों में नहीं। तो अगली बार जब बिल्ली रास्ता काटे, तो डरिएगा मत, बस अपनी मंज़िल की ओर बढ़ते रहिएगा