अंदर बाहर कैसे जीतें? सच्चाई, गलतफहमियां और खेलने का सही तरीका
सबसे पहले, खेल को समझें
डीलर एक कार्ड बीच में रखता है। इसे 'जोकर' या 'मिडिल कार्ड' कहते हैं (ये असली जोकर नहीं, कोई भी रैंडम पत्ता होता है)। मान लीजिए, वो पान का 7 है।अब आपको दांव लगाना होता है। आप दो में से एक जगह पैसा लगाते हैं -अंदर याबाहर ।डीलर पत्ते बांटना शुरू करता है। पहला पत्ता 'अंदर' वाली साइड, दूसरा पत्ता 'बाहर' वाली साइड, फिर तीसरा 'अंदर', चौथा 'बाहर', और ये तब तक चलता है......जब तक कि बीच वाले कार्ड (पान का 7) जैसा कोई दूसरा पत्ता न आ जाए। अगर 7 नंबर का पत्ता 'अंदर' वाली साइड पर आता है, तो 'अंदर' वाले जीत जाते हैं। अगर 'बाहर' वाली साइड पर आता है, तो 'बाहर' वाले जीत जाते हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल: क्या जीतने की कोई पक्की ट्रिक है?
तो फिर लोग "स्ट्रेटेजी" की बात क्यों करते हैं?
"एक ही साइड पर लगाते रहो" स्ट्रेटेजी: कुछ लोग कहते हैं कि बस 'अंदर' या बस 'बाहर' पर ही पैसा लगाते रहो, कभी तो जीतोगे। हाँ, कभी तो जीतोगे, लेकिन इस बीच आप कितना हार जाओगे, इसकी कोई गारंटी नहीं।"डबल करने वाली" खतरनाक स्ट्रेटेजी (Martingale Strategy): ये सबसे लोकप्रिय और सबसे खतरनाक तरीका है। इसमें लोग एक साइड पर छोटी रकम से शुरू करते हैं। हारने पर अगली बार रकम डबल कर देते हैं।जैसे: ₹10 हारे, तो अगली बार ₹20 लगाओ। फिर हारे, तो ₹40 लगाओ। फिर हारे, तो ₹80 लगाओ। सिद्धांत यह है कि जब भी आप जीतेंगे, तो आपका सारा हारा हुआ पैसा वापस आ जाएगा और ₹10 का मुनाफ़ा भी होगा। सुनने में बहुत अच्छा लगता है, है ना? सच्चाई: ये एक जाल है! आप सोचिए, अगर आप 7-8 बार लगातार हार गए (जो कि बहुत आम बात है), तो आपकी रकम ₹10 से बढ़कर ₹1280 हो जाएगी। आपकी जेब कब खाली हो जाएगी, आपको पता भी नहीं चलेगा। इस तरीके ने बड़े-बड़े लोगों को कंगाल किया है।इससे हमेशा दूर रहें।
जीतने की नहीं, समझदारी से खेलने की टिप्स
बजट तय करें (सबसे ज़रूरी सलाह): खेलने बैठने से पहले ही तय कर लें कि आप आज कितने पैसे हारने का जोखिम उठा सकते हैं (जैसे ₹200 या ₹500)। अगर वो पैसे हार गए, तो बस उठ जाइए। चाहे कुछ भी हो जाए, अपनी जेब से और पैसे मत निकालिए।छोटे दांव लगाएं: बड़े दांव लगाकर एक बार में अमीर बनने का सपना न देखें। छोटे-छोटे दांव लगाएं। इससे आपका खेल भी लंबा चलेगा और मज़ा भी ज़्यादा आएगा।लालच और गुस्से से बचें: जुए में दो सबसे बड़े दुश्मन हैं - लालच (जीतने पर और खेलने की इच्छा) और गुस्सा (हारने पर पैसा वापस पाने की ज़िद)। जैसे ही आप ये दोनों महसूस करें, समझ जाइए कि अब उठने का समय हो गया है।जानें कि कब रुकना है: सिर्फ हारने पर ही नहीं, जीतने पर भी रुकना सीखें। अगर आप ₹500 लेकर बैठे थे और ₹800 जीत गए हैं, तो ₹300 का मुनाफ़ा लेकर उठ जाना ही असली जीत है।