हनुमान बंधन मुक्ति मंत्र: नकारात्मक ऊर्जा और शत्रुओं का होगा नाश


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हनुमान जी का बंधन खोलने का मंत्र: हर संकट और बाधा से मुक्ति का अचूक उपाय

जीवन में कभी-कभी ऐसा समय आता है जब हमें लगता है कि हम चारों तरफ से बंध गए हैं। तरक्की के रास्ते बंद हो जाते हैं, घर में क्लेश रहता है, सेहत साथ नहीं देती या कोई अदृश्य शक्ति हमें आगे बढ़ने से रोक रही होती है। ऐसा महसूस होता है मानो किसी ने हमें किसी बंधन में जकड़ लिया हो। यह बंधन शारीरिक, मानसिक, आर्थिक या किसी नकारात्मक ऊर्जा का भी हो सकता है।

जब इंसान के सारे प्रयास विफल हो जाते हैं, तब उसे दैवीय सहायता की याद आती है। और जब बात हो संकटों से मुक्ति की, तो संकटमोचन हनुमान जी का नाम सबसे पहले मन में आता है। हनुमान जी वो शक्ति हैं, जिन्हें कोई भी बंधन बांध नहीं सका। लंका में मेघनाद ने उन पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, तो उन्होंने उसका भी मान रखा और कुछ देर के लिए बंध गए, लेकिन जब चाहा, एक झटके में उसे तोड़ दिया।

इसीलिए, किसी भी प्रकार के बंधन को काटने के लिए हनुमान जी की आराधना सबसे अचूक और शक्तिशाली मानी जाती है। आज हम उसी विशेष मंत्र के बारे में बात करेंगे जो हर तरह के बंधन को खोलने की शक्ति रखता है।

क्या है बंधन मुक्ति मंत्र?

यह एक अत्यंत शक्तिशाली और सिद्ध मंत्र है, जिसका जाप करने से व्यक्ति हर प्रकार की नकारात्मकता और बाधाओं से मुक्त हो जाता है। यह मंत्र भगवान हनुमान के रुद्र अवतार स्वरूप को समर्पित है।

मंत्र:

ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय, सर्व-शत्रु-संहारणाय,
सर्व-रोग-हराय, सर्व-वशीकरणाय,
राम-दूताय स्वाहा।

इस शक्तिशाली मंत्र का अर्थ समझें

मंत्र का सिर्फ जाप करना ही काफी नहीं होता, उसके अर्थ को समझना भी ज़रूरी है। जब हम अर्थ समझकर जाप करते हैं, तो हमारी भावना और श्रद्धा गहरी हो जाती है, जिससे मंत्र और भी प्रभावशाली हो जाता है।

  • ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय: "मैं भगवान शिव के रुद्र अवतार, हनुमान जी को नमन करता हूँ।" यह पंक्ति हनुमान जी के उस शक्तिशाली स्वरूप का आह्वान करती है, जिसमें सृष्टि का संहार करने की भी शक्ति है।

  • सर्व-शत्रु-संहारणाय: "जो सभी शत्रुओं का संहार (नाश) करने वाले हैं।" यहाँ शत्रु का मतलब सिर्फ बाहरी दुश्मन नहीं, बल्कि हमारे अंदर के शत्रु भी हैं - जैसे क्रोध, भय, लोभ और निराशा।

  • सर्व-रोग-हराय: "जो सभी प्रकार के रोगों को हरने वाले हैं।" यह न केवल शारीरिक रोगों की बात करता है, बल्कि मानसिक चिंताओं और कष्टों को भी दूर करने की प्रार्थना है।

  • सर्व-वशीकरणाय: "जो सबको अपने वश में करने की शक्ति रखते हैं।" इसका गलत अर्थ न निकालें। यहाँ वशीकरण का मतलब है कि आपके जीवन की सभी परिस्थितियाँ, ग्रह-नक्षत्र और ऊर्जाएं आपके अनुकूल हो जाएं। आपके विरोधी शांत हो जाएं और सब आपके हित में काम करें।

  • राम-दूताय स्वाहा: "मैं श्री राम के दूत को यह मंत्र समर्पित करता हूँ।" यह पंक्ति हमारी भक्ति और समर्पण को दर्शाती है और बताती है कि हम यह सब भगवान राम के प्रिय भक्त हनुमान जी के माध्यम से कर रहे हैं।

मंत्र जाप की सरल और प्रभावी विधि

किसी भी मंत्र की शक्ति उसकी जाप विधि और आपकी श्रद्धा पर निर्भर करती है। इस मंत्र का जाप करने के लिए यह सरल विधि अपनाएं:

  1. समय और स्थान: मंगलवार या शनिवार का दिन इस मंत्र के जाप की शुरुआत के लिए सर्वोत्तम है। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या शाम को सूर्यास्त के बाद का समय चुनें। पूजा का स्थान स्वच्छ और शांत होना चाहिए।

  2. तैयारी: स्नान करके साफ, लाल या नारंगी रंग के वस्त्र पहनें। एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

  3. पूजा: सबसे पहले घी या चमेली के तेल का दीपक जलाएं। सुगंधित धूपबत्ती जलाएं। हनुमान जी को सिंदूर, लाल फूल (गुड़हल) और बेसन के लड्डू या गुड़-चने का भोग लगाएं।

  4. संकल्प: हाथ में थोड़ा सा जल लेकर अपना नाम, गोत्र बोलें और जिस भी बंधन या समस्या से मुक्ति चाहते हैं, उसे दूर करने के लिए हनुमान जी से प्रार्थना करें। इसके बाद जल को जमीन पर छोड़ दें।

  5. मंत्र जाप: अब तुलसी या रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का 108 बार (एक माला) जाप करें। जाप करते समय अपना पूरा ध्यान हनुमान जी के स्वरूप और मंत्र के शब्दों पर केंद्रित रखें।

  6. अवधि: इस प्रयोग को कम से कम 21 या 41 दिनों तक लगातार करें। यदि समस्या गंभीर है, तो इसे लंबे समय तक जारी रख सकते हैं।

कुछ जरूरी बातें जो ध्यान में रखें

  • विश्वास सर्वोपरि है: बिना विश्वास के कोई भी मंत्र या पूजा फल नहीं देती। पूरे भरोसे के साथ जाप करें कि हनुमान जी आपकी समस्या का समाधान अवश्य करेंगे।

  • सात्विकता: जितने दिन आप यह साधना करें, उतने दिन मांस, मदिरा और अन्य तामसिक चीजों से दूर रहें। अपने विचार और व्यवहार को शुद्ध रखें।

  • धैर्य रखें: कभी-कभी परिणाम आने में थोड़ा समय लग सकता है। निराश न हों और अपनी साधना को बीच में न छोड़ें।

  • क्षमा याचना: जाप के अंत में हनुमान जी से जाने-अनजाने में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा मांगें।

अंत में, यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह मंत्र केवल शब्द नहीं हैं, बल्कि यह एक दिव्य ऊर्जा का स्रोत है। जब आप पूरी श्रद्धा और भक्ति से इसका जाप करते हैं, तो आप सीधे हनुमान जी की शक्ति से जुड़ जाते हैं और फिर ऐसा कोई बंधन नहीं, जो आपको बांधकर रख सके।

जय श्री राम! जय हनुमान!

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