वशीकरण के लक्षण: कहीं आप भी तो नहीं हैं किसी के वश में? सच्चाई और वहम के बीच का फ़र्क
हमारे समाज में तंत्र-मंत्र और वशीकरण जैसी बातें अक्सर सुनने को मिलती हैं। कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं, तो कुछ इसे एक ऐसी सच्चाई मानते हैं जिससे किसी की ज़िंदगी पूरी तरह बदल सकती है। वशीकरण का मतलब है किसी व्यक्ति की सोच, इच्छा और व्यवहार को अपने काबू में कर लेना, वो भी उसकी मर्ज़ी के खिलाफ़।
अब सवाल यह उठता है कि अगर किसी पर वशीकरण हुआ है, तो इसका पता कैसे चले? क्या इसके कोई खास लक्षण होते हैं? चलिए, आज इसी रहस्यमयी विषय पर बात करते हैं और उन संकेतों को समझने की कोशिश करते हैं, जो मान्यताओं के अनुसार वशीकरण की ओर इशारा करते हैं।
वशीकरण के मुख्य लक्षण (मान्यताओं के अनुसार)
अगर किसी व्यक्ति के व्यवहार में अचानक और अजीब बदलाव आने लगें, तो लोग अक्सर शक करने लगते हैं। यहाँ कुछ ऐसे ही लक्षण दिए गए हैं:
1. सोच और व्यवहार पर कंट्रोल खो देना
यह सबसे बड़ा लक्षण माना जाता है। व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है जैसे उसका अपने ही दिमाग़ पर कोई कंट्रोल नहीं है। वह ऐसे काम करने लगता है जो उसके स्वभाव के बिल्कुल विपरीत हों। उदाहरण के लिए, एक शांत स्वभाव का इंसान अचानक बहुत ज़्यादा गुस्सा करने लगे या परिवार से प्यार करने वाला इंसान अचानक उनसे नफ़रत करने लगे। उसे खुद भी समझ नहीं आता कि वह ऐसा क्यों कर रहा है।
2. किसी एक व्यक्ति के ख्यालों में खोए रहना
जिस व्यक्ति ने वशीकरण किया होता है, पीड़ित इंसान हर समय उसी के बारे में सोचता है। उसे वही सही और बाकी सब गलत लगते हैं। वह उस व्यक्ति की कोई भी बात मानने को तैयार हो जाता है, भले ही वह ग़लत क्यों न हो। उसके लिए उस ख़ास इंसान की कही हर बात पत्थर की लकीर बन जाती है।
3. परिवार और दोस्तों से दूरी बना लेना
वशीकरण का असर व्यक्ति के सामाजिक रिश्तों पर भी पड़ता है। वह अपने परिवार, दोस्तों और शुभचिंतकों से अचानक दूरी बनाने लगता है। उसे वही लोग दुश्मन लगने लगते हैं जो उसकी भलाई की बात करते हैं। वह अकेला रहना पसंद करता है या सिर्फ़ उसी व्यक्ति के साथ रहना चाहता है जिसके प्रभाव में वह होता है।
4. सेहत का अचानक बिगड़ना
अक्सर देखा गया है कि जिस व्यक्ति पर वशीकरण का असर होता है, उसकी सेहत अचानक गिरने लगती है। लगातार सिरदर्द, शरीर में भारीपन, थकान, और उलझन महसूस होना आम बात हो जाती है। रात को नींद न आना, डरावने सपने देखना (ख़ासकर साँप या गंदी जगहों के) भी इसके लक्षण माने जाते हैं। डॉक्टर को दिखाने पर भी बीमारी की कोई ख़ास वजह समझ नहीं आती।
5. दिमाग़ी तौर पर परेशान रहना
व्यक्ति हर समय एक अजीब सी उलझन और बेचैनी में रहता है। उसे किसी काम में मन नहीं लगता। उसका दिमाग़ खाली-खाली सा महसूस होता है और वह कोई भी फ़ैसला नहीं ले पाता। गुस्सा, चिड़चिड़ापन और बिना वजह रोना भी उसके व्यवहार का हिस्सा बन जाता है।
6. काम-धंधे में रुकावट
वशीकरण का असर इंसान के करियर और आर्थिक स्थिति पर भी पड़ सकता है। अच्छा-भला चलता हुआ काम अचानक बिगड़ने लगता है, नौकरी में मन नहीं लगता और बेवजह नुकसान होने लगता है।
एक ज़रूरी बात: वहम और हकीकत में फ़र्क समझें
यह समझना बहुत ज़रूरी है कि ऊपर बताए गए लक्षण किसी और वजह से भी हो सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य: डिप्रेशन, एंग्जायटी, या किसी गहरे सदमे की वजह से भी इंसान के व्यवहार में ऐसे बदलाव आ सकते हैं।
शारीरिक बीमारी: कई बार हॉर्मोनल बदलाव, पोषक तत्वों की कमी या किसी अंदरूनी बीमारी के कारण भी सेहत खराब रहने लगती है और चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
रिश्तों में तनाव: कभी-कभी किसी रिश्ते में बहुत ज़्यादा भावनात्मक जुड़ाव या दबाव के कारण भी व्यक्ति दूसरों से कटने लगता है।
इसलिए, किसी भी नतीजे पर पहुँचने से पहले किसी अच्छे डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक सलाहकार (Psychologist) से मिलना बहुत ज़रूरी है। पहले वैज्ञानिक और तार्किक कारणों को समझने की कोशिश करें।
अगर शक हो तो क्या करें? (आध्यात्मिक मान्यताएं)
अगर डॉक्टरी जांच में सब कुछ सामान्य आता है और फिर भी स्थिति नहीं सुधरती, तो लोग आध्यात्मिक उपायों का सहारा लेते हैं।
सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाना: घर में पूजा-पाठ, धूप-दीप जलाना और मंत्रों (जैसे गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र) का जाप करना मन को शांति देता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है।
हनुमान चालीसा का पाठ: हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है। माना जाता है कि नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करने से हर तरह की नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
किसी ज्ञानी व्यक्ति से सलाह: आप किसी भरोसेमंद पंडित या आध्यात्मिक गुरु से सलाह ले सकते हैं जो इन चीज़ों की सही जानकारी रखते हों।
निष्कर्ष
वशीकरण एक बहुत ही संवेदनशील विषय है। यह सच है या सिर्फ़ एक अंधविश्वास, इस पर बहस हमेशा चलती रहेगी। लेकिन अगर आपका कोई अपना अचानक बदल गया है और आप परेशान हैं, तो सबसे पहले धैर्य से काम लें। भावनाओं में बहकर कोई भी ग़लत कदम न उठाएं। पहले डॉक्टर से सलाह लें और अगर वहाँ से कोई हल न निकले, तभी किसी और दिशा में सोचें। सबसे ज़रूरी आपका और आपके अपनों का स्वास्थ्य है, चाहे वो शारीरिक हो या मानसिक।