कलयुग के भगवान: कौन है इस अंधकार युग का त्राता?
"कलयुग" - यह शब्द सुनते ही हमारे मन में एक अजीब सी तस्वीर उभरती है। चारों ओर अधर्म, अन्याय, कलह, पाखंड और नैतिक मूल्यों का पतन। शास्त्रों में इस युग को सबसे अंधकारमय और चुनौतीपूर्ण बताया गया है। ऐसे में एक स्वाभाविक और गहरा प्रश्न हर आस्तिक मन में उठता है - इस घोर कलयुग में हमारा मार्गदर्शन कौन करेगा? हमारा त्राता कौन है? कलयुग के भगवान कौन हैं?
यह प्रश्न जितना सरल लगता है, इसका उत्तर उतना ही गहरा और बहुआयामी है। इसका कोई एक सीधा-सपाट जवाब नहीं है, बल्कि यह हमारी आस्था, शास्त्रों की व्याख्या और व्यक्तिगत अनुभूति पर निर्भर करता है। आइए, इस गुत्थी को सुलझाने की कोशिश करते हैं और विभिन्न दृष्टिकोणों से समझते हैं कि इस युग के आराध्य कौन हो सकते हैं।
1. भविष्य के रक्षक: भगवान कल्कि
जब भी कलयुग के देवता की बात होती है, तो सबसे पहला नाम भगवान विष्णु के दसवें और अंतिम अवतार, 'कल्कि' का आता है। श्रीमद्भागवत महापुराण और विष्णु पुराण जैसे प्रमुख ग्रंथों में यह भविष्यवाणी की गई है कि जब कलयुग अपनी चरम सीमा पर होगा, जब पाप का घड़ा भर जाएगा और धर्म लगभग लुप्त हो जाएगा, तब भगवान विष्णु 'कल्कि' के रूप में अवतरित होंगे।
वे एक सफेद घोड़े, 'देवदत्त' पर सवार होंगे और उनके हाथ में एक चमचमाती तलवार होगी। उनका उद्देश्य केवल एक होगा - दुष्टों का संहार करना, अधर्म को समाप्त करना और धर्म की पुनः स्थापना करके एक नए युग, 'सतयुग' का आरंभ करना। इस दृष्टिकोण से, भगवान कल्कि कलयुग के 'अंतिम' भगवान हैं, जो इस युग का अंत करने के लिए आएंगे। वे भविष्य की आशा हैं, एक विश्वास हैं कि चाहे अंधकार कितना भी गहरा क्यों न हो, प्रकाश की एक किरण अंत में अवश्य आएगी। आज के समय में भले ही वे प्रकट नहीं हुए हैं, लेकिन उनकी प्रतीक्षा में की गई भक्ति भी साधक को बल देती है।
2. वर्तमान के संकटमोचन: श्री हनुमान
एक और बहुत प्रचलित और गहरी मान्यता है कि कलयुग के सबसे जाग्रत और सुलभ देवता 'श्री हनुमान' हैं। उन्हें 'चिरंजीवी' होने का वरदान प्राप्त है, जिसका अर्थ है कि वे आज भी इस पृथ्वी पर सशरीर विद्यमान हैं। वे त्रेतायुग में भगवान राम के भक्त थे, द्वापर में महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ पर ध्वज के रूप में विराजमान थे और माना जाता है कि कलयुग में वे भक्तों की रक्षा के लिए सबसे तत्पर रहते हैं।
गोस्वामी तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा में लिखा है - "नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥" और "संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥"
कलयुग की सबसे बड़ी समस्याएं हैं - भय, चिंता, रोग और मानसिक अशांति। हनुमान जी 'संकटमोचन' हैं। वे बल, बुद्धि और विद्या के दाता हैं। कलयुग में जहां भक्ति के जटिल मार्ग और लंबे अनुष्ठान संभव नहीं हैं, वहां सिर्फ हनुमान जी का नाम लेना ही भक्तों को हर संकट से उबारने के लिए काफी माना जाता है। उनकी भक्ति सरल है, सच्ची है और तुरंत फल देने वाली है। इसीलिए, करोड़ों लोगों के लिए कलयुग के वास्तविक, जीवंत और सबसे शक्तिशाली भगवान हनुमान जी ही हैं।
3. युगधर्म के अनुसार: हरि का नाम (नाम-संकीर्तन)
शास्त्रों में हर युग का एक विशेष 'युगधर्म' बताया गया है।
सतयुग में धर्म का मार्ग 'ध्यान' था।
त्रेतायुग में 'यज्ञ' करना प्रमुख था।
द्वापरयुग में 'पूजा-अर्चना' का महत्व था।
और कलयुग के लिए, युगधर्म है 'नाम-संकीर्तन', यानी भगवान के नाम का जप और कीर्तन।
बृहन्नारदीय पुराण का एक प्रसिद्ध श्लोक है:
"हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नामैव केवलम्।
कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यथा॥"
इसका अर्थ है - "कलियुग में केवल हरि का नाम, हरि का नाम, हरि का नाम ही एकमात्र उपाय है। इसके बिना और कोई गति नहीं है, कोई गति नहीं है, कोई गति नहीं है।"
इस दृष्टिकोण से देखें तो कलयुग का कोई एक 'भगवान' नहीं, बल्कि 'भगवान का नाम' ही सबसे बड़ी शक्ति है। आप चाहे राम कहें, कृष्ण कहें, शिव कहें या दुर्गा - कोई भी नाम जो आपके हृदय को छूता है, उसे पूरी श्रद्धा से जपना ही इस युग में मुक्ति का सबसे सरल और अचूक मार्ग है। इस युग में ईश्वर किसी मूर्ति या मंदिर में उतने प्रकट नहीं हैं, जितने वे अपनी भक्त की जिह्वा पर अपने नाम के रूप में विराजते हैं। तो, कलयुग का भगवान 'नाम' स्वयं है।
4. अंतरात्मा की आवाज: स्वयं का विवेक
एक गहरा दार्शनिक दृष्टिकोण यह भी है कि कलयुग में, जब बाहरी दुनिया में पाखंड और धोखा इतना बढ़ गया है, तब सच्चा भगवान कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे भीतर ही है। वह हमारी 'अंतरात्मा' है, हमारा 'विवेक' है। यह युग हमें बाहरी आडंबरों से हटाकर अपनी आंतरिक शुद्धि पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा देता है।
कलयुग में धर्म को समझना बहुत जटिल हो गया है। जो एक के लिए धर्म है, वह दूसरे के लिए अधर्म हो सकता है। ऐसे में क्या सही है और क्या गलत, इसका निर्णय कौन करेगा? इसका निर्णय हमारी शुद्ध अंतरात्मा ही कर सकती है। जब हम स्वार्थ, लोभ, और क्रोध से परे होकर अपने मन की आवाज सुनते हैं, तो वही ईश्वर की आवाज होती है। इस युग का सबसे बड़ा भगवान हमारा अपना 'कर्म' और उस कर्म को करने के पीछे की 'नेक नीयत' है। यदि आपका कर्म सच्चा है और आपकी नीयत साफ है, तो आप स्वयं अपने जीवन के ईश्वर हैं।
तो आखिर कलयुग का भगवान कौन है?
इसका उत्तर एक सुंदर माला की तरह है, जिसमें अलग-अलग मोतियों के रूप में भगवान कल्कि, हनुमान जी, हरि-नाम और हमारी अंतरात्मा पिरोए हुए हैं।
भगवान कल्कि भविष्य की आशा और न्याय के प्रतीक हैं।
हनुमान जी वर्तमान के रक्षक और शक्ति के स्रोत हैं।
भगवान का नाम इस युग का सबसे सरल और सुलभ साधना पथ है।
और हमारी अंतरात्मा वह शाश्वत प्रकाश है जो हमें हर कदम पर सही मार्ग दिखाती है।
सच तो यह है कि कलयुग में भगवान का कोई एक रूप नहीं है। इस युग की सबसे बड़ी परीक्षा ही 'श्रद्धा' की है। आप जिस भी रूप में पूरी श्रद्धा, विश्वास और निश्छलता से ईश्वर को पुकारेंगे, वही आपके लिए कलयुग के भगवान बन जाएंगे। ईश्वर इस युग में हमारे धैर्य, हमारी भक्ति और हमारे कर्मों की परीक्षा ले रहे हैं। जो इस अंधकार में भी अपने भीतर आस्था का दीपक जलाए रखेगा, उसके लिए ईश्वर हर पल, हर क्षण मौजूद हैं।