कुरान सूरा 33 आयत मेंं क्या लिखा है जानिए सच हमारे साथ । हमारे वेबसाइट में आपको स्वागतम । 🙏
यहां जो कुछ भी लिखा गया है कुरान के अनुसार ही लिखा गया है मित्रों यहां किसी भी प्रकार के कोई भी धर्म के विषय में बदनाम क्या किसी की आस्था के चोट पहुंचाने के लिए हमारे कोई उद्देश्य नहीं है बस जो कुरान में लिखा गया है वही हम आपको बताने की प्रयास करेंगे ।
तो मित्रों चलिए जानते हैं कुरान सूरा 33 आयत में सच क्या है ?
ऐ नबी! 👉हमने तुमको साक्षी और शुभ सूचना देनेवाला और सचेत करनेवाला मनुष्य बनाकर भेजा है ।
33:46 👉وَدَاعِيًا إِلَى اللَّهِ بِإِذْنِهِ وَسِرَاجًا مُّنِ👈
और 👉अल्लाह की अनुज्ञा से उसकी ओर बुलानेवाला और प्रकाशमान प्रदीप बनाकर।
33:47 وَبَشِّرِ الْمُؤْمِنِينَ بِأَنَّ لَهُم مِّنَ اللَّهِ فَضْلًا كَبِيرًا👈
👉ईमानवालों को शुभ सूचना दे दो कि उनके लिए अल्लाह की ओर से बहुत बड़ा उदार अनुग्रह प्राप्त होगा ।
33:48 وَلَا تُطِعِ الْكَافِرِينَ وَالْمُنَافِقِينَ وَدَعْ أَذَاهُمْ وَتَوَكَّلْ عَلَى اللَّهِ ۚ وَكَفَىٰ بِاللَّهِ وَكِيلًا👈
और इनकार करनेवालों और कपटाचारियों के कहने में न जाना। उनकी पहुँचाई हुई तकलीफ़ की याद न करो। और अल्लाह पर भरोसा रखो। अल्लाह इसके लिए सब कुछ ठीक कर देंगे अपने मामले में उसपर भरोसा कर सकते हैं।
33:49 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِذَا نَكَحْتُمُ الْمُؤْمِنَاتِ ثُمَّ طَلَّقْتُمُوهُنَّ مِن قَبْلِ أَن تَمَسُّوهُنَّ فَمَا لَكُمْ عَلَيْهِنَّ مِنْ عِدَّةٍ تَعْتَدُّونَهَا ۖ فَمَتِّعُوهُنَّ وَسَرِّحُوهُنَّ سَرَاحًا جَمِيلًا👈
ऐ ईमान 👉 लानेवालो! जब तुम ईमान वाली स्त्रियों से विवाह करो और फिर उनके शरीर में हाथ लगाने से पहले ही तलाक़ दे दो तो तुम्हारे लिए उनपर कोई हक नहीं रहता जिसे तुम अपना मान सकते हो। अतः उन्हें कुछ सामान दे दो और भली रीति से उन्हें विदा कर दो।
33:50 يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ إِنَّا أَحْلَلْنَا لَكَ أَزْوَاجَكَ اللَّاتِي آتَيْتَ أُجُورَهُنَّ وَمَا مَلَكَتْ يَمِينُكَ مِمَّا أَفَاءَ اللَّهُ عَلَيْكَ وَبَنَاتِ عَمِّكَ وَبَنَاتِ عَمَّاتِكَ وَبَنَاتِ خَالِكَ وَبَنَاتِ خَالَاتِكَ اللَّاتِي هَاجَرْنَ مَعَكَ وَامْرَأَةً مُّؤْمِنَةً إِن وَهَبَتْ نَفْسَهَا لِلنَّبِيِّ إِنْ أَرَادَ النَّبِيُّ أَن يَسْتَنكِحَهَا خَالِصَةً لَّكَ مِن دُونِ الْمُؤْمِنِينَ ۗ قَدْ عَلِمْنَا مَا فَرَضْنَا عَلَيْهِمْ فِي أَزْوَاجِهِمْ وَمَا مَلَكَتْ أَيْمَانُهُمْ لِكَيْلَا يَكُونَ عَلَيْكَ حَرَجٌ ۗ وَكَانَ اللَّهُ غَفُورًا رَّحِيمًا👈
ऐ नबी! 👉हमने तुम्हारे लिए तुम्हारी वे पत्नियाँ वैध कर दी हैं जिनके तलाक तुम दे चुके हो, और फिर उन स्त्रियों को भी जो तुम्हारे मिल्कियत में आईं, जिन्हें अल्लाह ने ग़नीमत के रूप में तुम्हें दी है । तुम्हारी चचा की बेटियाँ , तुम्हारी फूफियों की बेटियाँ , तुम्हारे मामुओं की बेटियाँ ,और तुम्हारी ख़ालाओं की बेटियाँ जिन्होंने तुम्हारे साथ हिजरत की है और वह ईमानवाली स्त्री जो अपने आपको नबी के लिए दे दिया । नबी उससे शादी कर सकते हैं जो ईमानवालों से हटकर यह सिर्फ तुम्हारे ही लिए है बने हैं । हमें मालूम है जो कुछ हमने उनकी पत्ऩियों और उनकी लौंडियों के बारे में उनपर निश्चिंत किया है - ताकि तुमपर कोई तकलीफ न रहे। अल्लाह बहुत क्षमाशील, दयावान है हमेशा आप पर नजर रखते हैं ।
33:51 تُرْجِي مَن تَشَاءُ مِنْهُنَّ وَتُؤْوِي إِلَيْكَ مَن تَشَاءُ ۖ وَمَنِ ابْتَغَيْتَ مِمَّنْ عَزَلْتَ فَلَا جُنَاحَ عَلَيْكَ ۚ ذَٰلِكَ أَدْنَىٰ أَن تَقَرَّ أَعْيُنُهُنَّ وَلَا يَحْزَنَّ وَيَرْضَيْنَ بِمَا آتَيْتَهُنَّ كُلُّهُنَّ ۚ وَاللَّهُ يَعْلَمُ مَا فِي قُلُوبِكُمْ ۚ وَكَانَ اللَّهُ عَلِيمًا حَلِيمًا👈
👉तुम उनमें से जिसे चाहो अपने से अलग रखो और जिसे चाहो अपने पास रखो, और जिनको तुमने अलग रखा हो, उनमें से किसी के इच्छुक हो तो इसमें तुमपर कोई दोष नहीं, इससे इस बात की अधिक सम्भावना है कि उनकी आँखें नम्रता होने चाहिए और वे शोकाकुल न हों और जो कुछ तुम उन्हें दो उसपर वे राज़ी होनी चाहिए। अल्लाह जानता है जो कुछ तुम्हारे दिलों में है। अल्लाह सर्वज्ञ, बहुत सहनशील है सब कुछ दिखता है ।
33:52 لَّا يَحِلُّ لَكَ النِّسَاءُ مِن بَعْدُ وَلَا أَن تَبَدَّلَ بِهِنَّ مِنْ أَزْوَاجٍ وَلَوْ أَعْجَبَكَ حُسْنُهُنَّ إِلَّا مَا مَلَكَتْ يَمِينُكَ ۗ وَكَانَ اللَّهُ عَلَىٰ كُلِّ شَيْءٍ رَّقِيبًا👈
👉इसके पश्चात तुम्हारे पहले पत्नी जब तक इजाजत नहीं देती तब तक दूसरी स्त्रियाँ वैध नहीं और न यह कि तुम उनकी जगह दूसरी पत्नियाँ ले आओ, यद्यपि उनका सौन्दर्य तुम्हें कितना ही भाए। पत्नी के इशारे पर चलना भी गुनाह है जैसे आपकी मर्जी वह कर सकते हैं मगर किसी की दिल दुखाना नहीं चाहिए ।
33:53 يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَدْخُلُوا بُيُوتَ النَّبِيِّ إِلَّا أَن يُؤْذَنَ لَكُمْ إِلَىٰ طَعَامٍ غَيْرَ نَاظِرِينَ إِنَاهُ وَلَٰكِنْ إِذَا دُعِيتُمْ فَادْخُلُوا فَإِذَا طَعِمْتُمْ فَانتَشِرُوا وَلَا مُسْتَأْنِسِينَ لِحَدِيثٍ ۚ إِنَّ ذَٰلِكُمْ كَانَ يُؤْذِي النَّبِيَّ فَيَسْتَحْيِي👈 مِنكُمْ ۖ وَاللَّهُ لَا يَسْتَحْيِي مِنَ الْحَقِّ ۚ وَإِذَا سَأَلْتُمُوهُنَّ مَتَاعًا فَاسْأَلُوهُنَّ مِن وَرَاءِ حِجَابٍ ۚ ذَٰلِكُمْ أَطْهَرُ لِقُلُوبِكُمْ وَقُلُوبِهِنَّ ۚ وَمَا كَانَ لَكُمْ أَن تُؤْذُوا رَسُولَ اللَّهِ وَلَا أَن تَنكِحُوا أَزْوَاجَهُ مِن بَعْدِهِ أَبَدًا ۚ إِنَّ ذَٰلِكُمْ كَانَ عِندَ اللَّهِ عَظِيمًا👈
ऐ ईमान लानेवालो! 👉 जब तक खाने की घरों में अनुमति न दी जाए तब तक घर में प्रवेश ना करो इस तरह कि उसकी (खाना पकने की) तैयारी की प्रतीक्षा में न रहो। अलबत्ता जब तुम्हें बुलाया जाए तो अन्दर जाओ, और जब तुम खा चुको तो उठकर चले जाओ, बातों में लगे न रहो। निश्चय ही तुम्हारी यह हरकत नबी को तकलीफ़ देती है। किन्तु उन्हें तुमसे लज्जा आती है। किन्तु अल्लाह सच्ची बात कहने से लज्जा नहीं करता। और जब तुम उनसे कुछ माँगो तो उनसे परदे के पीछे से माँगो। यह अधिक शुद्धता की बात होता है तुम्हारे दिलों के लिए और उनके दिलों के लिए भी। तुम्हारे लिए वैध नहीं कि तुम अल्लाह के रसूल को तकलीफ़ पहुँचाओ और न यह कि उसके बाद कभी उसकी पत्नियों से विवाह करो। निश्चय ही अल्लाह की दृष्टि में यह बड़ी गम्भीर बात है।
मित्रों इसमें जो कुछ भी लिखा है गलत है या सही है विचार आपको करना है । हमारे उद्देश्य यह है कि धर्म के विषय में जानकारी देना जिसके मजहब में जो कुछ भी उल्लेख होता है वही जानकारी हम आप तक पहुंचाते हैं । पूरे पोस्ट को पढ़ने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद ऐसे ही हमारे साथ बने रहे ।