यमलोक कहां हैं यह जानने के लिए हमारे साथ बने रहिए उससे पहले हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है
हिंदू धर्म में विश्वास है कि मनुष्य मृत्यु के बाद सब से पहले यमलोक में जाता है और वहाँ यमराज के सामने उपस्थित किया जाता है। वही उसकी शुभ और अशुभ कृत्यों का विचार करके उसे स्वर्ग नरक या पृथ्वीलोक में भेजते हैं। ये धर्मपूर्वक विचार करते हैं, इसीलिये 'धर्मराज' भी कहलाते हैं। यह भी माना जाता है कि मृत्यु के समय यम के दूत ही आत्मा को लेने के लिये आते हैं। स्मृतियों में चौदह यमों के नाम आए हैं, जो इस प्रकार हैं— यम, धर्मराज, मृत्यु, अंतक, वैवस्वत, काल, सर्वभूत, क्षय, उदुंबर, दघ्न, नील, परमेष्ठी, वृकोदर, चित्र और चित्रगुप्त। तर्पण में इनमें से प्रत्यक के नाम तीन-तीन अंजलि जल दिया जाता है।
इंसान जन्म के बाद कौन सा कर्म किया है उसकी हर निर्णय करने वाले हैं यमराज । इंसान के मृत्यु के बाद उसकी आत्मा को ले जाते हैं वही यमलोक में फिर उसकी कर्म पर विचार करते हैं । जैसे-जैसे इंसान की कर्म होते हैं उसी तरह उनके भाग्य लिखा जाता है ।
यमलोक में भी पापों की दंड दिया जाता है उसके बाद उनकी भाग्य पर लिखा जाता है ।
पूर्ण जन्म में कहां और किस हिसाब से होने वाले हैं यह तय करते हैं विधाता यह सब आपके ही कर्म पर निर्धारित हैं ।
अभी आप किस परिस्थिति मैं हैं यह आपके पिछले जन्म की कर्म के फल हैं और अभी आप क्या करने जा रहे हैं और क्या कर रहे हैं यह तय करेंगे आपके आने वाले समय में ।
इंसान मरने के बाद यमराज अपने यमलोक में ले जाते हैं जहां सभी को जाना है यह निश्चिंत है कि जो भी कर्म आप करेंगे उसके विचार करके यमराज निर्णय लेते हैं किस कर्म मे कैसे फल दिया जाएगा ।
शिव पुराण कथाओं के अनुसार मां मनसा देवी कथा में यह भी उल्लेख है कि बेहुला अपने पति की प्राण रक्षा के लिए यमराज दार पर पहले पहुंचे थे उसके बाद स्वर्ग गए थे जहां अपने पति के प्राण वापस लेकर आए थे । जिसे हम यमलोक कहते हैं ।