यीशु मसीह को क्रूस पर क्यों चढ़ाया गया था जानिए
इंसान के दिमाग इतना तेज है कभी-कभी तो ईश्वर भी परीक्षा लेने में फेल हो जाते हैं ऐसा ही कुछ यीशु मसीह का साथ घटना हुआ था ।
जिस समय यीशु मसीह ने इस पृथ्वी लोक में जन्म लिया था जहां ईश्वर बोलकर किसी को पता नहीं था कौन है ईश्वर ,कैसे रहते हैं ,कैसे देखते हैं ?
पहले युग में इंसान किसको पाप बोलता है, किसको पूर्ण कहता है यह किसी को पता नहीं था ।
जिनके पास धन हैं वह राजा है बाकी आम लोग किसी तरह दिन गुजारा करते थे ।
यीशु मसीह अपने ईश्वर के विषय में हर समय बातें किया करते थे हम उन्हें भली-भांति ज्ञात था कि इंसान क्या गुनाह कर रहे हैं और क्या सही कर रहे हैं ।
उस समय जो व्यक्ति गुनाह के रास्ता में जाते थे उनको रोकने के लिए कोशिश करते थे । यीशु मसीह का सोच बिल्कुल अलग है किसी पर अत्याचार को देख नहीं पाते थे इसके लिए वह अपने जान को बाजी लगा देते थे ।
यीशु मसीह ने सभी लोगों को उपदेश दे रहा था ईश्वर के विषय में फिर ,किस रास्ते पर जाने से इंसान को पाप नहीं होता और किस रास्ते पर जाने से इंसान अपने कर्म के जरिए ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं ।
जानिए किस गुनाह के कारण क्रूस पे चढ़ाया था यीशु मसीह को
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यहूदियों के कट्टरपन्थी रब्बियों (धर्मगुरुओं) ने ईसा का भारी विरोध किया। उन्हें ईसा में मसीहा जैसा कुछ ख़ास नहीं लगा। उन्हें अपने कर्मकाण्डों से प्रेम था। ख़ुद को ईश्वरपुत्र बताना उनके लिये भारी पाप था। इसलिये उन्होंने उस वक़्त के रोमन गवर्नर पिलातुस को इसकी शिकायत कर दी। रोमनों को हमेशा यहूदी क्रान्ति का डर रहता था। इसलिये कट्टरपन्थियों को प्रसन्न करने के लिए पिलातुस ने ईसा को क्रूस (सलीब) पर मौत की दर्दनाक सज़ा सुनाई।
बाइबल के मुताबिक़, रोमी सैनिकों ने ईसा को कोड़ों से मारा। उन्हें शाही कपड़े पहनाए, उनके सर पर कांटों का ताज सजाया और उनपर थूका और ऐसे उन्हें तौहीन में "यहूदियों का बादशाह" बनाया। पीठ पर अपना ही क्रूस उठवाके, रोमियों ने उन्हें गल्गता तक लिया, जहां पर उन्हें क्रूस पर लटकाना था। गल्गता पहुंचने पर, उन्हें मदिरा और पित्त का मिश्रण पेश किया गया था। उस युग में यह मिश्रण मृत्युदंड की अत्यंत दर्द को कम करने के लिए दिया जाता था। ईसा ने इसे इंकार किया। बाइबल के मुताबिक़, ईसा दो चोर के बीच क्रूस पर लटकाया गया था।
ईसाइयों का मानना है कि क्रूस पर मरते समय ईसा मसीह ने सभी इंसानों के पाप स्वयं पर ले लिए थे और इसलिए जो भी ईसा में विश्वास करेगा, उसे ही स्वर्ग मिलेगा। मृत्यु के तीन दिन बाद ईसा वापिस जी उठे और 40 दिन बाद सीधे स्वर्ग चले गए। ईसा के 12 शिष्यों ने उनके नये धर्म को सभी जगह फैलाया। यही धर्म ईसाई धर्म कहलाया।
यीशु मसीह ने कभी गुनाह नहीं किया , उसका गुना सिर्फ यही था कि वह दूसरे के लिए मर मिटे थे, दूसरे के लिए सोचते थे ,दूसरे की मुस्कुराहट देखकर वह स्वयं खुश होते थे ।अगर कोई भी व्यक्ति गुनाह करते हैं तो उसे साजा की बजाय उनको समझाने कि प्रयास करते थे, और कहते थे कि ईश्वर से डरो ईश्वर सब कुछ देख रहा है गुनाह मत करो ईश्वर की शरण में आओ ।