रावण पुत्र मेघनाथ का वध लक्ष्मण जी ने किया था मगर बहुत ही कठिनाई का सामना करना पड़ा । क्योंकि मेघनाथ को ऐसा वरदान प्राप्त हुआ था जो कि लक्ष्मण जी ही वध कर सकते थे । धर्म के अनुसार पापियों को वध करने के लिए एक ना एक रास्ता खुला ही रहता है रावण पुत्र मेघनाथ बहुत ही धार्मिक थे लेकिन अपने पिता पापी रावण के साथ दिया करके मेघनाथ भी एक पापी का भागीदार बन गया जिसके कारण उन्हें भी मृत्यु का रास्ता देखना पड़ा । मेघनाथ अपना पिता का आदेश पालन किया मेघनाथ जानते थे कि स्वयं भगवान विष्णु के अवतार श्री राम ही है और कोई नहीं लेकिन फिर भी मेघनाथ अपने पिता का अनादर नहीं किया । पिता ने जो भी मेघनाथ को आदेश दिया मेघनाथ ने धर्म निष्ठा से उसे पालन किया । मेघनाथ को इंद्रजीत नाम से भी परिचित हैं क्योंकि मेघनाथ के अंदर इंद्र मायाजाल का शक्ति था जिसके कारण उन्हें इंद्रजीत नाम से जाना जाता है ।
प्रिय मित्रों तो चलिए देखते हैं मेघनाद ने अपना पिता के आदेश पालन करके कैसे लक्ष्मण जी के साथ भयंकर युद्ध किया ।