सतयुग में देवी देवताओं को कैसे पहचाने गए ? जानिए विस्तार से


सतयुग




देवी देवताओं की पहचान कैसे हो पाएं जानना चाहते हैं तो हमारे साथ बने रहिए मित्रों नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है ।

दुनिया में हर किस्म के इंसान मौजूद है जहां हिंदू धर्म पर सवाल किया जाता है तो कुछ उल्टा सीधा बातें सुनाई देती है तो मित्रों सच्चाई क्या है आज हम आपको बताएंगे ।  जिन लोगों के मन में देवी देवताओं के विषय में भ्रम पला हुआ है आज मैं उन्हीं का भ्रम दूर करने वाला हूं हमारे साथ बने रहिए । 


सबसे पहले आपको यह जानकारी होना बहुत ही आवश्यकता है । इतिहास के अनुसार दुनिया में अपने अपने धर्म बने हुए हैं सभी ने अपने तरीके से मजहब स्थापित किया है । लेकिन हिंदू ही एक ऐसा रिलीजन है कि इसका कोई मजहब नहीं है सिर्फ सनातन धर्म मानते हैं और हिंदू सनातन धर्म प्राचीन काल से लोग अपने सनातन धर्म निभाते आ रहे हैं । 


चलिए जानते हैं देवी देवताओं को कैसे पहचाने गए ।


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ऋग्वेद के सूत्र में देवताओं की स्तुतियों से देवताओं की पहचान की जाती है, इनमें देवताओं के नाम अग्नि, वायु, इन्द्र, वरुण, मित्रावरुण, अश्विनीकुमार, विश्वदेवा, सरस्वती, ऋतु, मरुत, त्वष्टा, ब्रहम्णस्पति, सोम, दक्षिणा इन्द्राणी, वरुनानी, द्यौ, पृथ्वी, पूषा आदि को पहचाना गया है, और इनकी स्तुतियों का विस्तृत वर्णन मिलता है। जो लोग देवताओं की अनेकता को नहीं मानते है, वे सब नामों का अर्थ परब्रह्म परमात्मा वाचक लगाते है, और जो अलग अलग मानते हैं वे भी परमात्मात्मक रूप में इनको मानते है। भारतीय गाथाओम और पुराणों में इन देवताओं का मानवीकरण अथवा पुरुषीकरण हुआ है, फ़िर इनकी मूर्तियाँ बनने लगी, फ़िर इनके सम्प्रदाय बनने लगे, और अलग अलग पूजा पाठ होने लगे । (हिन्दू धर्मशास्त्र-देवी देवता), सबसे पहले जिन देवताओं का वर्गीकरण हुआ उनमें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का उदय हुआ, इसके बाद में लगातार इनकी संख्या में वृद्धि होती चली गयी, निरुक्तकार यास्क के अनुसार," देवताऒ की उत्पत्ति आत्मा से ही मानी गयी है", देवताओं के सम्बन्ध में यह भी कहा जाता है, कि "तिस्त्रो देवता".अर्थात देवता तीन है, किन्तु यह प्रधान देवता है, जिनके प्रति सृष्टि का निर्माण, इसका पालन और इसका संहार किया जाना जाता है। महाभारत के (शांति पर्व) में इनका वर्णनक्रम इस प्रकार से किया गया है:-
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आदित्या: क्षत्रियास्तेषां विशस्च मरुतस्तथा, अश्विनौ तु स्मृतौ शूद्रौ तपस्युग्रे समास्थितौ, स्मृतास्त्वन्गिरसौ देवा ब्राहमणा इति निश्चय:, इत्येतत सर्व देवानां चातुर्वर्नेयं प्रकीर्तितम
आदित्यगण क्षत्रिय देवता, मरुदगण वैश्य देवता, अश्विनी गण शूद्र देवता, और अंगिरस ब्राहमण देवता माने गए हैं। शतपथ ब्राह्मण में भी इसी प्रकार से देवताओं को माना गया है।
शुद्ध बहुईश्वरवादी धर्मों में देवताओं को पूरी तरह स्वतन्त्र माना जाता है।

तो मित्रों यह था मेरे छोटा सा जानकारी, यदि हमारी इस जानकारी से आपको अच्छा लगे तो कमेंट करके जरूर बताइए । अगले जानकारी के लिए फिर हम हाजिर होंगे तब तक के लिए आप अपने सुरक्षित रहिए, स्वस्थ रहिए । जय हिंद🙏

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