मुगल साम्राज्य का इतिहास जितना कहेंगे उतना ही कम फिर भी हम आपको सरल तरीका से समझाने की प्रयास करेंगे । रिसर्च करने के बाद हमें जितनी जानकारी मिली हम आपको बताने की कोशिश करेंगे । मित्रों भारत इस्लामिक राजाओं ने जब शासन कर रहे थे तो उस समय लाखों हिंदू इस्लाम कबूल करने में मजबूर था परंतु इसका कारण क्या है चलिए जानते हैं । नमस्कार मित्रों हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है ।
शायद अभीतक कुछ लोगों को पता ही नहीं है कि हिंदुस्तान में पहले एक भी मुसलमान नहीं था । भारत में वर्तमान आज के दिन में जितने भी मुसलमान मौजूद है कुछ बाबर के संतान और धर्म परिवर्तन के कारण हुई है । इतिहास के अनुसार सन- 660 और 700 के मध्यम हिंदुस्तान में हिंदू राजाओं को युद्ध में पराजित करके मुगलों ने भारत पर कब्जा कर शासन करने लगे थे । जिसके कारण आज भारत के इतिहास बदल गया ।
कुछ इतिहास हमें छुपाया गया है ताकि हिंदू और मुसलमानों के मध्यम कहीं नफरत न फैले ।मुगल अकबर को महान बताया गया है और उनका संबंधित फिल्म भी बनाया गया है उस फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि हिंदुओं प्रति कितना प्रेमभाव था मगर यह सब झूठ और विपरीत दिखाया गया है ।
पुराने इतिहास के अनुसार:- मुगलों ने शासन करते समय लोगों को अपने धर्म के ही महत्व समझाने लगे थे । दूसरे समुदाय के लोग अगर इस्लाम धर्म के महत्व समझने की कोशिश नहीं करते तो उन्हें दंड देता था और इस्लाम कबूल करने में मजबूर करता था ।
आकबर एक मुसलमान का बादशाह था और उनके मन में दूसरे धर्म लोगों के प्रति कोई अदर नहीं था । जैसे-जैसे अकबर की आयु बढ़ती गई वैसे-वैसे उसकी अपने धर्म के प्रति रुचि बढ़ने लगी । उसे विशेषकर हिंदू धर्म के प्रति भक्ति भाव बिल्कुल नहीं थी । हिंदू समुदाय से नफरत होने से भी हिंदू समुदाय के कई लड़कियों से शादी भी की थी । अकबर हिंदू लड़कियों से शादी करने के बाद मन में हिंदू के प्रति थोड़ा सा दया आया । लेकिन उससे हिंदू लोगों के कोई फायदे नहीं हुई ।
इसके अलावा अकबर ने अपने राज्य में हिन्दुओ को विभिन्न राजसी पदों पर भी आसीन किया जो कि किसी भी भूतपूर्व मुस्लिम शासक ने नही किया था। वह यह जान गया था कि भारत में लम्बे समय तक राज करने के लिए उसे यहाँ के मूल निवासियों को उचित एवं बराबरी का स्थान देना चाहिये। अकबर के इस विचार से दूसरा बादशाह की नाराजगी सहना पड़ा । क्योंकि हिंदुस्तान में जितने भी इस्लामिक शासन था हिंदू के प्रति नकारात्मक भावनाएं थे ।
हिन्दुओं पर लगे जज़िया १५६२ में अकबर ने हटा दिया, किंतु १५७५ में मुस्लिम नेताओं के विरोध के कारण वापस लगाना पड़ा , हालांकि उसने बाद में नीतिपूर्वक वापस हटा लिया। जज़िया कर गरीब हिन्दुओं को गरीबी से विवश होकर इस्लाम की शरण लेने के लिए लगाया जाता था। यह मुस्लिम लोगों पर नहीं लगाया जाता था। इस के कारण बहुत सी गरीब हिन्दू जनसंख्या पर बोझ पड़ता था, जिससे विवश हो कर वे इस्लाम कबूल कर लिया करते थे।
सच्चाई कभी छुपता नहीं है लाख कोशिश करो आज नहीं तो कल उजागर होता ही है कुछ इतिहास हिंदुस्तान में ही अपने सत्ता के लाल से में छुपाया गया है । सच्चाई अगर सामने आ जाएगा तो उन्हें पता है कि हर कोई व्यक्ति उन पर थूकेगा एवं कभी ऐसे लोगों को वोट नहीं देंगे ।लेकिन आज के दौर पर इंटरनेट के जमाना है हर कोई सच्चाई जान सकते हैं हमारे पूर्वजों की कितना छुपे हुए दर्द थे यह बात सबके सामने आ ही गया है । ना जाने आपके पूर्वजों ने कितने अत्याचार सहा होगा कितने मजबूर होकर धर्म परिवर्तन किया होगा । फिरोज़ शाह तुगलक ने बताया है, कि कैसे जज़िया द्वारा इस्लाम का प्रसार हुआ था।
अकबर द्वारा जज़िया हटाने के सामयिक निर्णयों का हिन्दुओं पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा, क्योंकि इससे उन्हें कुछ खास लाभ नहीं हुआ, क्योंकि ये कुछ अन्तराल बाद वापस लगा दिए गए। अकबर ने बहुत से हिन्दुओं को उनकी इच्छा के विरुद्ध भी इस्लाम ग्रहण करवाया था । इसके अलावा उसने बहुत से हिन्दू तीर्थ स्थानों के नाम भी इस्लामी किए, जैसे १५८३ में प्रयागराज को इलाहाबाद किया गया। अकबर के शासनकाल में ही उसके एक सिपहसालार हुसैन खान तुक्रिया ने हिन्दुओं को बलपूर्वक भेदभाव दर्शक बिल्ले उनके कंधों और बांहों पर लगाने को विवश किया था।
जोतावाली मां की महिमा
देखा था अकबर ने ।
ज्वालामुखी मन्दिर के संबंध में एक कथा काफी प्रचलित है। यह १५४२ से १६०५ के मध्य का ही होगा तभी अकबर दिल्ली का राजा था। ध्यानुभक्त माता जोतावाली का परम भक्त था। एक बार देवी के दर्शन के लिए वह अपने गाँववासियो के साथ ज्वालाजी के लिए निकला। जब उसका काफिला दिल्ली से गुजरा तो मुगल बादशाह अकबर के सिपाहियों ने उसे रोक लिया और राजा अकबर के दरबार में पेश किया । अकबर ने जब ध्यानु से पूछा कि वह अपने गाँववासियों के साथ कहां जा रहा है तो उत्तर में ध्यानु ने कहा वह जोतावाली के दर्शनो के लिए जा रहे है। अकबर ने कहा तेरी माँ में क्या शक्ति है ? और वह क्या-क्या कर सकती है ?
तब ध्यानु ने कहा वह तो पूरे संसार की रक्षा करने वाली हैं। ऐसा कोई भी कार्य नही है जो वह नहीं कर सकती है। अकबर ने ध्यानु के घोड़े का सर कटवा दिया और कहा कि अगर तेरी माँ में शक्ति है तो घोड़े के सर को जोड़कर उसे जीवित कर दें। यह वचन सुनकर ध्यानु देवी की स्तुति करने लगा और अपना सिर काट कर माता को भेट के रूप में प्रदान किया। माता की शक्ति से घोड़े का सर जुड गया। इस प्रकार अकबर को देवी की शक्ति का एहसास हुआ। बादशाह अकबर ने देवी के मन्दिर में सोने का छत्र भी चढाया। किन्तु उसके मन मे अभिमान हो गया कि वो सोने का छत्र चढाने लाया है, तो माता ने उसके हाथ से छत्र को गिरवा दिया और उसे एक अजीब (नई) धातु का बना दिया जो आज तक एक रहस्य है। यह छत्र आज भी मन्दिर में मौजूद है।
अकबर मृत्यु के बाद धीरे धीरे जबरन धर्म परिवर्तन करने का असर खत्म हो चुका था क्योंकि हिंदुस्तान में अंग्रेजों की प्रवेश होने लगे थे उसके बाद अंग्रेजों ने हिंदुस्तान पर कब्जा करके कई साल तक शासन किया ।
जन्म, 15 अक्टूबर सन 1542 (लगभग) ; जन्म भूमि, अमरकोट, सिन्ध (पाकिस्तान) अकबर के 13 साल आयु में अपने माता पिता का निधन हो गया था जिसके बाद अकबर 13 साल की उम्र में ही राज गद्दी संभालते रहें ।
अकबर की मृत्यु कब हुई ।
मृत्यु तिथि: 27 अक्टूबर, सन 1605 मृत्यु स्थान: फ़तेहपुर सीकरी, आगरा । इतिहास के अनुसार अकबर का मृत्यु अचानक से हुआ था जिसके कारण लोगों के मन में आज भी सवाल होते गया । मित्रों आज के लिए बस इतना ही फिर अगले एक नया इतिहास लेकर आएंगे तब तक के लिए स्वस्थ रहिए सुरक्षित रहिए आपका दिन शुभ हो ।
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