श्री कृष्ण का जन्म कहां और कब हुआ था ? जानें विस्तार से

 

Dharmik kotha

श्री कृष्ण का जन्म कब और कहां हुआ था जानने के लिए हमारे साथ बने रही है मित्र नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है । श्री कृष्ण जी को हिंदू धर्म में भगवान मानते हैं कहा जाता है कि उनकी कृपा जिस किसी पर पढ़ते हैं उनका जीवन सार्थक हो जाता है भगवान श्री कृष्ण के स्मरण करने से जीवन में हर संकट दूर हो जाता है । दोस्तों यदि आप श्री कृष्णा के विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाले हैं । यह भी कहा गया है कि भगवान श्री कृष्ण का नाम लेने से उस इंसान के जीवन धन्य हो जाता है यदि आप भगवान श्री कृष्ण के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे तो मुझे उम्मीद है कि आपका जीवन भी धन्य हो जाएंगे । वैसे भगवान श्री कृष्ण के विषय में एक-एक बातें जानकारी लेना चाहते हैं तो आप भागवत गीता पढ़ सकते हैं । भागवत गीता में सब कुछ प्राप्त हो सकता है अगर आप बस भगवान श्री कृष्ण के जन्म के विषय में जानकारी चाहते हैं तो यह पोस्ट लास्ट तक जरूर पढ़ें ।



तो चलिए विस्तार से जानते हैं भगवान श्री कृष्ण की जन्म कब और कहां हुआ था ।


भगवान कृष्ण वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे। देवकी कंस राजा की बहन थी। कंस एक अत्याचारी राजा था उसने खुद को भगवान होने लगा था लेकिन एक दिन उसने आकाशवाणी सुनी थी कि देवकी के आठवें पुत्र द्वारा वह मारा जाएगा। इससे बचने के लिए कंस ने देवकी और वसुदेव को मथुरा के कारागार में डाल दिया और सातों पुत्र को अपने हाथों से मृत्यु प्रदान किया ।


 मथुरा के कारागार में ही भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ। कंस के डर से वसुदेव ने नवजात बालक यानी भगवान श्री कृष्ण को रात में ही यमुना पार गोकुल में यशोदा के घर में पहुँचा दिया। गोकुल में श्री कृष्णा का लालन-पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालन माता-पिता थे। 


भगवान श्री कृष्ण का लीला समझना आम इंसान का बस की बात नहीं है उनकी लीला अगर आप समझ गए तो आप उनका भक्त बनने में अपने आप को रोक नहीं सकते हैं क्योंकि भगवान की लीला ही कुछ ऐसे हैं । बचपन में भगवान श्री कृष्ण को माखन चोर करके लोग पुकारते थे । भगवान श्री कृष्णा अपने साथियों को लेकर इधर-उधर माखन चुराकर खुद खाते थे दूसरे को भी खिलाते थे और उन्हें ऐसे क्रिया करने में बड़ी आनंद मिलता है ।  गांव के बुजुर्ग भी इनकी हरकत देखकर बड़े खुश हो जाते थे क्योंकि सभी को पता हैं श्री कृष्णा कोई और नहीं भगवान विष्णु का ही अवतार है । क्योंकि भगवान विष्णु ही तो संसार का पालनहार है जब भगवान विष्णु का इस क्रिया को लोग देखते थे तो और खुश हो जाते थे ।


बाल्यावस्था में ही भगवान श्री कृष्ण ने बड़े-बड़े कार्य किए जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। भगवान श्री कृष्ण ने नामुमकिन काम भी मुमकिन कर दिखाया है जो कि चमत्कार से कम नहीं । अपने जन्म के कुछ समय बाद ही कंस द्वारा भेजी गई राक्षसी पूतना का वध किया था , उसके बाद शकटासुर, तृणावर्त आदि राक्षस का भी वध किया।


 भगवान श्री कृष्णा जवानी अवस्था में गोकुल छोड़कर नंद गाँव आ गए वहां पर भी उन्होंने कई लीलाएं की जिसमे गोचारण लीला, गोवर्धन लीला, रास लीला आदि मुख्य हैं। इसके बाद मथुरा में मामा कंस के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान श्री कृष्ण अपने हाथों से कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहाँ अपना राज्य बसाया। 


महाभारत में भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों की मदद की और विभिन्न संकटों से उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और रणक्षेत्र में ही उन्हें उपदेश दिया। भगवान श्री कृष्ण 124 वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनके अवतार समाप्ति के तुरंत बाद परीक्षित के राज्य का कालखंड आता है। राजा परीक्षित, जो अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र तथा अर्जुन के पौत्र थे, उसी समय से ही कलियुग का आरंभ माना जाता है। दोस्तों मुझे उम्मीद है कि हमारे जानकारी से आपको पसंद आया होगा और भी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे साथ इसी तरह जुड़े रहिए आपका दिन शुभ हो मंगलमय हो 🙏

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