कालमेघ के पत्ते सेवन करने से आपको क्या बेनिफिट मिलते हैं जानिए
कालमेघ एक ऐसे पौधे हैं जहां इसके अंदर अनगिनत गुण पाया जाता है दोस्तों नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है ।कालमेघ पौधे भारत में सबसे अधिक उगते हैं इसे चिरायता के नाम से भी जाना जाता है । इसे उगाने की कोई आवश्यकता नहीं है होता है यह तो झारी जंगल में कहीं भी उग जाते हैं । अधिकांश लोग इसे अनदेखा करके चले जाते हैं मगर इसके अंदर में औषधि गुण से भरे हैं जहां अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं है ।
चलिए विस्तार से जानते हैं कालमेघ पत्ते कितने गुणकारी है और कितने फायदे हैं ।
कालमेघ पत्ते सेवन करने से करवा बहुत ही लगता है लेकिन किसी की भी जिंदगी को बचाने में सक्षम है । भारतीय चिकित्सा पद्वति में कालमेघ एक दिव्य गुणकारी औषधीय पौधा है जिसको हरा चिरायता, देशी चिरायता, बेलवेन, किरयित् के नामों से भी जाना जाता है। भारत में यह पौधा पश्चिमी बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश में अधिक पाया जाता है। इसका स्वाद कड़वा होता है, जिसमें एक प्रकार क्षारीय तत्व-एन्ड्रोग्राफोलाइडस, कालमेघिन पायी जाती है जिसके पत्तियों का उपयोग ज्वर नाशक, जांडिस, पेचिस, सिरदर्द कृमिनाशक, रक्तशोधक, विषनाशक तथा अन्य पेट की बीमारियों में बहुत ही लाभकारी पाया गया है। कालमेघ का उपयोग मलेरिया, ब्रोंकाइटिस रोगो में किया जाता है।
कालमेघ उपयोग यकृत सम्बन्धी रोगों को दूर करने में होता है। इसकी जड़ का उपयोग भूख लगने वाली औषधि के रूप में भी होता है। कालमेघ का उपयोग पेट में गैस, अपच, पेट में केचुएँ आदि को दूर करता है। इसका रस पित्तनाशक है। यह रक्तविकार सम्बन्धी रोगों के उपचार में भी लाभदायक है। सरसों के तेल में मिलाकार एक प्रकार का मलहम तैयार किया जाता है जो चर्म रोग जैसे दाद, खुजली इत्यादि दूर करने में बहुत उपयोगी होता है। चिली में किए गए एक प्रयोग में यह पाया गया कि सर्दी के कारण बहते नाक वाले रोगी को १२०० मिलीग्राम कालमेघ का रस दिये जाने पर उसकी सर्दी ठीक हो गई। इंडियन ड्रग इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में भी स्वीकार किया गया है कि कालमेघ में रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता पाई जाती है और यह मलेरिया और अन्य प्रकार के बुखार के लिए रामबाण दवा है। इसके नियमित सेवन से रक्त शुद्ध होता है तथा पेट की बीमारियां एकदम सर्वनाश करते हैं । यह लीवर यानी यकृत के लिए एक तरह से शक्तिवर्धक का कार्य करता है। इसका नियम से सेवन करने से एसिडिटी, वात रोग और चर्मरोग नहीं होता हैं ।
कालमेघ की पत्ते को पीसकर इसे गोलियां बनाकर हफ्ते में 3 दिन सुबह खाली पेट में एक या दो गोलियां खा सकते हैं । कालमेघ की पत्ती की रस निकाल कर उसे हफ्ता में तीन रोज खाली पेट में सुबह पी जाइए देखिए कुछ दिन के बाद आपके शरीर पूरी तरह तंदुरुस्त हो जाएगी । कमजोरी को दूर करेंगे भूख लगने में मदद करेंगे बहुत सारे बीमारियों को कूलबर्ग आएंगे आप आज से ही इसके सेवन करना शुरू कर दीजिए ।
मित्रों मुझे उम्मीद है कि हमारे इस जानकारी से आप अपने शरीर को आप खुद स्वस्थ रख सकते हैं अगर आप जानकारी के अनुसार कालमेघ के पत्ते को अपनाते हैं तो आशा करते हैं आपके शरीर कई सारी बीमारियों से सुरक्षित रह सकते हैं । यह खास जानकारी आपके दोस्तों को भी शेयर करना ना भूले धन्यवाद आपका दिन शुभ हो ।