इंदिरा गांधी को क्यों मारा और इसके पीछे की वजह क्या था ? जानिए सच

bholanath biswas
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Indra gandhi


इंदिरा गांधी के मौत का रहस्य क्या है जानिए सच 


हेलो मित्र नमस्कार मैं फिर से एक नया जानकारी लेकर हाजिर हूं और यह जानकारी देश के लिए है जिससे सभी को जानना जरूरी है । 


जवाहरलाल नेहरू मौत के बाद भारत में सर्व प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हुई थी  ।भारत के प्रथम महिला इंदिरा गांधी ने अपनी राजनीति में सत्ता संभालने लगे । इतिहास के अनुसार माना जाता है कि इंदिरा गांधी ने कुछ देश के लिए अच्छा काम किया है ,और कुछ अपने स्वार्थ के लिए भी काम किया था जिसे कुछ लोगों के मन में उनकी सरकार से पसंद नहीं थे।  भारत आजादी के बाद 1948 में भारत से पाकिस्तान जब अलग हुआ था तब भारत के कोई भी जनता खुश नहीं थे ।  

उस समय पाकिस्तान और भारत के हिंसा के कारण कई सिखों की जान चली गई थी तब से भारत के लिए पाकिस्तान एक दुश्मन बन चुका है ।


इतिहास में उल्लेख है कि इंदिरा गांधी पाकिस्तान के बहुत सपोर्ट किया करते थे और इधर इंदिरा गांधी ने भारत के सिखों पर कोई प्रेमभाव नहीं रखा था । इंदिरा गांधी के स्वार्थ राजनीति के कारण भारत के सिखों एवं हिंदू को बहुत कष्ट झेलना पड़ा । जिनके  कारण कुछ लोग उन्हें सीधा ऊपर का रास्ता दिखा दिया । 


 इंदिरा गांधी के स्वार्थ राजनीति जिन लोगों को पसंद नहीं थी वही लोग उनके मौत के कारण बना तो चलिए जानते हैं कैसे इंदिरा गांधी की मौत हुई थी ।

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पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दो सिख अंगरक्षक, सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने 31 अक्टूबर 1984 को नई दिल्ली के सफदरजंग रोड स्थित उनके आवास पर सुबह 9:29 बजे गोली मार कर उनकी हत्या की थी, उसमे से एक, बेअंत सिंह के वहीँ पर सुरक्षा कर्मियों द्वारा मार गिराया गया था, जबकि सतवंत सिंह, जोकि उस समय 22 वर्ष के थे, को गिरावतर कर लिया गया था। वो ब्रिटिश अभिनेता पीटर उस्तीनोव को आयरिश टेलीविजन के लिए एक वृत्तचित्र फिल्माने के दौरान साक्षात्कार देने के लिए सतवंत और बेअन्त द्वारा प्रहरारत एक छोटा गेट पार करते हुए आगे बढ़ी थीं। इस घटना के तत्काल बाद, उपलब्ध सूचना के अनुसार, बेअंत सिंह ने अपने बगलवाले शस्त्र का उपयोग कर उनपर तीन बार गोली चलाई और सतवंत सिंह एक स्टेन कारबाईन का उपयोग कर उनपर बाईस चक्कर गोली दागे।


गांधी को उनके सरकारी कार में अस्पताल पहुंचाते पहुँचाते रास्ते में ही दम तोड़ दीं थी, लेकिन घंटों तक उनकी मृत्यु घोषित नहीं की गई। उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में लाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उनका ऑपरेशन किया। 

उस वक्त के सरकारी हिसाब 29 प्रवेश और निकास घावों को दर्शाती है, तथा कुछ बयाने 31 बुलेटों के उनके शरीर से निकाला जाना बताती है। 

उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उनका ऑपरेशन किया। उसे 2:20 बजे मृत घोषित कर दिया गया। उसके शव को 1 नवंबर की सुबह दिल्ली के रास्तों से होते हुए तीन मूर्ति भवन ले जाया गया जहां उनके शव को सम्मान और जनता के दर्शन के लिए रखा गया। 3 नवंबर को राज घाट के पास उनका अंतिम संस्कार किया गया और इस स्थान का नाम शक्तिस्थल रखा गया। उनके बड़े बेटे और उत्तराधिकारी राजीव गांधी ने चिता को अग्नि दी थी।


तो मित्रों यह था मेरा छोटा सा जानकारी इस जानकारी से आपको अगर अच्छा लगे तो कमेंट करके जरूर बताइए और हमारे साथ जुड़े रहिए इसी तरह नया-नया जानकारी आपको मिलते रहेंगे तब तक के लिए आप खुश रहिए स्वस्थ रहिए आपका दिन शुभ हो जय हिंद । 

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