नमस्कार मित्रों मैं फिर से आ गया हूं आप केलिए एक ऐसा अजीब जानकारी और वह जानकारी हैं जहां आप समझ रहे हैं मैं क्या बोलने जा रहा हूं ।
मित्रों मंदिर में नंगा चित्र क्यों बनाया जाता है आइए जानते हैं । दरअसल इंसान के मन को जानना बहुत कठिन है । हम जब भी कोई मंदिर प्रवेश करते हैं तो हमारे मन में वह कौन सा भावना हो रही है यह तो हम स्वयं जानते हैं दूसरे कोई नहीं ।
जब आप कहीं मंदिर में भगवान के दर्शन करने जाते हैं तो शायद आपको बहुत आनंद होते होंगे यही मन में होते होंगे कि भगवान की आशीर्वाद कैसे प्राप्त करें । खैर यह तो आप ही बता सकते हैं ।
लेकिन कहीं-कहीं ऐसा मंदिर भी आपको नजर आएंगे जहां मंदिर के बाहर कुछ नंगा छोटे-छोटे चित्र रख देते हैं ।
पर क्यों रखते हैं ऐसे और इसके कारण क्या है?
यही सब जानने के लिए आपके मन में सवाल जरूर पैदा होते होंगे तो चलिए
इस पोस्ट को पढ़ लेते हैं।
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कभी-कभी ईश्वर अपने भक्तों को परीक्षा लेने के लिए कहीं दूसरा रूप में भी आते और उसे परीक्षा लेकर चले भी जाते हैं । भक्तों के मन में क्या है कितने भक्ति हैं और ईश्वर प्रति कितना श्रद्धा करते हैं यही सब जानने के लिए भगवान स्वयं आपको परीक्षा लेते हैं ।
आपके मन की बात तो जानते हैं फिर भी उन्हें ऐसा लगता है कि मेरे भक्त मुझे कितना चाहते हैं यह भी आजमाते हैं ।
आप मंदिर क्यों जाते हैं ? भगवान के दर्शन करने तो आपके मन में क्या है कहीं दूसरे तरफ ध्यान तो नहीं , कहीं आप भगवान के दर्शन के नाम पर पाप तो नहीं कर रहे ?
आपके मन को ईश्वर के प्रति कितना श्रद्धा एवं भक्ति है , कितना प्रेम है इसी में आपको आजमाया जाता है ।
आपके मन यदि उस चित्र देखकर भटक जाता है तो जान लीजिए कि आप बहुत बड़ा पाप कर रहे हैं । आप तो गए थे भगवान के दर्शन करने मगर आपके सामने दिया गया है एक बहुत ही खराब चित्र जहां उस चित्र को देखकर आपके मन भटक रहा है । उस नंगा चित्र को देखकर अपने मन को भटकना नहीं है अपने मन को ईश्वर प्रति अर्पित कर देना चाहिए तभी आप पूर्ण रूप से भगवान के कृपा पा सकते हैं ।
पहले साधु ब्रह्मचारी लोग बहुत तपस्या करते थे ईश्वर से वरदान मांगने के लिए ताकि उनकी मनोकामना पूरी हो सके ।
जिस मनोकामना पूरी करने के लिए तपस्या करते थे । तपस्या करने वाले को ईश्वर ने उस वक्त परीक्षा लेते थे । तपस्या करने वक्त उन्हें बहुत डराते थे वायु अग्नि जल सभी को भेजते हैं । परंतु जो तपस्या अपने श्रद्धा और भक्ति के साथ तपस्या करते थे उसे कोई नहीं डरा सकते थे ।
लेकिन जो डर गया सो भटक गया और जो डरा नहीं प्रभु के नाम से लीन रहते थे वह अपने मनोकामना पूरी कर लेते थे।
तो मित्रों मेरे कहने का मतलब यही है कि जब आप कहीं मंदिर जाते हैं भले ही आप कुछ नंगा तस्वीर देख ले या मूर्ति देख ले उसे देख कर आप अपने मन को भटकने नहीं देना । जिस प्रभु के दरबार पर आप जा रहे हैं उसे अपने मन में बिठा लेना चाहिए और ईश्वर की कृपा प्राप्त कर लीजिए ।
मित्रों आज के लिए बस इतना ही फिर अगले पोस्ट में हम आपसे जरूर मिलेंगे मित्रों यदि आप नए हैं तो हमारे साथ लाल बटन दबा के जुड़िए और इस तरह नया नया अपडेट जानकारी प्राप्त करते रहिए जय हिंद जय भारत माता की