सिकंदर बादशाह की काला सच, जानने के बाद होश उड़ जाएंगे

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सिकंदर बादशाह की यह है सच्चा कहानी 


विश्व विजय प्राप्त करने वाले सिकंदर के जीवन कहानी जानने केलिए हमारे साथ बने रहे । सबसे पहले हमारे वेबसाइट में आपका  स्वागतम  । 🙏


दुनिया में बहुत सारे राजा हुए लेकिन एक ऐसा राजा है जिसके नाम  सुनते ही सर झुकाने लगाते थे हर एक राजा उन्हें देखकर भयंकर डरते थे वो है अलेक्जेंडर पूरी दुनिया सिकंदर  के नाम से जानती हैं। वह एलेक्ज़ेंडर तृतीय तथा एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन नाम से भी जाना जाता है।


    सिकंदर अपनी मृत्यु से पहले वह उस तमाम भूमि को जीत चुका था जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक लोगों को पास थी। इसीलिए उसे विश्वविजेता भी कहा जाता है और उसके नाम के साथ महान या दी ग्रेट भी लगाया जाता हैं।  इतिहास में वह सबसे कुशल और बुद्धिमान सेनापति माना गया है।


कौन थे सिकन्दर जानिए उसका परिचय।


सिकंदर का जन्म 👉20 जुलाई, 356 ईसा पूर्व में प्राचीन नेपोलियन की राजधानी पेला में हुआ था। sikander, के पिता का नाम फिलीप द्धितीय था जो कि मेक्डोनिया और ओलम्पिया के शासक थे और उनकी माता का नाम ओलिम्पिया था। ऐसा मना जाता है कि वे एक 👉जादूगरनी थी जिन्हें सांपो के बीच रहने का पसंद करते थे।


सिकंदर की एक छोटा बहन थी जिसका नाम क्लियोपैट्रा था। इन दोनों भाई बहन की परवरिश पेला के शाही दरबार में की गई थी। उसे  Cleopatra of Macedon भी कहा जाता है। वह सिकंदर महान की एकमात्र सहोदर  थी।

सिकंदर, बचपन से तेज दिमाग एवं बुद्धि से निपुण थे। 12 वर्ष की उम्र में सिकन्दर ने घुड़सवारी बहुत अच्छे से सीख ली थी। 

जीवन के प्रथम शिक्षा सिकंदर ने अपने रिश्तेदार दी स्टर्न लियोनीडास ऑफ एपिरुस से ली थी। सिकंदर के पिता फिलीप चाहते थे कि सिकंदर को पढ़ाई के साथ-साथ युद्ध विद्या का भी पूरा ज्ञान हो। इसलिए उन्होनें अपने एक अनुभवी और कुशल रिश्तेदार को सिकंदर के लिए नियुक्त किया था, जिससे सिकंदर ने गणित, घुड़सवारी, धनुर्विध्या ली थी। इसके बाद लाइमेक्स ने सिकंदर को युद्ध की शिक्षा दी।


     जब सिकंदर 13 साल उमर के हुए तो उनके पिता ने उनके लिए एक निजी शिक्षक एरिसटोटल की नियुक्ति की थी, जिनका नाम एरिस्टोटल था,  जिन्हें भारत का 

👉अरस्तु भी कहा जाता है।  वे एक प्रसिद्ध और महान दार्शनिक ( philosopher ) थे। अरस्तू ने सिकंदर को करीब 3 सालों तक साहित्य की शिक्षा दी इसके साथ ही वाक्पटुता भी सिखाई। वहीं सिकंदर जैसे प्रतिभाशाली व्यक्ति को निखारने का काम भी अरस्तू ने ही किया।

   अरस्तू के मार्गदर्शन से सिकंदर योग्य होता चला गया और उसमें दुनिया को जीतने का आत्म विश्वास भी बढ़ गया।


सिकंदर ने अपने पिता द्वारा मेक्डोनिया को एक सामान्य राज्य से महान सैन्य शक्ति में बदलते देखा था। अपने पिता की बालकन्स में जीत पर जीत दर्ज करते हुए देखते हुए सिकन्दर बड़ा हुआ था।


👉329 ई. पू. में अपनी पिता की मृत्यु के उपरान्त सिकंदर राजा बना। उस समय उसकी आयु बीस वर्ष थी। लेकिन अपने पिता की मौत के बाद सिकंदर ने राजगद्दी पाने के लिए सेना को इकट्ठा कर अपने सौतेले और चचेरे भाइयों की हत्या कर दी। और फिर वह मकदूनिया के राजसिंहासन पर काबिज हो गया था। वहीं सिकंदर की मां, ओलम्पिया ने सिकंदर के साथ जीत की रणनीति बनवाने में भी काफी सहायता की  थी।अपने बेटे को सत्ता के सिंहासन पर बिठाने के लिए ओल्म्पिया ने अपने सौतेले बेटों को मारने में सहायता की थी। इसके साथ ही उसने अपनी सौतेली बेटी को मार दिया था और अपनी सौतन क्लेओपटेरा को आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया था।


जब सिकंदर राजा बनकर सबके सामने आए तो उसने  मकदूनिया के आस-पास के राज्यों को युद्ध से प्राप्त कर जीतना शुरु कर दिया था। उसने सबसे पहले यूनान के रास्ते में अपनी जीत दर्ज करवाई। और फिर वह एशिया माइनर की तरफ बढ़ने लगे। अनेक शानदार युद्ध अभियानों के बीच उसमे एशिया माइनर को जीतकर सीरिया को पराजित किया और फिर इरान, मिस्र, मसोपोटेमिया, फिनीशिया, जुदेआ, गाझा, और बॅक्ट्रिया प्रदेश पर विजय हासिल की थी। यह सभी क्षेत्र उस समय विशाल फ़ारसी साम्राज्य के अंग थे, जो कि मिस्त्र, इरान से लेकर पश्चिमोत्तर भारत तक फैला था। यदि सिकंदर के साम्राज्य की तुलना फारसी साम्राज्य से की जाए तो फारसी साम्राज्य, सिकंदर के साम्राज्य से लगभग 👉40 गुना ज्यादा बड़ा था, जिसका राजा डेरियस तृतीय था।


    लेकिन सिकंदर ने उसे भी अरबेला के युद्ध अपनी सैन्य शक्ति से  हराकर उसका साम्राज्य 👉हासिल कर लिया था। और स्वयं वहां का राजा बन गया। जनता का ह्रदय जीतने के लिए उसने फारसी राजकुमारी रुखसाना से विवाह कर लिया था। फारसी में उसे एस्कंदर-ए-मक्दुनी (मॅसेडोनिया का अलेक्ज़ेंडर) औऱ हिंदी में सिकंदर महान कहा जाता है। 


सिकन्दर ने भारत पर 

कब किया आक्रमण?

👉326 ईसा पूर्व में यूनानी शासक सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण करने लगे। पंजाब में सिंधु नदी को पार करते हुए सिकंदर तक्षशिला पहुंचा, उस समय चाणक्या तक्षशिला मे अध्यापक थे। वहां के राजा आम्भी ने सिकंदर की अधीनता स्वीकार कर ली। चाणक्या ने 👉भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए सभी राजाओ से एकत्रित होने के लिए आग्रह किया परंतु सिकंदर से लड़ने कोई नही आया। और पश्चिमोत्तर प्रदेश के अनेक राजाओं ने तक्षशिला की देखा देखी सिकंदर के सामने आत्म समर्पण कर दिया।


इसके बाद पूरी 👉दुनिया को जीतना का सपने देखने वाला सम्राट फौरन तक्षशिला से होते हुए राजा पोरस के सम्राज्य  की और बढ़ने लगा जो झेलम और चेनाब नदी के बीच बसा हुआ था। राजा पोरस के राज्य पर हक जमाने के मकसद से सिकंदर और राजा पोरस के बीच युद्ध हुआ तो राजा पोरस ने बहादुरी के साथ सिकंदर के साथ लड़ाई की लेकिन बहुत युद्ध और और कोशिशों के बाबजूद भी उसे हार का सामना करना पड़ा। 👉वहीं इस युद्धा में सिकंदर की सेना को भी भारी नुकसान पहुंचाया था ।


👉पोरस राजा  सबसे शक्तिशाली राजा थे परंतु उन्हें सिकंदर के छल के कारण हार का सामना करना पड़ा ।

युद्ध में पोरस पराजित हुआ परन्तु सिकंदर को पोरस की बहादुरी ने काफी प्रभावित किया था, क्योंकि जिस तरह राजा पोरस ने लड़ाई किए उसे देख सिकंदर हैरान रह गया। और इसके बाद सिकंदर ने राजा पोरस से दोस्ती कर ली और उसे छल से पराजित किया ।


उसके बाद सिकंदर की सेना ने छोटे हिंदू गणराज्यों के साथ युद्ध करना शुरू किया। इसमें कठ गणराज्य के साथ हुई लड़ाई काफी बड़ी थी। आपको बता दें कि कठ जाति के लोग अपने साहस के लिए जानी जाती थी।


यह भी माना जाता है कि इन सभी गणराज्यों को एक साथ लाने में आचार्य चाणक्य का भी बहुत बड़ा योगदान था। इस सभी गणराज्यों ने सिकंदर को काफी नुकसान भी पहुंचाया था जिससे सिकंदर की सेना बेहद डर गई थी।


👉सिकंदर व्यास नदी तक पहुँचा, परन्तु वहाँ से उसे वापस लौटना पड़ा। क्यूंकि कठों से युद्ध लड़ने के बाद उसकी सेना ने आगे बढ़ने से मना कर दिया था। दरअसल व्यास नदी के पार नंदवंशी के राजा के पास 20 हजार घुड़सवार सैनिक, 2 लाख पैदल सैनिक, 2 हजार 4 घोड़े वाले रथ और करीब 6 हजार हाथी थे। जिसके कारण सिकंदर के सभी सैनिक डर गया ।


👉सिकंदर पूरे भारत पर ही विजय पाना चाहता था लेकिन उसे अपनी सैनिकों की मर्जी की वजह से व्यास नदी से ही वापस लौटना पड़ा था।


👉पूरी दुनिया पर शासन करने का सपने देखने वाले सम्राट सिकंदर जब 323 ईसा पूर्व में बेबीलोन (Babylon) पहुंचे तो वहां पर उसे भीषण बुखार (Typhoid) ने जकड़ लिया। अत: 33 वर्ष की उम्र में 10 जून 323 ईसा पूर्व में सिकन्दर की मृत्यु हो गई।


 👉केवल 10 वर्ष की भीतर में इस बुद्धिमान योद्धा ने अपने छोटे से राज्य का विस्तार कर एक विशाल साम्राज्य स्थापित कर लिया था। हालाँकि उसकी मृत्यु के बाद उसका साम्राज्य बिखर गया, और इसमें शामिल देश आपस में शक्ति के लिए लड़ने लगे। ग्रीक और पूर्व के मध्य हुए सांस्कृतिक समन्वय का एलेक्जेंडर के साम्राज्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा।



👉सिकंदर के मृत्यु के बाद जब उसकी अरथी को ले जाया जा रहा था, तब अरथी के बाहर सिकंदर के दोनों हाथ बाहर लटके हुए थे कारण उसने मृत्यु से पहले बोल दिया था की जब मेरी मृत्यु हो जाए तो मेरे हाथ अरथी के अंदर मत रख देना सिकंदर चाहता था उसके हाथ अरथी के बाहर रहें ताकि यह हाथ सब कोई देखें ।


👉वह पूरी दुनिया को यह दिखाना चाहता था की जिसने दुनिया को जिता, जिसने अपने हाथ में सब कुछ भर लिया, मरने के बाद वह हाथ भी खाली हैं। जैसे इंसान खाली हाथ दुनिया मे आता हैं वैसे ही खाली हाथ उसे जाना पड़ता है, चाहे वह कितना भी महान शक्तिशाली क्यों न बन जाये। प्राचीन इतिहास इन हिंदी 


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