क्या पैनिक अटैक जानलेवा है? और इसे ठीक कैसे करें ? डॉक्टर कन्हैया

bholanath biswas
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क्या पैनिक अटैक जानलेवा है ?


मैं हूं आपका दोस्त डॉक्टर कन्हैया दोस्तों आज इस पोस्ट के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा कि पैनिक डिसऑर्डर को किस तरह से हैंडल करते हैं उसका इलाज कैसे किया जाता है । अच्छा हम इलाज की तरफ आगे बड़े उससे पहले मैं आपको थोड़ी सी पैनिक डिसऑर्डर के बारे में जानकारी देना चाहूंगा दरअसल पैनिक डिसऑर्डर एक तरह की मानसिक बीमारी है । हमारे अंदर दिमाग में कुछ ऐसे थॉट्स आने लग जाते हैं जैसे मुझे अभी हार्ट अटैक आएगा या फिर मेरे दिमाग की कोई नस है वह अभी फट जाएगी या मुझे कोई और गंभीर बीमारी हो जाएगी जिसके कारण मुझे 10-15 मिनट के लिए बहुत तगड़ी घबराहट होती है हाथों में कंपन होने लग जाता है कई बार सांस में दिक्कत होती है सांस खींच के लेने पड़ जाता है या फिर कोई शरीर ऐसा लगता है जैसे शरीर मेरा साथ छोड़ देगा ऐसा 15 - 20 मिनट के लिए अटैक आता है और इंसान को ऐसा लगता है जैसे वह भी मर जाएगा । तो इस तरह की जो यह बीमारी है इसको जनरली पैनिक डिसऑर्डर के नाम से जाना जाता है और पूरी जानकारी के लिएआप मेरे पैनिक डिसऑर्डर वाला देख सकते हैं आर्टिकल ।



 दोस्तों अब बात करते हैं डिसऑर्डर के ट्रीटमेंट के बारे में पैनिक डिसऑर्डर के अंदर दोस्तों इस तरह के जो सिम्टम्स है इन सिम्टम्स के लंबे समय तक रहने से कई बार मन के अंदर अवसाद भी आ जाता है डिप्रेशन की फेस भी आ जाती है और बहुत तगड़ी घबराहट होती है । ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम की हाइपरएक्टिविटी की वजह से अच्छा सबसे पहले बात करते हैं मेडिसिन के बारे में, डिसऑर्डर को ठीक करने के लिए कई सारी ऐसी दवाई आती है जो हमारी ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम की हाइपरएक्टिविटी को कम करती है, हमारी एंजायटी को कम करती है जिसके कारण जो अचानक हमें घबराहट होती है वह घबराहट कम हो जाती है । इस प्रकार के मेडिसिंस जिनको एंटी एंजायटी मेडिसिंस कहते हैं उनको पैनिक डिसऑर्डर को ठीक करने में इस्तेमाल किया जाता है । साथ में कुछ एंटी डिप्रेसेंट मेडिसिंस भी आती है जिनके माध्यम से जो मन की जो उदासी वाली फेस है, जो डिप्रेशन की फेस है अवसाद की फेस है उस अवसाद की पेज को ठीक किया जाता है उन मेडिसिंस की सहायता से । इसके अलावा भी बहुत सारी मेडिसिंस आती है वह डिपेंड करता है कि सिम्टम्स किस तरह के आ रहे हैं उन सिंप्टोम्स के आधार पर हैंडल करने के लिए मेडिसिंस को इस्तेमाल किया जाता है ।



अब बात करते हैं इसकी काउंसलिंग के बारे में दोस्तों पहले डिसऑर्डर के लंबे समय तक प्रॉपर ट्रीटमेंट के लिए हमें काउंसलिंग की बहुत अच्छे से आवश्यकता होती है दरअसल काउंसलिंग के अंदर क्या किया जाता है काउंसलिंग के अंदर जो पैनिक डिसऑर्डर से रिलेटेड जो चिंता है उस चिंता की वजह से हमें घबराहट या बेचैनी महसूस होती है । दोस्तों हमारे अंदर दो फेस होते हैं एक तो होता है विचार का एक होता है महसूस करने का एहसास का अगर आपको कहीं पर घबराहट महसूस हो रही है इसका मतलब आपके दिमाग में विचार जो आ रहा है वह घबराहट से रिलेटेड आ रहा है, अगर आपको अच्छा लग रहा है तो इसका मतलब है कि आपका दिमाग के अंदर जो विचार आ रहा है वह अच्छा लगने से रिलेटेड आ रहा है । अगर आपको बहुत ज्यादा बेचैनी हो रही है इसका मतलब आपके दिमाग में जो विचार आ रहा है वह बेचैन इस रिलेटेड आ रहा है ।आपको अगर भविष्य से रिलेटेड इन सिक्योरिटी नजर आ रही है इसका मतलब आपके दिमाग के अंदर जो थॉट आ रहा है वह इन सिक्योरिटी से रिलेटेड आ रहा है ।



आपको अगर कन्फ्यूजन फील हो रहा है इसका मतलब दिमाग में विचार है वह कन्फ्यूजन से रिलेटेड जो आ रहा है वह डर लगने सेरिलेटेड हमें हमारी फिलिंग्स के ऊपर हम इतना कोई डायरेक्ट कंट्रोल नहीं कर पाए । लेकिन हमारे जो थॉट्स है उन थॉट्स को हम अच्छे से कंट्रोल कर पाते हैं दरअसल थॉट्स की हमारी एक हैबिट होती है जैसे आपके अंदर जैसे खुद की हेल्प को लेकर जो इनसिक्योर थॉट्स आने स्टार्ट होते हैं कि यार मुझे हार्ट अटैक आ जाएगा मेरे दिमाग की नस फट जाएगी यह मुझे कैंसर हो जाएगा या मुझे कोई ऐसी गंभीर बीमारी हो जाएगी जिसके कारण मेरी मौत हो जाएगी यह जो विचार है यह कंटीन्यूअस स्ट्राइक करते रहते हैं हमारे दिमाग में । जिसकी वजह से हमें बहुत ज्यादा घबराहट महसूस होने लग जाती है पैनिक डिसऑर्डर इसी घबराहट की सीवर फॉर्म है तो दोस्तों आप अपने विचारों के ऊपर ध्यान देना शुरू करें कि आपका दिमाग में विचार किस तरह से आते हैं हमें हमारे विचारों को लगातार करेक्ट करना होता है । 



जब हम अपने विचारों को कंटीन्यूअस करेक्ट करते जाते हैं जैसे मान लो आपके मन में आ रहा है कि मेरे को हार्ट अटैक आएगा तो आप तुरंत अपने आप को समझाएं कि नहीं मैं डॉक्टर से कंसल्ट कर लिया है डॉक्टर को दिखा दिया है मेरी सारी बीमारी नॉर्मल है और डॉक्टर ने भी मुझे समझा दिया है कि इस तरह की कोई ऐसी शिकायत नहीं है ऐसी कोई संभावना नहीं है कि आपको हर्ट अटैक आ सकता है । तो मैं एकदम ठीक हूं यह थॉट कंटीन्यूअस आप अपने आप को समझाएं जितना ज्यादा आप समझेंगे धीरे-धीरे क्या होगा कि यह आपकी हैबिट बन जाएगी आपके सबकॉन्शियस ब्रेन में चला जाएगा अपने आप होने लग जाएगा आपको अपने आप को समझने की आवश्यकता नहीं है । आपके दिमाग में अगर यह आ रहा है कि नहीं मेरी कोई नस फट जाएगी मुझे लकवा आ जाएगा तो अपने आप को समझाएं कि नहीं मेरी सर की सारीजांच नॉर्मल है मैंने कंसल्ट कर लिया है डॉक्टर ने भी बताया कि इस तरह की कोई संभावना नहीं है जिसके कारण मेरे सिर की नस फट जाएगी ।



शुरुआत में आप इसको कॉन्शियसली अपने आप को बार-बार समझाने की जरूरत है लेकिन एक टाइम बाद ही आपके सब कॉन्फ्रेंस ब्रेन का हिस्सा हो जाएगा आपकी हैबिट का हिस्सा हो जाएगा । जैसे ही आप की आदत का हिस्सा हो जाएगा अब आपको समझाने की आवश्यकता नहीं है आपको अगर लग रहा है कि नहीं मुझे कोई ऐसी गंभीर बीमारी हो जाएगी जिसके कारण मेरी मौत कंसल्टेशन किया है मैंने सारी जांच करवाइए उन जांचों के आधार पर अभी ऐसी कोई संभावना नहीं है जिसके कारण मेरी मौत हो सकती है । तो दोस्तों धीरे-धीरे जब हम अपने आप को समझाना शुरू करते हैं धीरे-धीरे यह हमारी हैबिट बन जाती है हमारे सबकॉन्शियस ब्रेन में चली जाती है और हमें रिलैक्स मिलती है। 



 अच्छा इसमें क्यों का प्रश्न यह रहता है कि सर हम एक बार जब अपने आप को समझते तो हमें अच्छा लगता है लेकिन उसके बाद वापस हमारा यह जो समझने की प्रक्रिया है यह डाउन हो जाती है हमारा मोटिवेशन डाउन हो जाता है और हमें वापस घबराहट महसूस होने लग जाती है । दोस्तों ध्यान रखिएगा कि जो यह समझने की जो प्रक्रिया यह थोड़ी लंबी प्रक्रिया तकरीबन 6 - 8 महीने तक यह काउंसलिंग प्रक्रिया चलता है । यह कलेक्शन वाला प्रक्रिया चलता है जिससे हमारा जो थॉट प्रोसेस है वह स्ट्रांग बानता जाता है हमें हर दिन हर घंटे हर मिनट अपने आप को करेक्ट करना है जितना अच्छा हम करेक्ट करते जाएंगे धीरे-धीरे यह हमारी स्किल बानती जाएगी हमारा हर छोटी चीज में हमारा कॉन्फिडेंस है वह भी स्ट्रांग होता जाएगा और वापस हम हमारी हेल्थ को लेकर कॉन्फिडेंस अचीव कर लेंगे । 



यह कुछ इस तरह से कम करता है की याद कीजिए वह दौड़ जब अपने सबसे पहले स्कूटी या बाइक चलाना सीखा होगा जिस दिन आप फर्स्ट टाइम बाइक पर यह स्कूटी पर बैठे थे तब आपको लग रहा था कि यार मैं कभी अच्छे से स्कूटी चलाना सीख पाऊंगा क्या मन में ऐसे डर लग रहा था कि कहीं गलती से मैं क्लच दबा दिया या रेस दबा दिया या ब्रेक नहीं लग पाया कहीं गाड़ी अचानक बहुत ज्यादा स्पीड में ना चली गई हो कहीं मेरा एक्सीडेंट हो ना जाए और पूरा ध्यान सड़क के ऊपर कंसंट्रेट रहता था और उस समय हमारे दिमाग में कोई भी दूसरा थॉट नहीं आ पा रहा होता था सिर्फ और सिर्फ हम सड़क के ऊपर ध्यान केंद्रित करते थे ।



हमारे मन में हमेशा यह डर रहता था कि यार मैं अच्छे से कभी गाड़ी चलाना सीख पाऊंगा क्या कभी ऐसा दिन आएगा क्या इस समय गाड़ी चला रहा हूं गाड़ी का मजा ले रहा हूं बस सेम चीज जो आप दोस्तों  कंटिन्यू प्रैक्टिस कर रहे होते हैं हमने पहले दिन प्रेक्टिस किया हमने दूसरे दिन प्रेक्टिस किया हमने 30 दिन प्रेक्टिस किया ऐसे धीरे-धीरे जैसे हम प्रैक्टिस करते जाते हैं एक टाइम ऐसा आता है कि हमारे अंदर गाड़ी चलाने की जो स्केल है वह बहुत अच्छे से डेवलप हो जाती है और हम गाड़ी चलाते चलाते हैं दूसरी चीजों के बारे में भी सोच सकते हैं विचार ला सकते हैं ।अब हमें याद नहीं रहता कि हमने कितनी बार गियर चेंज किया कितनी बार रेस लगाया कितनी बार प्लस दबाया जब की शुरुआती टाइम में हमें यह सब याद रहता था और उसे समय मन में यह कॉन्फिडेंस भी नहीं बन पा रहा होता कि यार मैं कभी सीख पाऊंगा की लेकिन जब हम प्रैक्टिस कर रहे थे तो धीरे-धीरे सीख जाते हैं । वैसे ही हमारे दिमाग के अंदर थॉट्स की एक्सरसाइज होती है आप जितने ज्यादा थॉट्स को करेक्ट करेंगे और उन कलेक्टिव थॉट्स की जितनी ज्यादा अच्छी प्रैक्टिस करेंगे धीरे-धीरे हमारे अंदर उन थॉट्स की हैबिट बानती जाएगी उन थॉट्स के हैबिट लुक बानते जाएंगे जिसके कारण अब हमें उन थाट से कोई प्रॉब्लम नहीं होगी ।



हमारे थॉट्स जो आएंगे किसी भी नेगेटिव इवेंट को जब भी आप फेस करोगे आपकी बॉडी में कोई भी प्रॉब्लम होगी तब आपके दिमाग में यह नहीं आएगा कि आब मुझे कोई गंभीर बीमारी हो जाएगी क्योंकि आप कंटीन्यूअस करेक्ट कर रहे हैं और यह कलेक्टिव प्रक्रिया आपको डेली इस्तेमाल करना है और कुछ समय बाद तकरीबन तीन-चार महीने की स्ट्रांग मेहनत के बाद आपकी यह हैबिट बन जाएगी और आपको बिल्कुल भी डर नहीं लगेगा ना तो उस रिलेटेड थॉट आएगा ना उस रिलेटेड कुछ फिलिंग्स आएगी । तो दोस्तों कंटीन्यूअस प्रैक्टिस और थॉट्स को करेक्ट करना यह दो मेजर स्टेप्स है जिसकी सहायता से हम पैनिक डिसऑर्डर को हमेशा के लिए हैंडल कर सकते हैं । तो दोस्तों एक बार में सुम्मराइज कर देता हूं कि पहले डिसऑर्डर के ट्रीटमेंट में हमें क्या करना है सबसे पहले तो मेडिसिंस के अंदर कुछ ऐसी एंटी डिप्रेशन आती है जिसकी सहायता से मैंने एक डिसऑर्डर के सिम्टम्स को कंट्रोल कर सकते हैं । फिर दूसरा पार्ट आता है थॉट्स के ऊपर जो थॉट्स के ऊपर है उसके लिए हम कंटीन्यूअस अपने आप को जो थॉट सारे जो डरावने थॉट्स को कंटीन्यूअस करेक्ट करते जाए जो भी उसके ऑपोजिट जो एविडेंस मिल रहे हैं आपके थॉट्स एविडेंस से अपने आप को कन्वेंस करें और इस थाट की कंटीन्यूअस प्रेक्टिस करें । इसके अलावा दोस्तों आप कुछ फिजिकल एक्टिविटीज भी प्लान कर सकते हैं जो आपको अच्छी लगती हो आप बाहर घूमने प्लान करें, कुछ बुक्स पढ़ने के आप शौकीन है तो बुक्स प्लान करें ,आप कुछ मूवीस देखें यह सब चीज वह है जो आपकी कॉन्शियस को कुछ समय के लिए एक्सटर्नल डायवर्ट कर देती जिससे आपका ध्यान आपके थॉट्स के ऊपर नहीं जा पता । जैसे आपका ध्यान आपके थॉट्स के ऊपर नहीं जाएगा तो थाट से रिलेटेड जो फिलिंग्स है वह फिलिंग्स दिया ना बंद हो जाएगी और आपको डर लगना बंद हो जाएगा धीरे-धीरे क्या होगा कि जो थाट से जो उसके साथ जो अटैचे फिलिंग्स थी उन दोनों का आपस में डिटैचमेंट हो जाएगा बाद में जब आप नॉर्मली भी आप कहीं पर भी रह रहे होंगे वह थॉट्स आ रहे होंगे आपको परेशान नहीं करेंगे । अपने आप करेक्ट होते रहेंगे तो दोस्तों फिजिकल एक्टिविटीज भी इसके साथ प्लेन करना बहुत ज्यादा जरूरी है । कुछ ऐसी चीज जो आपको बहुत ज्यादा पसंद है बेहद पसंद है उन सारे कामों को आप करना स्टार्ट करें इससे आप हमेशा सुरक्षित रहेंगेतो दोस्तों हमारे यह पोस्ट कैसे लगा कमेंट करके जरूर बताइए ।


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