अमावस्या के दिन स्त्रियां ऐसी काम न करें :दरिद्रता,संकट हमेशा रहेंगे

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अमावस्या के दिन स्त्रियां ऐसी गलती कभी ना करें 
 
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अमावस्या के दिन क्या करना चाहिए ?

हिंदू शास्त्र में तो बहुत कुछ नियम रखा गया है परंतु कुछ लोगों को पता है और कुछ लोगों को पता नहीं है । सोमवार के दिन यदि अमावस्या आ जाए तो हर स्त्रियों अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करना चाहिए । और क्यों करना चाहिए आज ही के दिन जरूर जानिए ।


सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। ये वर्ष में लगभग एक अथवा दो ही बार पड़ती है। इस अमावस्या का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व होता है। विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पतियों के दीर्घायु कामना के लिए व्रत का विधान है। इस दिन मौन व्रत रहने से सहस्र गोदान का फल मिलता है।  शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत की भी संज्ञा दी गयी है। अश्वत्थ यानि पीपल वृक्ष।  इस दिन विवाहित स्त्रियों द्वारा पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चन्दन इत्यादि से पूजा और वृक्ष के चारों ओर १०८ बार धागा लपेट कर परिक्रमा करने का विधान होता है। और कुछ अन्य परम्पराओं में भँवरी देने का भी विधान होता है। धान, अरवा चावल ,पान और खड़ी हल्दी को मिला कर उसे विधान पूर्वक तुलसी के पेड़ को चढाया जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व समझा जाता है। कहा जाता है कि महाभारत में पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य समृद्ध, स्वस्थ्य और सभी दुखों से मुक्त होगा। ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति मिलती है।

जानिए पीपल पेड़ की महिमा


पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है। अतः, सोमवती अमावस्या के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन भँवरी (परिक्रमा करना ) देता है, उसके सुख और सौभग्य में वृद्धि होती है। जो हर अमावस्या को न कर सके, वह सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन १०८ वस्तुओं कि भँवरी देकर सोना धोबिन और गौरी-गणेश कि पूजा करता है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

कैसे करें विधान जानिए ।

ऐसी परम्परा है कि पहली सोमवती अमावस्या के दिन धान, पान, हल्दी, सिन्दूर और सुपाड़ी की भँवरी दी जाती है।उसके बाद की सोमवती अमावस्या को अपने सामर्थ्य के हिसाब से फल, मिठाई, सुहाग सामग्री, खाने कि सामग्री इत्यादि की भँवरी दी जाती है। भँवरी पर चढाया गया सामान किसी सुपात्र ब्रह्मण, ननद या भांजे को दिया जा सकता है। अपने गोत्र या अपने से निम्न गोत्र में वह दान नहीं देना चाहिए।

सोमवार के अमावस्या पढ़ने वाले हर स्त्रियों को इस गलती से बचना चाहिए । 

सबसे पहले आप सोमवार के अमावस्या पढने वाले दिन में कामवासना में लिप्त
 गलती से भी नहीं होनी चाहिए । इस दिन सिर के बाल, नाखून कटना नहीं चाहिए । अगर आप इस दिन ऐसे गलती करते हैैं तो नकारात्मक ऊर्जा आपके भीतर प्रवेश करेंगे जिससे परिवार में सुख शांति चले जाएंगी । 

सोमवार में पढ़ने वाले अमावस्या के दिन घर में शाकाहारी भोजन करें । और सुबह-सुबह घर के चारों ओर गवर पाली से छिड़काव करें । उसके बाद सुबह धूप अगरबत्ती जला कर घर के चारों ओर दिखाएं । 

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