तुलसीदास के 5 दोहे : गुप्त शत्रु से सावधान रखेगा ।
तुलसीदास के दोहे और चौपाई पढ़ने का लाभ क्या है दोस्तों नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है । जब आप हमारे वेबसाइट में आ ही गए हैं एक क्लिक के सहारे पर तो आज हम आपको विस्तार से बताने वाले हैं तुलसीदास के दोहे पढ़ने से आपको क्या बेनिफिट मिलने वाले हैं । दोस्तों हमेशा याद रखिए जो भी पूर्वजों ने अपनी ज्ञान हमारे बीच वांटकर गए हैं वह कोई मामूली बात नहीं है बहुत ही महत्वपूर्ण है उनके हर एक ज्ञान में कुछ ना कुछ रहस्य छुपा हुआ है । आज हमारे पास ऐसा कोई संत महापुरुष नहीं है मगर जिन्होंने हमारे बीच इस तरह का दोहे और चौपाई राख कर गए हैं इससे हमारे लिए बहुत ही अच्छा सीख प्राप्त होती है । अधिकांश लोगों को पता नहीं है संत तुलसीदास यह कोई मामूली इंसान नहीं है संत तुलसीदास तो दिव्य पुण्य आत्मा है उन्होंने साक्षात जगत जननी और जगत पिता का दर्शन किए हैं मतलब बाबा भोलेनाथ और माता पार्वती। संत तुलसीदास का एक ही उद्देश्य था मानव जाति का कल्याण । मानव जाति का कल्याण कैसे होंगे इसलिए दिन-रात तुलसीदास जी ने भगवान श्रीराम का जो रामायण लिखा गया था उसी के अनुसार विस्तार से बताया है अपने भाषा से । तुलसीदास जी ने जिस भाषा का प्रयोग किया है अगर आप समझ नहीं पाएंगे तो उसके लिए अर्थ सहित भी लिखा गया है आप अच्छा से समझ सकेंगे । दोस्तों तुलसीदास जी की चौपाई और दोहे पढ़ने से इंसान का मन में दुर्बुद्धि होगा दूर , दुर्बुद्धि मन में होने से इंसान खुद को नष्ट कर देते हैं मगर संत तुलसीदास जी के दोहे पढ़ने से हर एक इंसान के दुर्बुद्धि दूर होता है जिससे व्यक्ति कठिन से कठिन कार्य भी सरलता से कर सकते हैं ।
संत तुलसीदास के पांच दोहे नीचे बताया गया है आपके लिए हमें आशा है इसे पढ़ने के बाद आप अपनी निजी जिंदगी कैसे जिएंगे भली-भांति ज्ञात कर सकेंगे ।
1 -दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान |
तुलसी दया न छांड़िए ,जब लग घट में प्राण ||
अर्थ: मनुष्य को दया कभी नहीं छोड़नी चाहिए क्योंकि दया ही धर्म का मूल है और इसके विपरीत अहंकार समस्त पापों की जड़ होता है|
2- तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक|
साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक||
अर्थ: किसी विपत्ति यानि किसी बड़ी परेशानी के समय आपको ये सात गुण बचायेंगे: आपका ज्ञान या शिक्षा, आपकी विनम्रता, आपकी बुद्धि, आपके भीतर का साहस, आपके अच्छे कर्म, सच बोलने की आदत और ईश्वर में विश्वास|
3- सुख हरसहिं जड़ दुख विलखाहीं, दोउ सम धीर धरहिं मन माहीं
धीरज धरहुं विवेक विचारी, छाड़ि सोच सकल हितकारी
अर्थ :- गोस्वामी तुलसीदासजी कहते हैं किमुर्ख व्यक्ति दुःख के समय रोते बिलखते है सुख के समय अत्यधिक खुश हो जाते है जबकि धैर्यवान व्यक्ति दोनों ही समय में समान रहते है कठिन से कठिन समय में अपने धैर्य को नही खोते है और कठिनाई का डटकर मुकाबला करते है|
4- करम प्रधान विस्व करि राखा,
जो जस करई सो तस फलु चाखा
अर्थ :- तुलसीदासजी का कहने का यह अर्थ है की ईश्वर ने इस संसार में कर्म को महत्ता दी है अर्थात जो जैसा कर्म करता है उसे वैसा ही फल भी भोगना पड़ेगा
5- आगें कह मृदु वचन बनाई। पाछे अनहित मन कुटिलाई,
जाकर चित अहिगत सम भाई, अस कुमित्र परिहरेहि भलाई,
अर्थ :- तुलसीदासजी का कहने का यह अर्थ है की, ऐसे मित्र जो की आपके सामने बना बनाकर मीठा बोलता है और मन ही मन आपके लिए बुराई का भाव रखता है जिसका मन साँप के चाल के समान टेढ़ा हो ऐसे खराब मित्र का त्याग कर देने में ही भलाई है ||
कबीर दास जी के दोहे अर्थ सहित भाग 1