वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुंह किस दिशा में करें ? जानिए

bholanath biswas
0


वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुंह किस दिशा में होना चाहिए

वास्तु शास्त्र



वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के मुंह किस दिशा में होना चाहिए? दोस्तों नमस्कार हमारे वेबसाइट में आपका स्वागत है । दोस्तों घर हमारे लिए स्वर्ग की तरह इसे हम जितनी सजावट करेंगे उतना ही खूबसूरत लगेंगे । उसके साथ-साथ कुछ घर धर्मशास्त्र के नियमों के अनुसार हमें पालन करना पड़ता है ।अगर आप नए नए घर बनाने के लिए सोच रहे हैं तो यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाले हैं ।



वास्तु शास्त्र एक पुराना भारतीय विज्ञान है जो आधुनिक समय में भी लोगों द्वारा उपयोग में लाया जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, एक अच्छे और स्वस्थ घर का निर्माण उन नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए जो भौतिक और आध्यात्मिक दोनों के विकास के लिए उपयुक्त होते हैं।


कुछ महत्वपूर्ण उपदेश निम्नलिखित हैं जो वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के निर्माण में महत्वपूर्ण होते हैं:


भूमि: जहाँ भी आप घर का निर्माण करना चाहते हैं, उस जगह का चयन सोच समझ कर करें। अच्छी भूमि के चयन से आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होगा।


दिशा: वास्तु शास्त्र के अनुसार, दिशाएं बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। आपके घर का मुख्य द्वार सही दिशा में होना चाहिए ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा आती हो।


अनुमानित आयाम: आपके घर के निर्माण में सही अनुमानित आयाम होना चाहिए। घर का आकार आपकी आर्थिक स्थिति, परिवार के साथ रहने की आवश



वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसका उद्देश्य अधिक स्थायित्व, सुख, एवं समृद्धि को संभव बनाना है। वास्तु शास्त्र के अनुसार एक घर की निर्माण की प्रक्रिया में कई उपयोगी जानकारियां होती हैं।


इस शास्त्र के अनुसार, घर के निर्माण में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि निम्नलिखित विषयों का ख्याल रखा जाए:


भौतिक वास्तु - यह घर के निर्माण में उपयोग होने वाली वस्तुओं, जैसे कि बलुआ पत्थर, पीतल, लोहा, लकड़ी आदि को शामिल करता है। इन वस्तुओं को उचित ढंग से चुना जाना चाहिए ताकि वे अच्छी तरह से फिट हो सकें।


स्थापत्य - यह निर्माण की प्रक्रिया को संबंधित वैद्यकीय एवं गणितीय सिद्धांतों के अनुसार करने की विधि को समझने के लिए उपयोगी होता है।


गृहस्थ जीवन - यह शास्त्र घर के अंदर के व्यवस्था, स्थान का उपयोग आदि सम्बंधित जानकारियों को विवेचित करता है। उदाहरण के लिए, दक्षिण मु


वास्तु शास्त्र एक प्राचीन विज्ञान है जो हमें उचित घर का निर्माण करने के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार निम्नलिखित उपयोगी सुझाव घर के निर्माण में दिए गए हैं:


समतल जगह: घर का निर्माण समतल जगह पर होना चाहिए। इससे उचित संरचना बनाने में सहायता मिलती है।


दक्षिण-पूर्व दिशा: वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की दक्षिण-पूर्व दिशा धन की वृद्धि के लिए सबसे शुभ मानी जाती है।


बेहतर वेंटिलेशन: घर में बेहतर वेंटिलेशन होना चाहिए, जिससे अधिकतम शुद्ध और स्वस्थ वातावरण मिल सके।


सुन-light: घर में प्राकृतिक सौर उर्जा का उपयोग करना चाहिए ताकि रोशनी और ताजगी बनी रहे।


कमरों के आकार: वास्तु शास्त्र के अनुसार, कमरों के आकार और संरचना को ध्यान में रखा जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि घर में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है।


रंग: घर के रंग वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तम होता है ।


वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विद्या है जो आधुनिक समय में भी अपनी महत्ता बनाए रखी है। इसके अनुसार, घर का निर्माण वस्तुनिष्ठ ढंग से किया जाना चाहिए ताकि वह अधिक से अधिक समृद्धि, सुख और समृद्धि का स्थान हो सके।


वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की विभिन्न दिशाओं में विभिन्न प्रकार के कार्य होते हैं। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित दिशाओं में कुछ सुझाव दिए गए हैं:


उत्तर दिशा: उत्तर दिशा ईशान का दिशा होता है और इस दिशा में पूजा स्थान बनाया जाना चाहिए।

पूर्व दिशा: पूर्व दिशा अग्नि का दिशा होता है और इस दिशा में किचन और दीवारों पर उपहार रखने की जगह होनी चाहिए।


दक्षिण दिशा: दक्षिण दिशा यम का दिशा होता है और इस दिशा में बाथरूम, तट्टियां और दक्षिण दिशा में घुमने के लिए स्थान होना चाहिए।


पश्चिम दिशा: पश्चिम दिशा वायु का दिशा होता है और इस दिशा में गर्मी से बचने के लिए सोने की जगह होनी


वास्तु शास्त्र एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो भवन निर्माण और वास्तु की व्यवस्था के लिए निर्देश प्रदान करता है। इसके अनुसार, घर अनेक प्रकार के होते हैं, जो भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि को बढ़ाने में मदद करते हैं।


वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर का सही निर्माण और व्यवस्था बाहरी वातावरण और उसमें विद्यमान प्राकृतिक तत्वों के साथ सम्बंधित होती है। इसमें भवन की स्थान निर्धारित करने, निर्माण की मूल्य निर्धारित करने, विभिन्न कमरों का उचित निर्माण और स्थान निर्धारित करने जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल होते हैं।


कुछ अनुसार, घर में कुछ महत्वपूर्ण स्थान होते हैं, जैसे कि दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित पूजा कमरा, पश्चिम दिशा में स्थित रसोई और उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित मास्टर बेडरूम जो निश्चित निर्माण और वास्तु नियमों के अनुसार होना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, एक उचित घर वास्तविक जीवन में सुख और शांति प्रदान करते हैं ।

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!
10 Reply